पेपर लीक से किया इनकार, फिर एसआईटी जांच की घोषणा का क्या फायदाः सूर्यकांत
उत्तराखंड अधिनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय पटवारी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक के मामले की एसआईटी जांच के प्रदेश सरकार के निर्णय पर एक बार फिर से उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने सरकार की घेराबंदी की है। उन्होंने कहा कि 21 सितंबर को संपन्न हुई यूकेएसएसएससी परीक्षा में किसी भी प्रकार के पेपर लीक से जब भाजपा सरकार के मंत्री, विधायक व पार्टी नेता साफ साफ इनकार कर रहे हैं। हरिद्वार के भाजपा नेता के स्कूल में बने एक परीक्षा केंद्र से परीक्षा शुरू होते ही मात्र आधे घंटे में बाहर आए प्रश्न पत्र के तीन पन्नों को महज एक नकल का मामला बताने पर तुले हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर मुख्यमंत्री को हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त जज की निगरानी में एसआईटी जांच की घोषणा करने का क्या फायदा होगा। क्योंकि इस मामले में तो पहले ही भाजपा सरकार के लोग व नेता अपना फैसला सुना चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि वास्तविकता यह है कि प्रदेश में भाजपा नेताओं के संरक्षण में एक बहुत बड़ा नकल व भर्ती माफिया का तंत्र विकसित हो गया है। सरकार व भाजपा यह भली भांति जानते हैं कि अगर इस पेपर लीक की सीबीआई जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में हो गई, तो इस माफिया तंत्र की पोल खुल जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता धस्माना ने कहा कि आज पूरे राज्य का युवा नौजवान यूकेएसएसएससी परीक्षा पेपर लीक की जांच सीबीआई से करवाने की मांग को लेकर सड़कों पर है। कांग्रेस इस मांग के समर्थन में पिछले एक सप्ताह से लगातार सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन कर रही है। अब यह बात भाजपा के बड़े नेताओं की समझ में भी आ रही है कि अगर ज्यादा देर कर दी तो भाजपा को बड़ा नुकसान हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि अब पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी कांग्रेस की मांग को दोहराया है। इसका हम स्वागत करते हैं। सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि जब तक सीबीआई जांच की घोषणा सरकार नहीं करती कांग्रेस अपना पूर्व घोषित कार्यक्रम मुख्यमंत्री आवास घेराव व फिर प्रदेशव्यापी जन जागरण कार्यक्रम जारी रखेगी।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




