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September 30, 2025

पर्यावरणविद पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी से उत्तराखंड के डीजीपी ने की परिचर्चा, पर्यावरण जागरूकता का दिया संदेश

विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर प्रसिद्ध पर्यावरणविद पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के साथ उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने पुलिस मुख्यालय में पर्यावरण सुरक्षा, संरक्षण व जागरूकता का सन्देश देने के लिए एक सार्थक परिचर्चा की।

विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर प्रसिद्ध पर्यावरणविद पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के साथ उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने पुलिस मुख्यालय में पर्यावरण सुरक्षा, संरक्षण व जागरूकता का सन्देश देने के लिए एक सार्थक परिचर्चा की। परिचर्चा में moderater की भूमिका सीनियर साईंटिस्ट ओपी मनोचा ने निभाई। डॉ. जोशी को पर्यावरण और हिमालय के संरक्षण की दिशा में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्रपति की ओर से पद्मश्री एवं पद्मभूषण सम्मान से नवाजा गया है।
परिचर्चा में डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि मानव जीवन के लिए यह बहुत कठिन समय है। यदि हम पर्यावरण से प्रति अब भी नहीं चेते तो विनाश निश्चित है। अतः पर्यावरण का संरक्षण करना हम सब की जिम्मेदारी है। विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम Only One Earth की तर्ज पर हम सभी को इसके संरक्षण के लिए एक साथ आने की जरूरत है। डॉ. जोशी ने ग्रामीण आर्थिकी को बढ़ावा देने, जल संचय एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने सुझाव दिए। साथ ही जीडीपी के बजाय जीईपी (Gross Environment Product) पर जोर देने को कहा।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि किस प्रकार उत्तराखंड पुलिस पर्यावरण संरक्षण की ओर गंभीर और प्रयत्नशील है। विगत वर्ष प्रदेश भर में पुलिस की ओर से एक लाख से अधिक पौधे लगाए गए। ऑपरेशन मर्यादा के अन्तर्गत पर्यटक स्थलों पर कूड़ा डालकर उसकी स्वच्छता खराब करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है। समय-समय पर विभिन्न स्थलों पर पुलिस जवानों की ओर से सफाई अभियान भी चलाए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि वायु एवं ध्वनि प्रदूषण के विरूद्ध भी हमारी कार्रवाई जारी है। मॉडिफाइड साइलेंसरों से ध्वनि प्रदूषण करने वाले वाहनों पर कार्यवाही की गयी है। ट्रैफिक स्मूथ चले, जाम की स्थति उत्पन्न न हो, इसके प्रयास किये जाते हैं। ताकि वायु प्रदूषण कम हो। गांव में मानव और प्रकृति के बीच एक balance है, जबकि शहरों में ये संतुलन देखने को नहीं मिलता है। यहां कंक्रीट के बीच प्रकृति कहीं खो गयी है। गांव और शहरों में sustainable development की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम में आम नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण की ओर जागरूक किया गया। इससे कि वे इसके प्रति संवेदनशील होकर पर्यावरण संरक्षण में अपना अमूल्य सहयोग दें।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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