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September 30, 2024

क्या पीएम मोदी को घेरने की मंशा से अमेरिका ने दिया था निमंत्रण, लोकतंत्र पर सवाल, क्या हैं ट्रकों पर पोस्टर के माइने

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दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के पीएम नरेंद्र मोदी से ही लोकतंत्र को लेकर सवाल कर दिया गया। ऐसा सवाल भी तब किया, जब उसके कुछ ही देर बाद मेहमान के तौर पीएम वहां के राष्ट्रपति की ओर से दिए जा रहे भोज में शामिल होने वाले थे। यानि कि खाने का स्वाद भी खराब कर दिया। यही नहीं, सड़कों पर दौड़ते ट्रकों में भी पोस्टर और चलचित्र के जरिये पीएम मोदी से सवाल पूछे जा रहे थे। इसके विपरीत भारतीय मीडिया ने ऐसी खबरों को कहीं नहीं दिखाया। हालांकि, यात्रा के दौरान व्यापार, विज्ञान, अंतरिक्ष सहित दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए, जो कि भारत और अमेरिका दोनों के लिए एक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, बताया तो ये भी जा रहा है कि पीएम मोदी ने अमेरिका में भी संबोधन के लिए टेलीप्रिंटर का इस्तेमाल लिया। वहीं, उनकी अंग्रेजी की वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। इसमें उनकी शाब्दिक गलतियों को बताया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पीएम मोदी का अमेरिका में 21 जून से 24 जून तक दौरा रहा। 24 जून को वह मिश्र के लिए रवाना हो गए। अमेरिका में  ये उनकी पहली राजकीय यात्रा थी। हालांकि, वह नौ साल में छठी बार अमेरिका पहुंचे। उनकी अमेरिका के दौरे को लेकर मीडिया में इस तरह की खबरें आ रही हैं कि पीएम मोदी का अमेरिका में डंका बज गया। ऐसी खबरों में भारतीय मीडिया पीएम के अभिनंदन, स्वागत समारोह, उनके पहनावे पर ही फोकस करता रहा। भारतीय मीडिया की खबरों में ये खबर भी है कि यूएस कांग्रेस के संयुक्त सत्र में संबोधन के दौरान करीब 79 मौके ऐसे आए जब अमेरिकी संसद के सांसदों ने तालियां बजाकर पीएम मोदी के बयान का स्वागत किया। इसके अलावा 15 ऐसे मौके आए जब खड़े होकर उनका अभिनंदन किया। पीएम के ऑटोग्राफ लेने में उनमें होड़ सी मच गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सबसे पहले एक कहानी
बात करीब 15 साल पुरानी है। एक मीडिया संस्थान में अक्सर रिपोर्टरों को संस्थान का एक अधिकारी दिन में दावत देता था। रेस्टोरेंट या होटल में पहुंचने का निमंत्रण दे दिया जाता और रिपोर्टर नियत समय पर दावत खाने पहुंच जाते। इस दौरान खाने के साथ इतना भाषण पिलाया जाता कि खाना ही हजम ना हो पाए। एक दिन अधिकारी के आने से पहले रिपोर्टर तो पहुंच गए, लेकिन वह लेट हो गए। इस बीच होटल कर्मियों ने सूप सर्व कर दिया। कुछ एक रिपोर्टर ने सूप पीना शुरू कर दिया। इसी बीच अधिकारी पहुंचे और बिगड़ गए। बोलने लगे कि मेरे आने से पहले ही तुमने सूप पीना शुरू कर दिया। इसके बाद उनकी ओर से दिया गया सबक ऐसा था कि बात बात पर वह सबको डराते रहे। धमकाते रहे। एक घंटे का लेक्टर देने के बाद ही खाना सर्व कराया। उस दिन शायद की किसी ने सही तरीके से खाना खाया हो। सिर्फ दिखाने के लिए ही खाना खाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

क्या मोदी का दौरा भी इसी तरह का था
पीएम मोदी के दौरे को भी क्या इसी नजरिये से देखा जाए। उन्होंने अमेरिका आने का न्योता दिया गया। फिर उन्हें ही सवालों से घेरा गया। ये सवाल भी वही थे, जिन्हें लेकर कुछ निष्पक्ष पत्रकार उठा रहे थे। टीवी चैनलों में ऐसे सवालों पर डिबेट तक नहीं होती। सवाल था भारत में लोकतंत्र का। इन सवालों के साथ ही अमेरिका की सड़कों पर सवाल नजर आए। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पीएम मोदी से सवाल पूछने की बजाय रिपोर्टरों से ही सवाल करा दिए। ये सवाल भी उसी दौरान पूछे गए, जब उनके बाद पीएम को रात्रि भोज में शामिल होना था। यानि खाने का स्वाद ही खराब। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे बनी थी भूमिका
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछने की भूमिका तो पहले ही बन गई थी। क्योंकि नौ साल में उन्होंने कभी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की। ऐसे में राष्ट्रपति जो बाइडेन से पीएम मोदी की मुलाकात से पहले अमेरिकी कांग्रेस के 75 सांसदों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति बाइडेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के दौरान भारत में मानवाधिकार समेत कई मुद्दों को उठाने का आग्रह किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अमेरिकी सांसदों ने पत्र में कहा है कि भारत में धार्मिक असहिष्णुता, प्रेस की स्वतंत्रता, इंटरनेट एक्सेस और सिविल सोसायटी ग्रुप्स को निशाना बनाने को लेकर चिंतित हैं। इस पत्र पर अमेरिकी सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के 75 सांसदों के हस्ताक्षर किए। पत्र की शुरुआत में भारत और अमेरिका के मजबूत होते संबंधों का हवाला देते हुए कहा गया है कि दोनों देश ही समान मूल्यों और विचारों में यकीन रखते हैं। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में भारत की बढ़ती भूमिका को लेकर भी तारीफ की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी उठाया मुद्दा
यही नहीं, भारत में लोकतंत्र को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत में मुस्लिम (Muslim) अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर बड़ा बयान दिया। बराक ओबामा ने न्यूज़ चैनल सीएनएन से कहा था कि राष्ट्रपति जो बाइडेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी बैठक के दौरान बहुसंख्यक हिंदू भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मैं राष्ट्रपति होता और प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत करता, जिन्हें मैं अच्छी तरह से जानता हूं। तो मेरा एक तर्क ये होता कि यदि आप भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं करते हैं, तो इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत अलग-थलग पड़ सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बराक ओबामा ने भारत के मुस्लिमों पर कही ये बात
उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि जब बड़े आंतरिक झगड़े होने लगते हैं तो क्या होता है। ये न केवल मुस्लिम बल्कि हिंदुओं के हितों के भी विपरीत होगा। मुझे लगता है कि इन चीजों के बारे में ईमानदारी से बात करने में सक्षम होना महत्वपूर्ण है. बता दें कि, बराक ओबामा ने अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर 2014 और 2016 में पीएम मोदी की मेजबानी की थी। वहीं पीएम मोदी ने जनवरी 2015 में दिल्ली में बराक ओबामा की मेजबानी की थी, जब वे भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। उस दौरान पीएम मोदी उन्हें अपना दोस्त बताते थे। साथ ही राष्ट्रपति को बराक कहकर संबोधित करते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राष्ट्रपति बाइडेन ने खुद नहीं पूछा, लेकिन…
अमेरिका में पीएम मोदी से सवाल करने की जो मांग की जा रही थी, उस पर राष्ट्रपति जो बाइ़डेन ने बड़ी चतुराई से खेल कर दिया। उन्होंने पीएम मोदी से खुद सीधे सवाल ना पूछकर ऐसे सवाल को प्रेस वार्ता में लगा दिया। यहां ये बताना भी जरूरी है कि पीएम मोदी प्रेस वार्ता नहीं करते। उसके साथ गए अधिकारी प्रेस वार्ता को टालने की हर संभव कोशिश करते रहे, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। ये शर्त रखी गई कि पत्रकारों से चार सवाल पूछे जाएंगे। इन में दो सवाल पीएम मोदी से और दो सवाल जो बाईडेन से पूछे जा सकते हैं। इन सवालों को पहले ही ले लिया होगा। ऐसे में सवालों का चयन ही राष्ट्रपति ने ही किया होगा, क्योंकि वह खुद पीएम मोदी के मुंह से भारत में लोकतंत्र को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब चाहते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वॉल स्ट्रीट जर्नल की सबरीना ने पूछा ये सवाल
वॉल स्ट्रीट जर्नल की सबरीना ने पीएम मोदी से पूछा कि भारत खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहता है, लेकिन कई मानवाधिकार संस्थाओं का कहना है कि आपकी सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया है। आलोचकों का मुंह बंद किया है। आप वाइट हाउस के ईस्ट रूम में हैं, जहां कई विश्व नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लिया। मुस्लिम समुदाय और दूसरे अल्पसंख्यकों की रक्षा और फ्री स्पीच की रक्षा के लिए आप और आपकी सरकार क्या करेंगे? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पीएम मोदी ने दिया ये जवाब
पीएम नरेंद्र मोदी ने जवाब में कहा कि मुझे वास्तव में आश्चर्य होता है, जब लोग ऐसा कहते हैं। भारत तो लोकतंत्र है ही। जैसा कि राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, भारत और अमेरिका, दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है। लोकतंत्र हमारी रगों में है। हम लोकतंत्र जीते हैं। हमारे पूर्वजों ने इस बात को शब्दों में ढाला है। ये हमारा संविधान है। हमारी सरकार लोकतंत्र के मूल्यों को ध्यान में रखकर बनाए गए संविधान पर ही चलती है। हमने सिद्ध किया है कि लोकतंत्र अच्छे नतीजे दे सकता है। हमारे यहां, जाति, उम्र, लिंग आदि पर भेदभाव की बिल्कुल भी जगह नहीं है। जब आप लोकतंत्र की बात करते हैं, अगर मानव मूल्य न हों, मानवता न हो, मानवाधिकार न हों, तब उस सरकार को लोकतंत्र कहा ही नहीं जा सकता। हालांकि, पीएम मोदी का जवाब ठीक वैसा ही था, जैसा कि आजादी के बाद से भारत के हर राजनायक देते आए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब आप लोकतंत्र को स्वीकार करते हैं, उसे जीते हैं, तो भेदभाव की कोई जगह नहीं होती। भारत सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास, इस मूलभूत सिद्धांत पर चलता है। भारत में जनता को जो लाभ मिलते हैं, वो उन सभी के लिए हैं, जो उसके हकदार हैं। इसीलिए भारत के मूल्यों में कोई भेदभाव नहीं है। न धर्म के आधार पर, न जाति, उम्र या भूभाग के आधार पर। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आखिर क्यों पूछे गए ये सवाल
भारत में कुछ ही मीडिया लोकतंत्र, मानवाधिकार को लेकर सवाल उठाता रहा है। चाहे मणिपुर हिंसा हो, या फिर उत्तराखंड में लव जिहाद के नाम पर मुस्लिमों का पलायन, या फिर लैंड जिहाद के नाम पर एक ही संप्रदाय के लोगों के खिलाफ कार्रवाई। ऐसे मामलों में खबरें तो छपती हैं, लेकिन चैनलों में डिबेट नहीं होती। धर्म संसद के नाम पर एक धर्म के लोगों के खिलाफ हथियार उठाने की अपील। या फिर गोकशी के नाम पर हत्याएं। चाहे यूपी में मिड डे मील के दौरान नमक रोटी का मामला हो या केंद्रीय मंत्री स्मृति से बाइट मांगने का मामला हो। ऐसे मामलों में पत्रकारों का उत्पीड़न हुआ। वहीं,  ऐसी बातों को तूल देने वालों ने शायद ही कभी सोचा होगा कि विदेशों में भारत की छवि कैसी बन रही है। हम दो चार लोगों की ओर से जिंदाबाद के नारे लगाने से ही खुश होने लगते हैं। हकीकत कुछ और है। इस सच्चाई को भी स्वीकारना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सड़कों पर नजर आया चलता फिरता विरोध
पीएम मोदी की यात्रा के दौरान न्यूयॉर्क में चलता-फिरता विरोध भी नजर आया। इस दौरान ट्रकों पर स्क्रीन लगाकर उनके सवाल पूछे गए। अमेरिका के 3 दिवसीय दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वहां पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया, लेकिन सोशल मीडिया पर यात्रा का विरोध भी नजर आया। ट्विटर पर कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें ट्रकों पर स्क्रीन लगाकर मोदी से सवाल पूछे गए। यह ट्रक न्यूयॉर्क की सड़कों पर घूमते देखे गए। इनमें महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे सांसद बृजभूषण शरण सिंह से जुड़ा सवाल भी है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को लेकर भी सवाल किए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जानकारी के मुताबिक, ट्रक की स्क्रीन पर लिखा-क्यों महिला ओलंपियन को मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन करने पर हिरासत में लिया गया? ट्रकों पर #CrimeMinisterOfIndia लिखकर विरोध अभियान चलाया गया। एक अन्य ट्रक की स्क्रीन पर शरजील इमाम, सिद्दीकी कप्पन, नताशा, स्टैन स्वामी और अन्य की तस्वीरों के साथ लिखा है- मोदी से पूछो कि क्यों सैकड़ों भारतीय मानवाधिकार कार्यकर्ता जेल में हैं और उनको क्यों मूल अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है? इस दौरान ट्रकों पर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। इससे पहले पीएम मोदी के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भी इस फिल्म की वहां स्क्रिनिंग की गई थी।

ये उपलब्धियां हुईं हासिल
पीएम मोदी ने एलानिया अंदाज में कहा कि, अब ये निर्णय लिया गया है कि H-1B VISA को RENEW करने के लिए आपको अमेरिका से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। अमेरिका में रहते हुए ही अब ये VISA RENEW हो जाएगा. भारत इस साल SEATTLE में एक नया वाणिज्य दूतावास (CONSULATE) खोलने जा रहा है। गूगल भारत में अपना ग्लोबल फिनटेक सेंटर भी खोलने जा रहा है। इसके अलावा, बोइंग ने भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारत में होगा लड़ाकू जेट इंजनों का संयुक्त उत्पादन
एक ऐतिहासिक समझौते में GE एयरोस्पेस ने भारतीय वायुसेना (IAF) के हल्के लड़ाकू विमानों (LCA) ‘Mk2 तेजस’ के लिए संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजनों का उत्पादन करने के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में भारत में GE एयरोस्पेस के F414 इंजनों का संभावित संयुक्त उत्पादन शामिल है, और GE एयरोस्पेस इसके लिए आवश्यक निर्यात अधिकार हासिल करने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ काम कर रही है। समझौता LCA-Mk2 कार्यक्रम के हिस्से के रूप में भारतीय वायुसेना के लिए 99 इंजन बनाने की GE एयरोस्पेस की पिछली प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हथियारबंद ड्रोन
भारत द्वारा जनरल एटॉमिक्स के MQ-9 ‘रीपर’ हथियारबंद ड्रोन की खरीद पर मेगा डील की घोषणा हुई है। यह एक ऐसा कदम है, जो न केवल हिन्द महासागर में, बल्कि चीन के साथ सीमा पर भी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और निगरानी क्षमताओं को और मज़बूत करेगा। जनरल एटॉमिक्स के MQ-9 ‘रीपर’ हथियारबंद ड्रोन 500 प्रतिशत अधिक पेलोड ले जा सकता है और पहले के MQ-1 प्रीडेटर की तुलना में इसमें नौ गुना ज़्यादा हॉर्सपॉवर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अंतरिक्ष
भारत और अमेरिका 2024 में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजने के लिए सहयोग कर रहे हैं। भारत ने आर्टेमिस समझौते में शामिल होने का भी फैसला किया है, जो समान विचारधारा वाले देशों को नागरिक अंतरिक्ष अन्वेषण पर जोड़ता है, और NASA और ISRO 2024 में ISS के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि (OST) में दरकिनार कर दिया गया आर्टेमिस समझौता ऐसे सिद्धांतों का गैर-बाध्यकारी सेट है, जिसे 21वीं सदी में नागरिक अंतरिक्ष अन्वेषण को निर्देशित करने और इस्तेमाल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह 2025 तक मनुष्यों को चंद्रमा पर लौटा लाने का अमेरिकी नेतृत्व वाला मिशन है, जिसका अंतिम लक्ष्य मंगल और उससे आगे अंतरिक्ष अन्वेषण का विस्तार करना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सेमीकंडक्टर विनिर्माण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी चिप-निर्माता माइक्रोन टेक्नोलॉजी को आमंत्रित किया, क्योंकि हमारा मुल्क इस प्रोडक्ट की सप्लाई चेन के कई हिस्सों में फायदे दिलाता है। उन्होंने प्रक्रिया प्रौद्योगिकी और उन्नत पैकेजिंग क्षमताओं के विकास के लिए भारत में एप्लाइड मैटेरियल्स को भी आमंत्रित किया। PM मोदी ने जनरल इलेक्ट्रिक को भारत में विमानन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाने के लिए भी आमंत्रित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कूटनीति
दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका बेंगलुरू और अहमदाबाद में दो नए वाणिज्य दूतावास (कॉन्स्यूलेट) खोलेगा, जबकि भारत सिएटल में एक मिशन स्थापित करेगा।
एच-1बी वीसा
अमेरिका अब ऐसा एच-1बी वीसा पेश करने के लिए तैयार है, जिसे देश में रहकर ही रीन्यू किया जा सकेगा। यह एक अहम फ़ैसला है, जो अमेरिका में रहने वाले हज़ारों भारतीय पेशेवरों को अपने वर्क वीसा के नवीनीकरण के लिए विदेश यात्रा की परेशानी के बिना अपनी नौकरी जारी रखने में मदद करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बहुप्रतीक्षित एच-1बी वीसा गैर-अप्रवासी वीसा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी श्रमिकों को ऐसे विशेष व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है। इनके लिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हज़ारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस पर निर्भर हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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