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June 21, 2025

भक्त लोग ये खबर ना पढ़ें, कालाधन वापस लाने का पीएम मोदी का वादा निकला जुमला, स्विस बैंकों में बढ़ा भारतीयों का तीन गुना पैसा

भक्तों के लिए ये खबर नहीं है। क्योंकि उन्हें दुख होगा और सवाल पूछने की उनमें हिम्मत नहीं है। वे तो हर गलत बात को सही साबित करने का प्रयास करेंगे। फिर भी हम ऐसी सच्चाई आपको बता रहे हैं, जो देश के प्रधानमंत्री के वायदे से जुड़ी है। ये वायदा भी जुमला साबित हुआ। आपको याद होगा कि नरेंद्र मोदी ने 2014 में स्विस बैंकों से काला धन लाकर हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये जमा करने का वादा किया था। इस वायदे के दस साल बाद 2024 में जो हकीकत सामने आई वह चौंकाने वाली है। स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा तीन गुना बढ़कर 37,600 करोड़ रुपये हो गया। यानि ये वायदा भी जुमला साबित हुआ। ठीक उसी तरह जैसा कि हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वायदा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

स्विस नेशनल बैंक यानी एसएनबी की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ 2024 में स्विस बैंकों में भारतीयों का जमा धन तीन गुना से अधिक बढ़कर 3.5 अरब स्विस फ्रैंक यानी क़रीब 37,600 करोड़ रुपये हो गया है। यह आँकड़ा 2014 के 1.22 अरब स्विस फ्रैंक यानी क़रीब 12,000 करोड़ रुपये की तुलना में कहीं अधिक है। इस खुलासे ने प्रधानमंत्री मोदी के उन वादों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जिन वायदों की की वजह से वह वह सत्ता में आए थे। कांग्रेस ने पीएम मोदी के वादों को जुमला करते हुए हमला किया है। कांग्रेस ने कहा कि स्विस बैंक में भारत का पैसा तीन गुना बढ़कर 37,600 करोड़ रुपए हो गया है। नरेंदी मोदी ने 2014 में कहा था, विदेशी बैंकों में जमा काला धन लाऊंगा, सबको 15-15 लाख रुपए दूँगा। न काला धन आया, न 15-15 लाख मिले। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आपको याद होगा कि 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने स्विस बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। उन्होंने दावा किया था कि विदेशी बैंकों में जमा काला धन इतना है कि अगर इसे वापस लाया जाए तो हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं। एक रैली में मोदी ने कहा था कि स्विस बैंकों में इतना काला धन जमा है कि अगर हम इसे वापस लाएंगे तो देश की गरीबी मिट सकती है।उन्होंने यह भी वादा किया था कि उनकी सरकार सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर काले धन को वापस लाने की दिशा में ठोस क़दम उठाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके अलावा मोदी ने काले धन के खिलाफ सख़्त कार्रवाई का वादा करते हुए कहा था कि उनकी सरकार विदेशी बैंकों के साथ सूचना साझा करने के लिए समझौते करेगी। टैक्स हेवन देशों पर दबाव बनाएगी। इन वादों ने जनता में भारी उत्साह पैदा किया था और यह मुद्दा बीजेपी की जीत में एक प्रमुख फ़ैक्टर बना। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पीएम मोदी के वायदों की खुली पोल
स्विस नेशनल बैंक की हालिया रिपोर्ट ने मोदी सरकार के दावों की पोल खोल दी है। 2014 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि 1.22 अरब स्विस फ्रैंक थी, जो 2024 में बढ़कर 3.53 अरब स्विस फ्रैंक यानी क़रीब 37,600 करोड़ रुपये हो गई। यह वृद्धि तीन गुना से अधिक है और इसमें व्यक्तिगत जमा, बैंकों, वित्तीय संस्थानों और कंपनियों द्वारा जमा राशि शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारतीय ग्राहकों की जमा राशि में 11% की वृद्धि दर्ज की गई। इसमें से अधिकांश राशि बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से जमा की गई है, न कि व्यक्तिगत खातों में। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

स्विट्ज़रलैंड ने साफ़ किया है कि इस राशि को ‘काला धन’ कहना ग़लत होगा, क्योंकि इसमें वैध व्यापारिक लेनदेन और निवेश भी शामिल हैं। फिर भी, इस वृद्धि ने विपक्षी दलों और लोगों को सरकार पर हमला करने का मौक़ा दे दिया है। वहीं, मोदी सरकार ने स्विस बैंकों में बढ़ती जमा राशि पर लगातार सफ़ाई दी है कि यह राशि मुख्य रूप से वैध व्यापारिक गतिविधियों का नतीजा है। सरकार का दावा है कि स्विट्ज़रलैंड के साथ सूचना साझा करने के समझौते के कारण पारदर्शिता बढ़ी है और अब जमा राशि का सही आंकड़ा सामने आ रहा है। वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि यह बढ़ोतरी भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण और निवेश में वृद्धि को दिखाती है, न कि काले धन का संकेत है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विपक्ष ने इस तर्क को खारिज कर दिया है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस ने एक बयान में कहा कि मोदी जी ने 15 लाख रुपये का वादा किया था, लेकिन 11 साल बाद स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा तीन गुना हो गया। यह जनता के साथ विश्वासघात है। आप ने इसे हवा-हवाई दावा करार देते हुए कहा कि सरकार ने काले धन को वापस लाने में पूरी तरह विफल रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मोदी के 2014 के वादों को अब जुमला कहकर खारिज करने वाले विपक्षी नेताओं का तर्क है कि सरकार ने काले धन को वापस लाने में कोई ठोस प्रगति नहीं की। विशेषज्ञों का कहना है कि स्विस बैंकों में जमा राशि की वृद्धि जरूरी नहीं कि काला धन हो, क्योंकि इसमें वैध निवेश और व्यापारिक लेनदेन भी शामिल हो सकते हैं। फिर भी यह सरकार की यह विफलता कि वह इस राशि को साफ़ तौर पर काले धन से अलग नहीं कर पाई, उसके दावों को कमजोर करती है। वैसे तो पीएम ने नोटबंदी के समय भी दावा किया था कि इससे कालाधन वापस आएगा और आतंकवाद की कमर टूटेगी। इन दो बातों के हकीकत में बदलने का भी वर्ष 2016 से इंतजार हो रहा है।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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