उत्तराखंड में आपदाः ड्रोन एवं रोप रेस्क्यू से एसडीआरएफ और उत्तराखंड पुलिस ने बचाई दो जान
उत्तराखंड में इन दिनों पहाड़ से लेकर मैदान तक भारी बारिश के चलते कई स्थानों पर आपदा का कहर देखने को मिल रहा है। केदारनाथ पैदल मार्ग कई जगह ध्वस्त है। वहीं राज्य की प्रमुख सड़कें आल वेदर रोड़ की धारणा को मुंह चिढ़ा रही है। रास्तों में लोग संकट में पड़ रहे हैं। ऐसे में एसडीआरएफ के जवान देवदूत बनकर लोगों की जान बचाने में जुटे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शनिवार की देर रात सोनप्रयाग कोतवाली से एसडीआरएफ सोनप्रयाग की टीम को सूचना मिली कि 11 श्रद्धालु त्रिजुगीनारायण से ऊपर 08 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में भटक गए हैं। उनके पास खाने-पीने का सामान समाप्त हो चुका था। उन्हें तत्काल मदद की आवश्यकता है। सूचना प्राप्त होते ही एसडीआरएफ के सेनानाायक मणिकांत मिश्रा के निर्देश पर एसडीआरएफ की टीम 13 किलोमीटर के सड़क मार्ग से त्रिजुगीनारायण के लिए रवाना हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
त्रिजुगीनारायण पहुंचने के बाद एसडीआरएफ के एसआई जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में छह जवानों और स्थानीय लोगों के साथ पांच किलोमीटर की दुर्गम चढ़ाई चढ़कर सोन नदी के किनारे पहुंचे। यहां का दृश्य अत्यंत विकट था। सोन नदी अपने सबसे तेज प्रभाव में बह रही थी। इसी दौरान सूचना मिली कि 11 में से 09 श्रद्धालु सकुशल वापस आ चुके हैं, लेकिन 02 लोग अब भी फंसे हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ड्रोन के माध्यम से पूरे जंगल की सर्चिंग
एसडीआरएफ की टीम ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से ड्रोन का उपयोग कर सोन नदी के दूसरी ओर जंगल की सर्चिंग शुरू की। ड्रोन को ऊपर देख चट्टान पर बैठे दोनों युवकों ने आवाज लगाई। एसडीआरएफ की टीम ने सिटी बजाकर खड़ी चट्टान के ऊपर दोनो युवकों से संपर्क साधा। वहां से उनके लिए उनके नीचे उतरना असंभव था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपने साथियों से बिछड़े युवक
ये युवक सरिता विहार दिल्ली निवासी थे। इनके नाम अंकित पुत्र फाजिल मंडल और सुनील पुत्र महेश सिंह हैं। उनकी स्थिति अत्यंत गंभीर थी। 31 जुलाई को बादल फटने के बाद वे गौरीकुंड में फंस गए थे। स्थानीय लोगों के कहने पर वे गौरीकुंड त्रिजुगी नारायण तोशी मार्ग पर चल दिए। उनकी संख्या 13 के करीब हो गई थी। उनमें से कुछ लोग वापस चले गए और 09 सकुशल सोनप्रयाग पहुंच गए। ये दोनों युवक थकान और बिना खाने-पीने के कारण धीमे-धीमे आगे बढ़ रहे थे। वे अपने साथियों से बिछड़ गए। अपने को अकेला पाते हुए, उन्होंने तुरंत सोनप्रयाग कोतवाली को अपने फंसने की सूचना दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एसडीआरएफ टीम का साहसिक प्रयास
एसडीआरएफ की टीम ने रोप रेस्क्यू की मदद से विकराल नदी को पार किया और खड़ी चट्टान से दोनों युवकों को सुरक्षित नीचे उतारा। इसके बाद, एसडीआरएफ की टीम ने उन दोनों युवकों को सुरक्षित सोनप्रयाग कोतवाली पहुंचाया। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में एसडीआरएफ के एसआई जितेंद्र सिंह के साथ आरक्षी रमेश रावत, आरक्षी हिमांशु नेगी,आरक्षी सोनू सिंह, होमगार्ड कर्मी कैलाश, पैरामेडिक्स अमृत एवं भूपेंद्र शामिल रहे। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में स्थानीय लोगों ने भी एसडीआरएफ का काफी सहयोग किया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।