बजट की खूबियों के प्रचार से इतर कर्मियों में निराशा, राज्य कर्मचारी बोले-सरकार ने कर्मचारियों को एक बार फिर से छला
केंद्रीय बजट पेश किया गया तो मीडिया से लेकर तमाम मंचों से प्रचार किया जाने लगा कि नौकरी पेशा लोगों के लिए बजट अमृत लेकर आया है। आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर पांच से सात लाख कर दिया गया है। इसके बावजूद उत्तराखंड के राज्य कर्मचारी खुश नहीं हैं। वे बजट को छलावा बता रहे हैं। उनका कहना है कि पुरानी स्कीम के तहत ही टैक्स देने में उन्हें ज्यादा लाभ दिख रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड के प्रांतीय प्रवक्ता आरपी जोशी के मुताबिक, भारत सरकार की ओर से जारी किए गए बजट से सरकारी कर्मचारियों में घोर निराशाएं व्याप्त हैं। विशेषकर सरकारी कर्मचारी यह आशा कर रहे थे कि आयकर में 80C में डेढ़ लाख छूट को बढ़ाया जाएगा। सात ही टैक्सेबल आय की सीमा में परिवर्तन किया जाएगा, किंतु सरकार ने फिर से कर्मचारियों को छलने का कार्य किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सरकार ने वर्ष 2004 में पुरानी पेंशन योजना बंद कर नई योजना लागू की, ठीक उसी प्रकार सरकार ने पुरानी आयकर नीति के स्थान पर नई आयकर नीति को लागू कर कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात करने का काम किया है। ऐसे में सरकार ने सात लाख की टैक्स छूट का झुनझुना दिखाया। असलियत तब सामने आई, जब पता चला यह छूट तो सिर्फ नए टैक्स स्कीम का चुनाव करने वालों को ही मिलेगी। अर्थात अगर आपने नई टैक्स स्कीम चुनी तो फिर कर्मचारी होम लोन की छूट ले सकते हैं, न 80C की छूट, न एनपीएस की छूट और न ही एजुकेशन लोन की छूट ले पाएंगे। यहां तक कि कर्मचारी अपने और अपने परिवार की स्वास्थ योजना पर किए गए निवेश की छूट भी नहीं ले सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि वर्तमान में तो सात लाख या उससे अधिक आय वालों के यदि पुरानी व्यवस्था के मुताबिक टैक्स देते हैं तो उन्हें ज्यादा लाभ दिखते नजर आ रहे हैं। पुरानी टैक्स स्कीम में सरकार ने कोई परिवर्तन ही नहीं किया। ऐसे में यह तो वह मुहावरा चरितार्थ हो गया कि इधर कुआं तो उधर खाई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कर्मचारी सरकार के इस रवैए और इस बजट से घोर निराशा में हैं।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।