नववर्ष पर गंगा स्नान के लिए उमड़े श्रद्धालु, जानिए शाही स्नान में भीड़ के दावों की हकीकत

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और विक्रमी नववर्ष 2078 पर ब्रह्ममुहूर्त से ही हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा घाटों में स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कल शाही स्नान के चलते जिन्हें ब्रह्मकुंड में डुबकी लगाने का मौका नहीं मिला, आज वे भी हरीद्वार में हर की पैड़ी पहुंचे हैं। इसके साथ ही नवरात्र में देवी पूजन शुरू हो गया है। घर-घर में घट पूजन कर देवी की स्थापना की गई है।
हालांकि इस दौरान कोरोना के नियमों का पालन नहीं हो रहा है। लोगों में न तो शारीरिक दूरी है और न ही घाटों तक पहुंचने वाले मास्क में ही दिख रहे हैं। हरिद्वार में दूसरे राज्यों से प्रवेश करने वालों को सीमा पर 72 घंटे पहले की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट दिखानी आवश्यक है। ऐसे में पिछले अर्धकुंभ की अपेक्षा इस कुंभ में भीड़ काफी कम नजर आ रही है। वहीं, शासन प्रशासन भीड़ के दावे कर रहा है।
शाही स्नान में भीड़ के दावे और हकीकत
शासन ने कुंभ मेले की अवधि एक अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल तक तय की हुई है। कुंभ का दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को हुआ। इसमें 13 अखाड़ों के साधु संतों ने हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड में गंगा स्नान किया। हरिद्वार में शाही स्नान को लेकर कल ही पत्रकारों से वर्चुअली बातचीत में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने दावा किया कि दूसरे शाही स्थान को लेकर श्रद्धालुओं में बहुत उत्साह रहा। सुबह आठ बजे तक ही 15 लाख श्रद्धालू स्नान कर चुके थे। वहीं सायं 6 बजे जो आंकड़ा आया है, उसमें स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा 28 लाख पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि शाही स्नान के समापन तक करीब 35 लाख श्रद्धालु स्नान कर लेंगे।
वाहनों और यात्रियों की स्थिति
रविवार से सोमवार की शाम तक हरिद्वार में पहुंचने वालों में ट्रेन से 40 हजार और बसों समेत अन्य चौपहिया वाहनाओं से 24 हजार श्रद्धालु थे। अखाड़ों के लगभग 50 हजार साधु-संत स्नान को हरिद्वार पहुंचे। वहीं, सरकार दावा कर रही कि शाम छह बजे तक 28 लाख से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा चुके थे।
घाटों की हकीकत
हरकी पैड़ी में सुबह सात बजे से लेकर शाम पांच बजे तक शाही स्नान के लिए आम श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश प्रतिबंधित था। ऐसे में श्रद्धालु दूसरे गंगा घाटों पर स्नान का लाभ ले रहे थे। इन घाटों में भी लोगों की संख्या अंगुलियों में गिनने लायक थी। कुछ में एक समय पर 50 से अधिक लोग नजर नहीं आ रहे थे। ऐसे में एक अनुमान लगाया जा रहा है 12 अप्रैल की सुबह से लेकर देर रात तक सभी घाटों में मिलाकर कुल एक लाख लोगों ने स्नान किया होगा। वहीं, हरकी पैड़ी में स्नान करने वाले साधु संत ही थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।