पूर्व सीएम विजय बहुगुणा से मिला उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का प्रतिनिधिमंडल, रखी ये बात
उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल ने उत्तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा से उनके डिफेन्स कालोनी देहरादून स्थित आवास पर भेंट की।
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प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व सीएम को अवगत कराया कि उनके मुख्यमंत्रित्व काल में प्रदेश के कार्मिको को पदोन्नति वेतनमान के साथ 10, 16 एवं 26 वर्ष की नियमित एवं संतोषजनक सेवा पर एसीपी अनुमन्य करने के साथ ही पूर्ण प्रदेश को पर्वतीय विकास भत्ता एवं वाहन भत्ता इत्यादि जैसे निर्णय किये गये थे। उन्होंने अपेक्षा की है कि वे समन्वय समिति के मांग पत्र में अंकित मांगों के निराकरण के लिए सहयोग करेंगे।
समिति के प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें बताया कि उनकी ओर से कर्मचारियों के पक्ष में लिए गए निर्णयों को पिछली सरकार ने वापस ले लिया गया था। उन्हें पुनः लागू कराने कराया जाए। इस पर विजय बहुगुणा ने समन्वय समिति के संयोजक मंडल से समस्त मांगों पर विस्तार से चर्चा करते हुए अश्वस्त किया कि वह यथाशीघ्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से वार्ता कर लम्बित मांगो को पूर्ण कराने का प्रयास करेंगे। साथ ही यह भी कहा कि वर्तमान मे भाजपा सरकार प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में यथासंभव कार्मिकों की समस्याओं के निराकरण के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुये कार्रवाई कर रही है। इसलिए प्रदेश के कार्मिको को हड़ताल पर जाने की नौबत नही आयेगी।
इसके बाद समन्वय समिति के संयोजक मंडल ने एक बैठक भी की। इसमें निर्णय लिया गया कि शीघ्र ही वर्चुअल बैठक का आयोजन कर आंदोलनात्मक तैयारी की जनपदवार समीक्षा की जायेगी। समिति ने 18 सूत्रीय मांगों को लेकर 22 नवंबर से हड़ताल की चेतावनी भी दी है। बैठक में प्रताप पंवार, अरूण पाण्डेय, शक्ति प्रसाद भट्ट, संदीप मौर्या, निष्कर्ष सिरोही, बनवारी सिंह रावत आदि कर्मचारी नेताओं ने भाग लिया।
चलाया जा रहा है आंदोलन
गौरतलब है कि 18 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड के कर्मचारियों, शिक्षकों और अधाकारियों ने साझा मंच का गठन किया है। उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के बैनर तले ही सिलसिलेवार आंदोलन किए जा रहे हैं। आंदोलन के तहत अभी तक गेट मीटिंग, जिला स्तरीय धरने, जिला स्तरीय रैली का आयोजन किया गया है। आंदोलन के चौथे चरण में छह अक्टूबर को देहरादून में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली निकाली गई।
पहले शासन की वेतन विसंगति समिति की बैठक समिति के साथ 29 सितंबर को हुई थी। इसमें समिति के प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न समस्याओं को वेतन विसंगति समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह के समक्ष बिंदुवार रखा। बैठक में अध्यक्ष की ओर से सार्थक प्रयास का आश्वासन दिया गया। इसके बाद एक अक्टूबर को समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के साथ सचिवालय में मांग पत्र पर विस्तार से वार्ता हुई। इस दौरान अपर मुख्य सचिव ने बिंदुवार चर्चा के दौरान ही कार्मिक विभाग को आवश्यक निर्देश दिए। इस दौरान अपर सचिव ने आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया था, लेकिन समन्वय समिति ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर समस्त प्रकरणों पर ठोस निर्णय लेने की मांग की। बैठक तय नहीं हुई और इस पर पांच अक्टूबर को हुंकार रैली निकाली गई । कर्मियों ने तय किया था कि 26 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। अब हड़ताल 22 नवंबर से करने का निर्णय किया गया है।
ये हैं मांगे
1-प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों, शिक्षकों, निगम, निकाय, पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16, व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया जाये।
2-राज्य कार्मिकों के लिए निर्धारित गोल्डन कार्ड की विसंगतियों का निराकरण करते हुए केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति सीजीएसएस की व्यवस्था प्रदेश में लागू की जाय। प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर उच्च कोटि के समस्त अस्पतालों को अधिकृत किया जाये। तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50 फीसद कटौती कम की जाए।
3-पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल की जाए।
4-प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए।
5-मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक के पद की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाए। तथा एक वर्षीय कम्प्यूटर ज्ञान अनिवार्य किया जाए।
6-वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाए।
7-राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन रु0 2400.00 इग्नोर करते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 तक अनुमन्य किया जाए।
8-चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टाफिंग पैर्टन लागू करते हुए ग्रेड वेतन रु0 4200.00 तक अनुमन्य किया जाए।
9-समस्त अभियन्त्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक)/संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जाए।
10-विभिन्न विभागीय संवर्गो के वेतन विसंगति/स्टापिंग पैर्टड के प्रकरण जो शासन स्तर पर लम्बित हैं, उनका शीघ्र निस्तारण किया जाये।
11-जिन विभागों के ढांचे का पुर्नगठन/एकीकरण शासन स्तर पर किया जाना प्रस्तावित हैं, उन विभागों के पूर्व स्वीकृत पदों में कटौती न की जाये। ताकि कार्मिको के पदोंन्नति के अवसर बाधित न हों।
12-राज्य सरकार की ओर से लागू एसीपी/एमएसीपी के शासनादेश में उत्पन्न विसंगति को दूर करते हुए पदोन्नति के लिए निर्धारित मापदंडो के अनुसार सभी लेवल के कार्मिकों के लिये 10 वर्ष के स्थान पर 05 वर्ष की चरित्र पंजिका देखने तथा “अतिउत्तम” के स्थान पर “उत्तम” की प्रविष्टि को ही आधार मानकर संशोधित आदेश शीघ्र जारी किया जाए।
13-जिन विभागों का पुर्नगठन अभी तक शासन स्तर पर लम्बित है, उन विभागों का शीघ्र पुनर्गठन किया जाए।
14-31 दिसम्बर तथा 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को 06 माह की अवधि पूर्ण मानते हुये एक वेतन वृद्धि अनुमन्य कर सेवानिवृत्ति का लाभ प्रदान किया जाए।
15-स्थानान्तरण अधिनियम-2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण किया जाए।
16-राज्य कार्मिकों की भांति निगम/निकाय कार्मिकों को भी समान रूप से समस्त लाभ प्रदान किये जाए।
17-तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमितिकरण से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोड़ते हुये वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/एसीपी/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किया जाए।
18-समन्वय समिति से सम्बद्ध समस्त परिसंघों के साथ पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठकों में किये गये समझौते/निर्णयों के अनुरूप शीघ्र शासनादेश जारी कराया जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।