धामी सरकार का बजट सिर्फ आंकड़ों का खेल: करन माहरा
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उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने धामी सरकार के बजट 2025-26 को सिर्फ आंकड़ों का खेल करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो 1,01,175.33 करोड़ रुपये का बजट पेश किया वह भ्रमित करने वाला दस्तावेज है। बजट में बढ़ते कर्ज, बेरोजगारी, पलायन, स्वास्थ्य, शिक्षा और किसान कल्याण पर कोई ठोस नीति नहीं है। यह सिर्फ चुनावी वादों का पुलिंदा है। इसमें अमल की कोई स्पष्ट योजना नहीं दिखती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बढ़ता कर्ज, कमजोर वित्तीय प्रबंधन
उन्होंने कहा कि बजट में पूंजीगत व्यय में सिर्फ 7% वृद्धि है, जबकि राज्य की जरूरतें इससे कहीं अधिक हैं। कर्ज बढ़ता जा रहा है, लेकिन सरकार ने ऋण प्रबंधन पर कोई विस्तृत योजना नहीं दी।
रोजगार और पलायन पर ठोस नीति का अभाव
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी दर बढ़ रही है, लेकिन बजट में कोई नया समाधान नहीं दिया गया। पलायन रोकथाम योजना के लिए मात्र ₹10 करोड़, जो ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्वास्थ्य और शिक्षा में अपर्याप्त प्रावधान
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए सिर्फ ₹989.74 करोड़ का प्रावधान है, जो जरूरत के हिसाब से बहुत कम है। सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय है। इस दिशा में बजट में कोई ठोस सुधार योजना नहीं है।
किसान और ग्रामीण विकास की उपेक्षा
उन्होंने कहा कि किसान पेंशन योजना के ₹4218 करोड़ में केंद्र की योजनाओं का बड़ा हिस्सा है। राज्य की नई पहल नहीं है। मिलेट मिशन और दुग्ध प्रोत्साहन के लिए नाममात्र का बजट है, जिससे किसानों को खास लाभ नहीं होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महिला सशक्तिकरण पर केवल दिखावे की योजनाएं
इसी तरह महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए मात्र ₹5 करोड़ की राशि बहुत कम है। बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना के लिए मात्र ₹15 करोड़ है। ऐसे में सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट नहीं है।
बुनियादी ढांचा और स्मार्ट सिटी योजना में असंतुलन
उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर सिर्फ बसें हैं, लेकिन ग्रामीण सड़कों और पेयजल परियोजनाओं के लिए पर्याप्त बजट नहीं है। पुराने ट्रांसपोर्ट सिस्टम को अपग्रेड करने की कोई योजना नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
NAMO थीम सिर्फ प्रचार
उन्होंने कहा कि पुरानी योजनाओं को नए नामों से दोबारा पेश किया गया। कोई नई नीति नहीं है। परिवार पहचान पत्र योजना और यूसीसी के लिए 30 करोड़ से आम जनता को कोई सीधा लाभ नहीं होगा।
आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण की अनदेखी
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड में लगातार बढ़ती आपदाओं को देखते हुए बजट में कोई ठोस आपदा राहत नीति नहीं है। जलवायु परिवर्तन और वन संरक्षण के लिए बजट में कोई बड़ा प्रावधान नहीं है।
पर्यटन और उद्योग क्षेत्र की अनदेखी
उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा और पर्यटन विकास के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं है, सिर्फ घोषणाएं की गईं हैं। स्थानीय उद्योगों और स्टार्टअप्स के लिए कोई ठोस पैकेज नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आर्थिक सुधार के फर्जी आंकड़े
करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए इस बजट में कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया है। हमारे संसाधन और आर्थिक स्रोत कैसे बढ़ेंगे इसका भी जिक्र नहीं है। जीडीपी और आर्थिक सुधार के फर्जी आंकड़े जारी किए गए हैं, जबकि प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ रही है। व्यापार को लगातार भारी नुकसान हो रहा है और व्यापारी वर्ग की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। दूसरी ओर, राज्य पहले से ही एक लाख करोड़ के भारी कर्ज में डूबा हुआ है। सरप्लस बजट बनाकर इसे और गहरे संकट में धकेलने की साजिश प्रतीत होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीमार उद्योगों के लिए ठोस नीति नहीं
उन्होंने कहा कि बीमार उद्योगों को फिर से खड़ा करने और मजबूती प्रदान करने के लिए धामी सरकार के पास कोई ठोस नीति नहीं है। कोरोना महामारी के बाद उत्तराखंड के होटल, होमस्टे और पर्यटन व्यवसाय को जो भारी नुकसान हुआ, उसकी भरपाई के लिए सरकार के पास कोई कार्ययोजना नहीं दिखती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि व्यवसायियों को राहत देने या उनके कारोबार को दोबारा पटरी पर लाने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं। कुल मिलाकर यह बजट उत्तराखंड की असली समस्याओं को हल करने में पूरी तरह विफल है और जनता को सिर्फ दिखावटी योजनाओं से भ्रमित करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि बजट में सरकार की प्राथमिकताएं स्पष्ट नहीं हैं। यह बजट जमीनी विकास की जगह महज कागजी आंकड़ों का खेल लगता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।