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September 11, 2025

देहरादून का डीएल रोड चौक का नाम हुआ अंबेडकर चौक, क्षेत्रीय विधायक खजानदास ने किया अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण

देहरादून के डीएल रोड चौक को अब अंबेडकर चौक के नाम से जाना जाएगा। अम्बेडकर युवक संघ की ओर से यहां डाक्टर भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा को स्थापित किया गया। इसका अनावरण राजपुर विधायक खजानदास ने किया। कार्यक्रम में जनप्रतिनिधि, राजनैतिक, सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों के साथ ही तथा दलित समाज के लोगों ने भागीदारी की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर सर्वप्रथम कल्याण मित्र एसएल पाटिल ने धम वंदना की। इसके बाद विधायक खजान दास, विशिष्ट अतिथि मेयर सुनील उनियाल गामा, सीपीआई (एम) के सचिव व पूर्व ब्लॉक प्रमुख राजेन्द्र पुरोहित, महानगर सचिव अनंत आकाश, अंबेडकर संघ के अध्यक्ष बंटी कुमार सूर्यवंशी, संरक्षक व सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने प्रतिमा से कपड़ा हटा कर अनावरण किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर वक्ताओं ने डॉ. अंबेडकर के जीवन पर प्रकाश डाला। कहा कि डाक्टर भीमराव अम्बेडकर भारतीय दलित समाज के सबसे बड़े नेताओं में से ही नही थे, बल्कि उन्होंने भारत के समाज का गहराई से अध्ययन किया।समाज मे गैर बराबरी के खिलाफ आवाज उठाने के साथ ही उससे मुक्ति का रास्ता दिखया। वे समाज के सभी हिस्सो के अग्रणी नेता थे। उनका नाम हमारे देश संविधान के निर्माता के रूप में बडे़ ही आदर से लिया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

वक्ताओं ने कहा कि अम्बेडकर महिला अधिकारों के प्रबल हिमायती थे तथा अपने समय के विचारकों के उलट वे हिन्दू धर्म जाति सुधार ही नहीं, बल्कि वे समाज से जाति का पूर्ण खात्मा करना चाहते थे। वे वर्ण व्यवस्था को दैविक अनुमोदन देने वाली जाति तथा हिन्दू धर्म दोंनो की भर्त्सना करते रहे हैं। मार्च 1927 में रायगढ़ जिले के महाड़ में चवदार तालाब के संघर्ष में डा. भीमराव अंबेडकर ने हज़ारों दलितों को तालाब से पानी पीने के लिए लामबंद किया। महाड़ ही में 25 दिसम्बर 1927 को उन्होंने “मनुस्मृति दहन दिवस” मनाया जहाँ सार्वजनिक तौर पर मनुस्मृति का दहन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

1930 में नासिक समेत कई जगहों पर उन्होंने मंदिर प्रवेश के आंदोलन चलाए। वे जाति उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने वाले अथक योद्धा में से एक थे। उन्होंने गांधी के छूआछूत विरोधी अभियान को ऊंची जातियों के हित साधने के तथा वर्ण व्यवस्था को बनाये रखने के औजार के रूप में देखा। अंबेडकर महज कोई उदारवादी या संवैधानिक प्रजातंत्रवादी नहीं थे। उनके प्रगतिशील विचारों ने बुर्जुवा उदारवाद की सीमाओं को तोड़कर रख दिया। उन्होंने चेतावनी दी थी कि आर्थिक और सामाजिक बराबरी के बिना संविधान तथा राजनैतिक जनतंत्र ढकोसला बनकर रह जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम का लेखराज ने किया। इस अवसर पर भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष महक सिंह, दिलेराम रवि, अशोक कुमार, उमेश कुमार, राजवीर सिंह, पंकज सिंह, हेमन्त कुमार, विजय, नोहर सिंह, देवेंद्र, अजयपाल, आकाश, दलीप चंद आर्य, रघुनाथ लाल आर्य, सुधीर कुमार, कपिल कुमार, चमन लाल, चरण सिंह, गीता रानी, पूर्व पार्षद सावित्री देवी, पार्षद देविका रानी, नीतू, सुमन, तारा देवी, सतीश, सुखराम, आशा राम, शेखर कपिल, चमन लाल व चरण सिंह सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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