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December 26, 2024

मिसेज इंडिया सेमिफाइनिलस्ट बनीं देहरादून की नौनी पायल

उत्तराखंड की वादियों की खूबसूरती का असर रेगिस्तान में दिखा। उदयपुर में अपने सौंदर्य का जलवा बिखरेती हुई देहरादून की नौनी पायल कुकरेती जोशी मार्वलस मिसेज इंडिया की सेमीफाइनिलस्ट बनीं। बचपन से ही माडलिंग में रुचि रखने वाली पायल ने तमाम चुनौतियों के बावजूद अपने जज्बे की बदौलत अपनी प्रतिभा को साबित कर दिया। उनकी इस उपलब्धि के बाद माडलिंग के कई आफर भी मिल रहे हैं। बकौल पायल पंखों से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एक एजुकेटर, पब्लिक रिलेशन आफिसर के तौर पर अपनी प्रतिभा को साबित कर चुकी पायल इससे पहले आर्मी मे-क्विन भी रह चुकी हैं। पायल 13 अक्तूबर को उदयपुर में आयोजित मार्वलस मिसेज इंडिया के इस सफर में इस मुकाम तक पहुंचने का श्रेय अपने पति, परिवार और दोस्तों को भी देती हैं। बकौल पायल, पति लेफ्टिनेंट कर्नल हिमांशु जोशी ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में हमेशा सहयोग करने के साथ ही प्रेरणा स्त्रोत रहे। माडलिंग और सौंदर्य प्रतिस्पर्धाओं की ऊंची उड़ान में मंजिल तक पहुंचने तक पायल कुकरेती का अनथक सफर जारी रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

मार्वलस मिसेज इंडिया में शामिल होने के बाद जब आडिशन में पायल चुनी गई तो उन्होंने इस क्षेत्र में अपने हूनर को साबित करने के लिए कोशिशें शुरू कर दी। इस सफर में पहली मिसेज इंडिया डा अदिति गोवारीकर ने उन्हें पर्सनल ट्रेनिंग दी जबकि सुपर माडल मियोनिका चटर्जी ने उन्हें रैंप वॉक की ट्रेनिंग दी। बतौर जज, फिल्म अभिनेत्री नीलम और उदयपुर की रानी की मौजूदगी में सेमिफानल में पायल ने खूबसूरती और स्मार्टनेस को साबित करते हुए इस प्रतिस्पर्धा की तैयारी में जुटी भावी कंटेस्टेंट के लिए भी एक अनूठी मिसाल कायम की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके बाद से उन्हें माडलिंग के कई आफर मिल रहे हैं। देहरादून के फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में कार्यरत पिता स्व. कुकरती और मां सुबोधिनी कुकरेती (रिटायर्ड प्रिंसिपल) की पुत्री पायल को एफआरआई केंद्रीय विद्यालय से स्कूली पढ़ाई करने के बाद डीएवी कालेज से आगे की पढ़ाई की। सेना अधिकारी ले कर्नल हिमांशु शिक्षण के साथ शुरू हुए सफर का मौजूदा पड़ाव दिल्ली हैं। यहां अपने दो बच्चों, पति और मम्मी के साथ रहते हुए अपनी प्रतिभा को नए मुकाम तक पहुंचाने के लिए सफर में हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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