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April 17, 2025

विवेचना में लापरवाही पर डीजीपी ने हरिद्वार जिले में विवेचक को निलंबित करने के दिए निर्देश, दोबारा से जांच से आदेश

उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक अशोक कुमार ने हरिद्वार केथाना गंगनहर में दर्ज मामले की विवेचना में ठोस साक्ष्य संकलन न करने एवं लापरवाही बरतने को संज्ञान लेते हुए सक्षम अधिकारी से दोबारा विवेचना कराने के निर्देश दिए।

उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक अशोक कुमार ने हरिद्वार केथाना गंगनहर में दर्ज मामले की विवेचना में ठोस साक्ष्य संकलन न करने एवं लापरवाही बरतने को संज्ञान लेते हुए सक्षम अधिकारी से दोबारा विवेचना कराने के निर्देश दिए। साथ ही इस मामले में लापरवाही बरतने पर विवेचक को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए। उन्होंने इस प्रकरण की जांच पुलिस अधीक्षक ग्रामीण, हरिद्वार से कराते हुए सात दिन के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इस संबंध में उन्होंने पुलिस उप महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र को निर्देशित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि दिनांक 27 अगस्त 2018 को श्रीमती कविता की शादी के चार वर्ष के भीतर आत्महत्या करने से मृत्यु हई थी। इस मामले में उनके पिता राजकुमार निवासी 587 जनकपुरी मुज्जफरनगर, उत्तर प्रदेश ने ससुराल पक्ष पर दहेज की मांग करने व धमकी देने के आरोप लगाये थे। इस मामले में थाना गंगनहर हरिद्वार में धारा 306/506 भादवि के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया और अन्तिम रिपोर्ट माननीय न्यायालय प्रेषित कर दी गयी। दिनांक 19 मार्च, 2021 को राजकुमार ने डीजीपी अशोक कुमारसे उनके कार्यालय में भेंट कर उपरोक्त अभियोग की पुर्नविवेचना कराये जाने का अनुरोध को लेकर शिकायती प्रार्थना पत्र दिया था।
शिकायती प्रार्थना पत्र का संज्ञान लेते हुए डीजीपी ने प्रकरण से सम्बन्धित विवेचक को विवेचनात्मक अभिलेखों के साथ पुलिस मुख्यालय में समीक्षा के लिए बुलाया। समीक्षा के दौरान पाया गया कि महिला की मृत्यु शादी के 07 वर्ष के भीतर हुई थी। इस सम्बन्ध में तहरीर के आधार पर दहेज हत्या के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत करके विवेचना की जानी चाहिए थी। इसके साथ ही महिला की ओर से वर्ष 2017 में अपने ससुराल पक्ष के विरूद्ध महिला थाना मुज्जफरनगर, उत्तर प्रदेश में दहेज प्रताड़ना और दहेज प्रतिषेध अधिनियम का अभियोग भी पंजीकृत कराया गया था। इसमें विवेचना के उपरान्त आरोप पत्र प्रेषित किया गया है। इन तथ्यों का संज्ञान न लेते हुए भी अभियोग धारा 306/506 भादवि में पंजीकृत कर अन्तिम रिपोर्ट लगा दी गयी। जो घोर लापरवाही दर्शाता है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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