केदारनाथ के लिए हेली सेवा किराए में कटौती का निर्णय राज्य सरकार की नासमझीः गरिमा मेहरा दसौनी
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने राज्य सरकार की ओर से केदारनाथ के लिए हवाई सेवाओं में 25 फीसद की कटौती की घोषणा को अपरिपक्वता और नासमझी भरा निर्णय बताया। उन्होंने कहा कि सरकार को स्थितियां सामान्य होने का इंतजार करना चाहिए था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि भारी बारिश के चलते राज्य भर में अप्रिय घटनाएं घटित हो रही हैं। फिलहाल स्थितियां सामान्य नहीं हैं। राज्य के कई जिले आपदाग्रस्त हो गए हैं। जगह-जगह से अतिवृष्टि, भू स्खलन और क्लाउडबर्स्टिंग की खबरें आ रही हैं। ऐसे में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ ही साथ सेना को भी मैदान में उतरना पड़ा है। इस सबके बीच राज्य सरकार का केदार यात्रा का पुनः संचालन करना और उसके लिए हवाई किराये में कटौती करना मूर्खतापूर्ण निर्णय प्रतीत होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने कहा कि राज्य सरकार को तब तक इंतजार करना चाहिए था, जब तक स्थितियां सामान्य हो जाए। खबरों की माने तो अभी तक राज्य को 100 करोड़ से भी ज्यादा का नुकसान हो चुका है। कई सड़क मार्ग ध्वस्त हो चुके हैं। कई लोग या तो मलबे में दबकर या तेज पानी के बहाव में बहकर अपनी जान गंवा बैठे हैं। बड़ी संख्या में पशुओं को नुकसान की सूचना है। ऐसे में राज्य सरकार की प्राथमिकता जानमाल को हो रहे नुकसान को कम करने की होनी चाहिए। ना की राजस्व प्राप्ति करने की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि राज्य सरकार का यह निर्णय आत्मघाती प्रतीत होता है। अव्वल तो मानसून सीजन में यात्रा संचालित होनी ही नहीं चाहिए, देश के कई धामों में शीतकालीन यात्रा भी का भी संचालन कराया जाता है। आज राज्य की 80 फीसद प्रशासनिक ऊर्जा और शक्ति इन आपदा ग्रस्त इलाकों की मॉनिटरिंग, एडमिनिस्ट्रेटिंग और कोऑर्डिनेशन में जा रहा है। राज्य के दूसरे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। गरिमा ने कहा कि राज्य सरकार कन्फ्यूज्ड दिखाई पड़ती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इस वर्ष चार धाम यात्रा की शुरुआती दिनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु चार धामों में पहुंचे थे। यात्रा प्रारंभिक चरण में अव्यवस्थाओं से ग्रस्त हो गई। सरकार ने ऐलान किया कि केवल पंजीकृत यात्री ही चार धामों तक जा सकेंगे। इसके विरोध में आवाज उठीं तो फिर सरकार ने घोषणा की कि बिना पंजीकरण के भी यात्री जा सकेंगे। फिर तीसरा आदेश जारी हुआ कि पंजीकरण वाले ही यात्री जा सकेंगे। लोगों का कहना है कि कुछ यात्री धामों में पहुंच चुके थे और वहां की अव्यवस्था व पंजीकरण न होने के कारण बिना दर्शन किए वापस लौट आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सरकार ने फिर बिना पंजीकरण के ही यात्रा में जाने की अनुमति दे दी। रात को भी लोग आवाजाही कर रहे थे। हजारों की संख्या में टैक्सी, टेंपो ट्रेवलर्स के माध्यम से लोग बिना मार्ग में रुके सीधे बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री पहुंचने लगे। इसकी वजह से बिना एक्लेमाइटाइज़ हुए यात्रियों की हृदय घात से मृत्यु की खबरें आई। कुल मिलाकर लोकसभा चुनावों की व्यस्तता हो, या राज्य सरकार की उदासीनता हो, इस बार की चार धाम यात्रा पटरी से उतर गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि इस बार यात्रा संचालन में हुई अव्यवस्था को लेकर बड़ा आक्रोश देखने को मिला। इसमें कोई दो राय नहीं की चार धाम यात्रा का राज्य की आर्थिकी में बहुत बड़ा योगदान है। यात्रा के दौरान लाभान्वित होने वालों की संख्या लाखों में है। साथ ही कटु सत्य यह भी है कि यात्रा मार्ग या तो बाधित हैं, या बहुत संवेदनशील हैं। हम इस समय भी अवैज्ञानिक तरीके से संचालित इस यात्रा में प्रकृति की संवेदनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यात्रा को वर्ष भर संचालित करने के प्रश्न पर राज्य सरकार को पुनः विचार करना चाहिए। यात्रा को और सुविधायुक्त, सुगम व सुरक्षित बनाना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।