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July 31, 2025

उत्तराखंड की राजधानी में मंत्री से लेकर संतरी के घर मानकों के विपरीत पेयजल, कहीं अधिक क्लोरीन तो कहीं गंदा, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

उत्तराखंड के राजधानी देहरादून के लोगों को भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा है। कहीं गंदा पानी आ रहा है, तो कहीं क्लोरीन की मात्रा काफी ज्यादा है।

उत्तराखंड के राजधानी देहरादून के लोगों को भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा है। कहीं गंदा पानी आ रहा है, तो कहीं क्लोरीन की मात्रा काफी ज्यादा है। ऐसे में दोनों की स्थिति स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसानदायक है। विधायक हों या मंत्रियों के घर, या फिर दून के दूसरे इलाके। सभी जगह एक ही स्थिति है। ये स्थिति तब है जब जल संस्थान पानी की गुणवत्ता को लेकर हर माह लाखों रूपये पानी की तरह बहाता है।
90 फीसद नमूने नहीं मिले मानकों के अनुरूप
स्वयंसेवी संस्था स्पेक्स ने जल प्रहरियों के सहयोग से पांज जून से लेकर 8 जुलाई 2021 के अंतराल में देहरादून एवं आस पास के क्षेत्रों से पेयजल के 125 नमूने घर-घर जाकर लिए और उनका परीक्षण स्पेक्स प्रयोगशाला में किया। यह प्रयोगशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार ने स्पेक्स को प्रदान की है। स्पेक्स वर्ष 1990 से देहरादून के पेयजल की गुणवत्ता पर कार्य कर जन-जन को शुद्ध जल अभियान चला रहा है। इसका उद्देश्य आम जन को पीने के पानी के विषय में जागरूक करना है। स्पेक्स के सचिव डॉ. बृजमोहन शर्मा ने उत्तरांचल प्रेस क्लब में नमूनों के आंकड़े पेश किए।
उन्होने बताया कि जन- जन को शुद्ध जल अभियान 2021 में 125 स्थानों से पेयजल के 125 नमूने एकत्र किये। इसमे लगभग 90 फीसद नमूने मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए। आम जन के साथ-साथ अधिकारियों, विधायकों और मंत्रियों के कार्यालयों व घरों से भी पानी के नमूने एकत्र किये गए।
क्लोरीन की मात्रा ज्यादा
उन्होंने बताया कि देहरादून के पेयजल में कहीं क्लोरीन ज्यादा होने के कारण, तो कहीं फीकल कॉलीफार्म और कठोरता के कारण पानी पेयजल नहीं है। यानि पीने योग्य नहीं है। ज्यादातर पेयजल गुणवत्ता सुपर क्लोरीनेशन के कारण पीने योग्य नहीं रहा।
पेयजल में कठोरता से ये हैं नुकसान
1.बाल और त्वचा जल्दी बूढ़े होते है।
2. खाली पेट रहने से पथरी रोग बढ़ता है।
3. चिकत्सा का खर्चा बढ़ जाता है।
4. लीवर, किडनी, आँखे, लहड्डी के जोड़, गैस्ट्रो और पाचन पर बुरा प्रभाव डालते है।
5.नहाने, कपडे और बर्तन धोने में ज्यादा पानी लगता है।
6. गीजर, पानी की टंकी ,पाइप लाइन जल्दी चौक हो जाती है।
7. गीजर में पानी गरम करने में बिजली की खपत अधिक होती है।
8. खाना पकाने में घरेलु गैस ज्यादा खर्च होती है।
फीकल कॉलीफार्म से होने वाले नुकसान
1-पेट में कीड़े।
2- पेट के अन्य रोग ।
3-हैजा, दस्त ,पीलिया, उल्टी आदि और कुछ लोगों को हेपेटिटिस-बी होने की सम्भावना होती है।
अधिक क्लोरीन से नुकसान
बाल सफेद होना, त्वचा बूढ़ी होना, त्वचा का सूखना, कपड़ो के रंग जाना तथा पेट के अन्य रोग। यहाँ तक की अलसर और कैंसर भी हो सकता है।
पेयजल पर लोक संवाद
1.राजपुर रोड निवासी देवेंद्र शाह द्वारा बताया गया कि कभी-कभी पानी बहुत ही गंदा आता है।
2.माजरा में गिरीश चंद द्वारा बताया गया कि पानी गंदा आता है।
3.ट्रांसपोर्ट नगर सुभाष नगर निवासी इरफान द्वारा बताया गया कि पानी की जांच पहली बार हो रही है शिकायत करने पर भी कोई कर्मचारी जांच के लिए नहीं आता है।
4.चंद्रबनी अमर भारती निवासी राजेश कोठारी द्वारा बताया गया कि पानी का प्रेशर बहुत कम रहता है जिसके कारण मोटर लगानी पड़ती है।
5.आराघर चौक प्रभात डेरी के स्वामी द्वारा बताया गया कि पानी गंदा आता है जिस कारण नल में कपड़ा बांधकर या छलनी से छान कर पानी भरना पड़ता है।
6.राजेश्वर पुरम जोगीवाला निवासी विनोद पंत के द्वारा बताया गया कि पानी काफी दिनों से गंदा आ रहा है जिसमें कीड़े भी आ रहे हैं।
7.नालापानी रोड पर लोगों द्वारा बताया गया कि पानी केवल एक ही समय आता है जिससे कि बड़ी परेशानी होती है।
8.झंडा बाजार निवासी आशीष कुमार ने जानकारी दी कि कभी-कभी पानी बदबूदार आता है।
9.तिलक रोड के आराध्य द्वारा बताया गया कि कभी-कभी पानी में कीड़े आते हैं और बदबू भी आती है।
10.नवीन सैनी कुम्हार मंडी चौक द्वारा जानकारी दी गई कि पानी आता तो है लेकिन कई बार बदबूदार पानी आता है।
11.डोभालवाला निवासी सुनील सिंह बटोला द्वारा जानकारी दी गई कि बस्ती के कुछ क्षेत्रों में गंदा पानी आ रहा है जिसमें बदबू भी आ रही है।
12.हाथीबड़कला के जगदीश खरोरा ने बताया कि पानी गंदा आता है पानी में प्रेशर भी नहीं है और समय भी बहुत कम दिया जाता है।
13.ऐश्वर्य शर्मा नैशविला रोड का कहना है कि कभी-कभी पानी गंदा आता है।
14.पानी की गुणवत्ता ठीक नहीं है और सरकारी स्तर पर लगातार पानी की जांच होती रहनी चाहिए यह बात विष्णु दत्त शर्मा ओमकार रोड निवासी द्वारा कही गई।
15.बिंदालवाला निवासी वीरेंद्र सेठी जो कि अध्यापक हैं उनके द्वारा बताया गया कि पानी की गुणवत्ता नियमित नहीं जांची जाती, समय-समय पर इसकी जांच होती रहनी चाहिए।
16.नैशविला रोड के उमेश्वर सिंह रावत द्वारा बताया गया कि पानी की टाइमिंग बढ़ाई जानी चाहिए। जिस दिन पानी विद्युत आपूर्ति के कारण नहीं आ पाता है उसके अगले दिन पानी का समय बढ़ा देना चाहिए ताकि पानी की पूर्ति सुचारू रूप से हो सके।
17.कांवली रोड निवासी अनुज पंडित द्वारा बताया गया कि पानी बहुत गंदा आता है और बिना मोटर के तो कभी आता ही नहीं है।
18.शिमला बाईपास के सोनू बताते हैं कि पानी बहुत कम आता है और कभी-कभी तो आता ही नहीं है पूरे दिन में एक ही समय पानी आता है जिससे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।
19.मेहुंवाला के राकेश कुमार का कहना है कि बिना मोटर के पानी आता ही नही है जिस कारण समय का पता ही नहीं चलता है पानी कब आता है और कब बंद हो जाता है।
20.ऋषि विहार के शोभित बताते हैं कि पानी में बदबू आती है और पानी में चिकनाई भी रहती है।
21.भूड़गांव पंडितवाड़ी निवासी सुरेंद्र यादव द्वारा बताया गया कि पानी में चुना बहुत ज्यादा आता है रात को पानी भरकर रखते हैं तो सुबह बर्तन में चुना पूरी तरह से जम जाता है।
22.इंदर रोड निवासी उषा देवी द्वारा बताया गया कि पानी बहुत कम आता है और बिना मोटर के नही आता है शुरुआत में पानी गंदा आता है।
23.बलबीर रोड पर चाय की दुकान चलाने वाली अमित कुमार द्वारा बताया गया कि कभी-कभी पानी में तेज बदबू आती है।
24.तिब्बती मार्केट में काम करने वाले जगदीश भट्ट बताते हैं कि सभी दुकानदार एक ही नल से पानी भरते हैं जिसमें कभी-कभी गंदा पानी आता है।
25.कुल्हान पनास वैली के निवासी राजेंद्र सिंह चौहान द्वारा बताया गया कि पानी कभी-कभी चिकनाई युक्त आता है जिसमें बदबू भी आती है।
26.चालंग ठाकुरद्वार की जमुना देवी पानी को लेकर बहुत दुखी हैं वे बताती हैं कि घर के पास ही ट्यूबवेल है फिर भी पानी बहुत गंदा आता है कई बार तो पानी पंद्रह पंद्रह दिन तक आता ही नहीं है हमें पानी के लिए जल स्रोत पर निर्भर रहना पड़ता है।
27.चिडोंवाली कंडोली के एसपी पोखरियाल द्वारा जानकारी दी गई कि पानी केवल एक ही समय पर आता है और पानी की टाइमिंग भी बहुत कम रखी गई है प्रेशर तो पानी में है ही नही, बिना मोटर के पानी भरा ही नहीं जा सकता।
28.लखीबाग के धर्मेंद्र बताते हैं कि पानी अक्सर गंदा आता है जिसमें बदबू भी आती है।
29.बंजारावाला निवासी फौजदार सिंह रावत बताते हैं कि पानी बहुत कम देर के लिए आता है और मोटर चलाए बिना पानी भरा नहीं जा सकता।
30.नागल हटनाला निवासी कमल सिंह द्वारा बताया गया कि पानी बहुत ही मटमैला और गंदा आ रहा है ना तो उस पानी का उपयोग कपड़े धोने में किया जा सकता है और ना ही पीने के लिए ।पानी बाहर से ही लाना पड़ रहा है जिसके कारण बहुत परेशानी हो रही है।
देहरादून की पेयजल गुणवत्ता निम्न प्रकार हैं पाई गई
अवशेषित क्लोरीन- अवशेषित क्लोरीन का मानक 0.2 मिलीग्राम प्रति लीटर हैं।
देहरादून के विभिन्न स्थानों में किये गए जल गुणवत्ता परीक्षण में मात्र 7 स्थानों में ही अवशेषित क्लोरीन मानकों अनुरूप पाया गया जिसमें सम्मिलित स्थान इस प्रकार हैं-
डोभाल वाला 0.2, इंद्रेश नगर 0.2, तपोवन एन्क्लेव 0.2, राजेश्वरपुरम जोगीवाला 0.2, लक्खीबाग 0.2 , भंडारीबाग 0.2, सरस्वती विहार अजबपुर 0.2 ।
इन छह स्थानों में क्लोरीन का स्तर मानकों से कई गुना
सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का आवास 1. 4 , कैबीनेट मंत्री गणेश जोशी का आवास 1. 2, जिलाधिकारी देहरादून आवास 1.2, मेयर निवास डोभालवाला 1.2, विधायक खजान 1.0, एसएसपी निवास राजपुर रोड में 1.0 अवशेषित क्लोरीन पाई गई।
कुल कॉलीफार्म
कुल कॉलीफार्म का मानक 10 MPN/100 ML है। देहरादून के विभिन्न स्थानों में किये गए पेयजल में कुल कॉलीफार्म की जांच करने से ज्ञात हुआ तीन स्थानों सपेरा बस्ती , नागल हटनाला , नागल में अत्यधिक मात्रा में कुल कॉलीफार्म यह मात्रा सपेरा बस्ती में 58, नागल हटनाला में 38 एवं नागल 42 पायी गयी। 33 स्थानों में कुल कॉलीफार्म अधिक मात्रा में पाया गया यह मात्रा 12 से 30 के मध्य थी। 75 स्थानों में कुल कॉलीफार्म नहीं पाया गया।
इनका रहा सहयोग
इस अभियान में ग्रासरूट अवेयरनेस सोसाइटी, राहुल मौर्या, नीरज उनियाल, चंद्रा आर्य, राम तीरथ, अशोक कुमार आदि ने प्रतिभाग किया।
ये बरतें सावधानी
1. यदि पानी में क्लोरिन आता है तो कम से कम चार घण्टे बाद उक्त पानी को इस्तेमाल करें तथ सुपर क्लोरीननेशन होता है तो 6 से 12 घण्टे तक पानी का उपयोग किसी भी प्रकार से न करें जैसे – नहाना, पीना, कपडे धोना, खाना बनाना, बर्तन साफ़ करना आदि। यदि क्लोरिन युक्त पानी का सेवन करेंगे तो त्वचा रोग, एसिडिटी बाल झडना, बालों का सफ़ेद होना, आँखों की बीमारी, अल्सर आदि रोग होने की संभावना होती है।
2. यदि पानी में फिकल कॉलीफार्म आता है तो इसके कारण दस्त, उल्टी, पीलिया, हैज़ा, हैपेटाइटिस बी. पेट में कीड़े, गैस की बीमारी ,भूख न लगनाआदि रोग होने की संभावना होती है। इसके लिए पानी को कम से कम 12 मिनट तक मंद आंच में उबालकर ठंडा होने के बाद छानकर प्रयोग कर सकते हैं।
3. स्पैक्स द्वारा विभिन्न अस्पतालों के बाल चिकित्सकों से वार्ता करने के दौरान इन बाल चिकित्सकों द्वारा बताया गया की लगभग 71 से 80 प्रतिशत बाल रोगियों में जल जनित रोग पाये जा रहें हैं।

 

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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