जोशीमठ में जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण की आज हो सकती है कार्रवाई, विरोध के चलते कल नहीं चल पाए बुलडोजर
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उन्होंने प्रशासन को आत्मदाह करने की चेतावनी भी दी है। जोशीमठ में होटल मलारी इन तथा माउंट व्यू निचली आबादी के मकानों के लिए खतरा बने हैं। ऐसे में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बुधवार तक के लिए टाल दी गई। इसे लेकर दिनभर अफरातफरी का माहौल रहा। उधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ आपदा के दृष्टिगत अपने एक माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जोशीमठ प्रभावित लोगों के साथ है और उन्हें राहत पहुंचाने के लिए हर संभव कदम उठाया जा रहा है। मुख्यमंत्री राहत कोष की धनराशि का उपयोग जोशीमठ के आपदा प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जोशीमठ में मंगलवार को होटल माउंट व्यू और मलारी इन को ध्वस्त किया जाना था, लेकिन होटल स्वामियों ने कार्रवाई का विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि आर्थिक मूल्यांकन नहीं किया गया, साथ ही नोटिस तक नहीं दिए गए। विरोध बढ़ने पर प्रशासन को कदम पीछे खींचने पड़े। हालांकि अधिकारियों का कहना कुछ और ही है। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने कहा कि ऊंचे भवनों को तोड़ने के लिए क्रेन की आवश्यकता है, जो वहां नहीं मिल पाई। इसलिए देहरादून से क्रेन भेजी गई है, जो बुधवार को वहां पहुंच जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हालांकि मंगलवार को प्रशासन ने मलारी इन होटल को ही तोड़ने का रोडमैप तैयार किया था। इसके चलते सबसे पुराने होटल में सुमार होटल मलारी इन को तोड़ने के लिए बुलडोजर भी मौके पर पहुंचा। इस दौरान मौके पर एसडीआरएफ की टीम के साथ ही पुलिस भी तैनात रही और लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए लाउडस्पीकर से एनाउंसमेंट किया गया। तभी होटल मालिक ठाकुर सिंह राणा ने विरोध स्वरूप धरने पर बैठ गये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ठाकुर सिंह राणा का कहना था कि अगर जनहित में उनके होटल को गिराया जा रहा है तो मैं प्रशासन और सरकार के साथ हूं, लेकिन प्रशासन ने मुझे अब तक होटल को गिराने का नोटिस नहीं दिया गया है और न ही मेरे होटल का मूल्याकंन किया गया है। उनका कहना था कि, मैं लगातार होटल के मूल्यांकन के लिए अनुरोध कर रहा था। होटल का आर्थिक मूल्यांकन कर दिया जाए तो मैं अपना आंदोलन भी समाप्त कर दूंगा। बिना सेटलमेंट के मैं किसी भी दशा में होटल को खाली नहीं करूंगा। यदि प्रशासन जबरन ऐसा करता है तो मैं आत्मदाह कर लूंगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, सचिव मुख्यमंत्री मिनाक्षी सुंदरम ने कहा कि सीबीआरआई की टीम देरी से मौके पर पहुंची, इसलिए पहले दिन ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई। उधर, मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू ने मंगलवार को अधिकारियों की बैठक लेकर पुन: खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके भवनों को प्राथमिकता के आधार पर ढहाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एक भी भवन ऐसा नहीं रहे, जिसमें रहने से जानमाल का नुकसान हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
723 पहुंची दरार वाले भवनों की संख्या, 86 असुरक्षित
जोशीमठ में असुरक्षित भवनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मंगलवार को 45 भवन और चिन्हित किए गए। इस तरह से अब तक कुल 723 भवन चिन्हित किए जा चुके हैं। इनमें से 86 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित कर लाल निशान लगा दिए गए हैं। जल्द ही इन भवनों को ढहाने की कार्रवाई शुरू होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
462 परिवारों को विस्थापित किया गया
जिला प्रशासन की ओर से अब तक 462 परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया जा चुका है। मंगलवार को 381 लोगों को उनके घरों से सुरक्षित ठिकानों पर शिफ्ट किया गया। जबकि इससे पहले 81 परिवारों को शिफ्ट किया गया था। प्रशासन की ओर से अब तक विभिन्न संस्थाओं-भवनों में कुल 344 कमरों का अधिग्रहण किया गया है। इनमें 1425 लोगों को ठहराने की व्यवस्था की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
20 मकानों के बिजली कनेक्शन काटे
भू-धंसाव से असुरक्षित क्षेत्र में प्रशासन की ओर से ऊर्जा निगम को बिजली लाइनें हटाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत मंगलवार को 20 असुरक्षित भवनों के कनेक्शन काट दिए गए।
केंद्रीय एजेंसियों ने जमाया डेरा
मंगलवार को गृह मंत्रालय की टीम सचिव सीमा प्रबंधन की अध्यक्षता में जोशीमठ पहुंंची और स्थिति का आकलन किया। इसके अलावा केंद्रीय एजेंसियां एनजीआरआई, एनआईएच, सीबीआरआई, एनआईडीएम की टीम पहले से ही जोशीमठ में डेरा जमाए हुए हैं। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत सिन्हा ने बताया कि आईआईटी रुड़की की टीम को भी मौके पर भेजा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दरक रहा है जोशीमठ
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में धंसते जोशीमठ में तबाही का खतरा गहराने लगा है। यहां जमीन धंसने के कारण 600 से ज्यादा घरों में दरारें आ गई हैं। हाईवे दरक गए। भवन और मकानों में दरारें आ गई। कई मंदिरों पर भी खतरा मंडरा रहा है। कई स्थानों पर पानी के स्रोत फूट गए। ऐसे में लगभग 600 से ज्यादा परिवारों को उनके घर खाली करने का आदेश दे दिया गया था। साथ ही चारधाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना जैसी मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों पर स्थानीय निवासियों की मांग पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। जोशीमठ औली मार्ग आवागमन भी बंद कर दिया गया है। राज्य सरकार ने कहा है कि जिन लोगों के घर प्रभावित हुए हैं और उन्हें खाली करना है। उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से अगले छह महीने के लिए मकान किराए के रूप में 4,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रेल परियोजना की सुरंग की रिटेनिंग वॉल में दरार
ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित अटाली गांव में हुए भूधंसाव का असर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की टिहरी की व्यासी स्थित सुरंग की रिटेनिंग वॉल पर भी पड़ता दिख रहा है। इस दीवार पर कई जगह बड़ी दरार आ गई हैं। रेल विकास निगम के अधिकारियों के अनुसार यह दरार अब स्थिर है और परियोजना पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर व्यासी में सुरंग निर्माण का कार्य चल रहा है। रेल विकास निगम की ओर से सुरंग के मुहाने पर दोनों और रिटेनिंग वॉल बनाई गई हैं। अटाली गांव में हो रहे भूधंसाव का असर रेल परियोजना के निर्माण पर भी पड़ा है और रिटेनिंग वॉल में कई बड़ी दरारें आ गई हैं। जानकारी के मुताबिक बीते 20 दिसंबर से यह दरार आनी शुरू हुईं, जिनके बढ़ने का क्रम 25 दिसंबर तक जारी रहा। 25 दिसंबर के बाद से सभी दरारें स्थिर हैं। दरारों की चौड़ाई करीब 30 सेंटीमीटर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कर्णप्रयाग में भी दरार
जोशीमठ का संकट अभी तक टला भी नहीं है कि एक और समस्या सामने आ गई है। अब कर्णप्रयाग नगर निगम क्षेत्र में कुछ जगहों पर दरारें उभरने की बात सामने आई है। इससे स्थानीय प्रशासन सतर्क हो गया है। न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, कर्णप्रयाग नगर निगम क्षेत्र के बहुगुणा नगर के कुछ घरों में मोटी-मोटी दरारें देखने को मिली हैं। इससे स्थानीय लोगों में दहशत है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रेल परियोजना के कार्यों के चलते कर्णप्रयाग स्थित भवनों में दरारें आ रही हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।