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December 23, 2024

दुनिया पर मंडराया खतरा, बढ़ रहा समुद्र का जल स्तर, मिट जाएगा भारत सहित कई देशों के शहरों का नामोनिशान

पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। इसके दुष्प्रभाव भी सामने आ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन जैसे संकट की वजह से पूरी दुनिया पर खतरा मंडराने लगा है। अब इस बीच एक डराने वाली खबर सामने आई है। 28 साल बाद यानी साल 2050 तक दुनिया भर के समुद्रों का जलस्तर करीब एक फीट तक बढ़ जाएगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के एक रिसर्च में यह बड़ा खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 28 सालों में समुद्रों का जलस्तर इतना बढ़ेगा, जितना 100 सालों में कभी नहीं बढ़ा है। इसके साथ ही धरती का तापमान बढ़ने से भारत में कैसी तबाही होगी, इसकी आशंका अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अपनी एक रिपोर्ट में जताई है। यह रिपोर्ट करीब 77 साल बाद यानी 2100 तक की तस्वीर दिखाती है। इसमें कहा गया है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने से भारत के 12 तटीय शहर 3 फीट तक पानी में डूब जाएंगे। ऐसा लगातार बढ़ती गर्मी से ध्रुवों पर जमी बर्फ के पिघलने से होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अधिकारी का दावा
NOAA के एक अधिकारी ने बताया है कि हमने अमेरिका और उसके आसपास के क्षेत्रों का बिल्कुल सटीक आंकलन किया है और यह सबसे नई स्टडी है। उन्होंने बताया कि यह एक ऐतिहासिक रिसर्च है जो लंबे समय के लिए समुद्रों के जलस्तर के बढ़ने को लेकर किया गया है। उनका कहना है कि इस स्टडी के लिए इस्तेमाल किए गए विज्ञान से साफ हो चुका है कि समुद्रों के जलस्तर में एक फीट की बढ़ोत्तरी होने वाली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीस साल के रिसर्च में मिली अहम जानकारी
रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक का कहना है कि बढ़ते जलवायु परिवर्तन पर यह एक्शन लेने का सही समय है। उन्होंने कहा कि अगर अभी कार्रवाई नहीं की गई, तो पूरी दुनिया में भयंकर तबाही मचेगी। 20 सालों तक रिसर्च करने के बाद यह जानकारी मिली है। उन्होंने बढ़ते समुद्री जलस्तर के लिए इंसानों की गलतियों को जिम्मेदार बताया है। इंसान की व्यवहार की वजह से पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन का संकट पैदा हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पूरी दुनिया में बढ़ रहा समुद्र का जल स्तर
वैज्ञानिक का कहना है कि यह रिपोर्ट दुनिया भर की रिपोर्ट से मिलती है और यह देशों की सरकारों को भी मानना होगा। उन्होंने कहा कि हर रिसर्च की गणना सही है। पूरी दुनिया में समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इसकी वजह से समुद्र के किनारे रहने वाले लोगों के दरवाजे पर तबाही खड़ी है और उनको किसी भी वक्त इसका सामना करना पड़ सकता है। समुद्रों के जलस्तर बढ़ने की वजह जलवायु परिवर्तन है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तेजी से पिघल रही है बर्फ
नासा के अधिकारी बिल नेल्सन ने बताया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री सतह के तापमान में वृद्धि हो रही है। तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं जिसकी वजह से समुद्रों का जलस्तर बढ़ रहा है। अगर वायुमंडल को ठंडा रखने की कोशिश नहीं की गई, तो धरती पर तबाही मच सकती है। लोगों को बेमौसम सैकड़ों भयानक तूफान का सामना करना पड़ सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दुनिया के बड़े इलाकों के डूबने की हुई थी भविष्यवाणी
साल 2017 में दुनिया के बड़े इलाकों के 2150 तक डूबने की भविष्यवाणी की गई थी। अब उसी रिपोर्ट को अपडेट किया है जिसमें 28 सालों में एक फीट तक समुद्री जलस्तर के बढ़ने की बात कही गई है। इसका असर कई सालों तक रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारत के डूब जाएंगे ये शहर
इसका असर भारत के ओखा, मोरमुगाओ, कंडला, भावनगर, मुंबई, मैंगलोर, चेन्नई, विशाखापट्टनम, तूतीकोरन, कोच्चि, पारादीप और पश्चिम बंगाल के किडरोपोर तटीय इलाके पर पड़ेगा। ऐसे में भविष्य में इन इलाकों में रह रहे लोगों को यह जगह छोड़नी पड़ सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नासा ने बनाया सी लेवल प्रोजेक्शन टूल
दरअसल, नासा ने एक सी लेवल प्रोजेक्शन टूल बनाया है। इससे समुद्री तटों पर आने वाली आपदा से वक्त रहते लोगों को निकालने और जरूरी इंतजाम करने में मदद मिलेगी। इस ऑनलाइन टूल के जरिए कोई भी भविष्य में आने वाली आपदा यानी बढ़ते समुद्री जलस्तर का पता कर सकेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रिपोर्ट के हवाले से चेतावनी
नासा ने इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कई शहरों के समुद्र में डूब जाने की चेतावनी दी है। IPCC की ये छठी एसेसमेंट रिपोर्ट है। इसे 9 अगस्त को जारी किया गया था। यह रिपोर्ट क्लाइमेट सिस्टम और क्लाइमेट चेंज के हालात को बेहतर तरीके से सामने रखती है। IPCC 1988 से वैश्विक स्तर पर क्लाइमेट चेंज का आकलन कर रही है। यह पैनल हर 5 से 7 साल में दुनियाभर में पर्यावरण की स्थिति की रिपोर्ट देता है। इस बार की रिपोर्ट बहुत भयानक हालात की ओर इशारा कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

समुद्र के साथ मैदानी इलाकों में मचेगी तबाही
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2100 तक दुनिया का तापमान काफी बढ़ जाएगा। लोगों को भयानक गर्मी झेलनी पड़ेगी। कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण नहीं रोका गया तो तापमान में औसतन 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। अगले दो दशक में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। इस तेजी से पारा चढ़ेगा तो ग्लेशियर भी पिघलेंगे। इनका पानी मैदानी और समुद्री इलाकों में तबाही लेकर आएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

घट जाएगा कई देशों का क्षेत्रफल 
नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा कि सी लेवल प्रोजेक्शन टूल दुनियाभर के नेताओं और वैज्ञानिकों को यह बताने के लिए काफी है कि अगली सदी तक हमारे कई देशों की जमीन कम हो जाएगी। समुद्री जलस्तर इतना तेजी से बढ़ेगा कि उसे संभालना मुश्किल होगा। इसके उदाहरण सबके सामने हैं। कई द्वीप डूब चुके हैं। कई अन्य द्वीपों को समुद्र निगल जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने का असर
भारत सहित एशिया महाद्वीप पर भी गहरे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर से बनी झीलों के बार-बार फटने से निचले तटीय इलाकों को बाढ़ के अलावा कई बुरे असर झेलने पड़ेंगे। देश में अगले कुछ दशकों में सालाना औसत बारिश में इजाफा होगा। खासकर दक्षिणी प्रदेशों में हर साल बहुत ज्यादा बारिश हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तापमान में तेजी से हो रही बढ़ोतरी
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानी दखल के चलते जिस तरह ग्लोबल वार्मिंग बढ़ी है, उससे धरती पर तेजी से बदलाव हो रहे हैं। पिछले 2000 साल में जो बदलाव हुए हैं, वे हैरान करने वाले हैं। 1750 के बाद से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन तेजी से बढ़ा है। 2019 में एनवायरनमेंट में कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल अब तक सबसे ज्यादा दर्ज किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दूसरी ग्रीनहाउस गैसें जैसे मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड 2019 में इतना बढ़ गईं, जितना कि पिछले 80 लाख साल में नहीं रहीं। 1970 के दशक से धरती के गर्म होने की दर में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले 2000 साल में तापमान उतना नहीं बढ़ा, जितना पिछले 50 साल में बढ़ा है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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