देहरादून में एलिवेटेड रोड के नाम पर बस्तियां उजाड़ने के खिलाफ जनवादी संगठनों का पैदल मार्च शुरू

देहरादून में एलिवेटेड रोड के लिए रिस्पना और बिंदाल नदी से सटी सैकड़ों बस्तियों को उजाड़ने के खिलाफ अब आंदोलन तेज होता जा रहा है। जनवादी संगठनों ने प्रभावित होने वालों के विस्थापन, पुनर्वास एवं मुआवजा प्रावधान, सरकार के वायदे के अनुरूप एनजीटी की कार्रवाई से बस्ती बचाने की मांग को लेकर देहरादून में दो दिवसीय पैदल मार्च शुरू कर दिया। इस दौरान बस्तीवासियों की सुरक्षा और उन्हें मालिकाना हक देने की मांग भी की जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजपुर क्षेत्र स्थित काठबंगला बस्ती से इस पैदल मार्च का आरंभ सीटू, बस्ती बचाओ आंदोलन, एसएफआई, जनवादी महिला समिति, भारत की जनवादी नौजवान सभा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। पैदल मार्च में शामिल जत्थे को काठ बंगला राजपुर रोड में किसान सभा के प्रान्तीय अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह सजवाण ने झंडा दिखाकर रवाना किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जत्था काठ बंगला बस्ती से शुरू हो कर वीर गबर सिंह बस्ती, बारीघाट, कंडोली, राजीव नगर, आर्य नगर, ऋषि नगर आदि सभी रास्ते में पढ़ने वाली सभी बस्तियों से होकर गुजरा। आज रविवार दूसरे दिन पैदल मार्च का दूसरा दिन है। इसे जारी रखते हुए मोथरावाला तक जत्था पहुंचेगा और वहीं इस पैदल मार्च का समापन होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पैदल मार्च के दौरान इस दौरान बस्तियों में सभाएं की गई। इसमें बड़ी संख्या में बस्तीवासियों ने पैदल मार्च में हिस्सेदारी की। जिस क्षेत्र से पैदल यात्रा निकली उस क्षेत्र के लोगों ने यात्रा में सहयोग किया। साथ ही सरकार की नीतियों का विरोध किया। लोगों ने सरकार के बस्ती ध्वस्तीकरण के किसी भी फैसले के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री ने बस्तियों में रहने वाले गरीब लोगों को आश्वासन दिया था कि बस्तियां किसी भी हालात में नहीं उजड़ेगीं। हरहाल में बस्तीवासियों की हितों की रक्षा की जायेगी। सरकार के उक्त आश्वासन के बाद बस्तीवासियों ने बीजेपी के प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान कर उन्हें जिताया। अब चुनाव सम्पन्न हो चुका है। ऐसे में सरकार को बस्तीवासियों की सुरक्षा के लिए तत्काल प्रभाव से जनहित में कदम उठाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये दिया जा रहा ये तर्क
राज्य सरकार की ओर से रिस्पना-बिन्दाल नदी के ऊपर 10 हजार करोड़ की एलिबेटेड रोड़ प्रस्तावित की गई है। इसके तहत दोनों ओर बसी बर्षों पुरानी बस्तियों को हटाने का प्रस्ताव है। इन बस्तीवासियों के पुनर्वास एवं मुआवजे का प्रावधान नहीं है, जबकि हरेक योजना में विस्थापन के मापदंड जैसे पुर्नवास तथा मुआवजा का प्रावधान होता है। इस योजना में प्रभावित लोगों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का पालन नही किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बताया गया कि इससे पहले चौराहा चौड़ीकरण, चकराता रोड चौड़ीकरण, तहसील चौक, डिस्पेंसरी रोड़, आराधर, सर्वे चौक, ईसी रोड़, बल्लूपुर, बल्लीवाला चौक, मोहकमपुर फ्लाईओवर, जोगीवाला सड़क चौड़ीकरण, इन्दिरा मार्केट रि – डैवलपमैंन्ट परियोजना, आढ़त बाजार सिफ्टिंग योजना में पुर्नवास एवं मुआवजा का प्रावधान रहा है। वहीं, एलिवेटेड रोड की योजना से प्रभावित होने वाले लोगों को अतिक्रमणकारी कहकर सरकार ने जिम्मेदारी से बच रही है। साथ ही कहा गया कि सरकार की ओर से बार-बार बस्तियों की सुरक्षा तथा वहाँ रह रहे निवासियों को मालिकाना देने का फैसला सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया है। इसे व्यवहार में अविलम्ब लागू किया जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जत्थे में शामिल लोग
पहले दिन जत्थे में प्रमुख लोगों में सीपीआई (एम) के जिलासचिव व पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली, महानगर सचिव अनन्त आकाश, सीटू जिला महामन्त्री लेखराज, उपाध्यक्ष भगवंत पयाल, बीजीवीएस के अध्यक्ष सोहन सिंह रावत, नौजवान सभा संयोजक अभिषेक भण्डारी, बस्ती बचाओ आन्दोलन नरेंद्र सिंह, सोनकुमार, प्रेंमा गढ़िया, रामसिंह भण्डारी, यूएन बलूनी, राजेन्द्र शर्मा, एसएफआई के शैलेन्द्र परमार, रविन्द्र नौडियाल, गुरूप्रसाद पेटवाल, विजय भट्ट, योगेन्द्र नेगी, आनंदमणि, कनिका आदि बड़ी संख्या में जनसंगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
Are agar sarkar road bana rahi hai too banao bahut achi baat hai lekin kisi ka ghar tood ke tum road banao ge too wo garib kaha jye ge jin garibo ne apni sari zindagi ki kamayi waha laga di mere papa ne apni sari zindagi ki kamayi laga di mai sarkar se khena chata hu ki agar mera ghar tuta too mai apne pariwar ke sath khud ko mar luga bs