पर्यटक व तीर्थ स्थलों पर भीड़ः नियम तो पहले से थे लागू, अब चेते, राज्य की सीमाओं से लौटाए 5500 वाहन

आदेश को पहले से हैं। सिर्फ आदेश का पाठ उन्हें पढ़ाया जाना चाहिए, जो इसे लागू कराने में जुटे हैं। यानी कि चेक पोस्ट में कर्मी। फिलहाल ऐसा लग रहा है कि सरकार का फौकस मसूरी और नैनीताल में बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करना है। इसीलिए बार बार आदेश जारी करने की बात कही जा रही है। अब एक आदेश ये भी है कि बगैर होटलों में बुकिंग के मसूरी में प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा। जो लोग सुबह मसूरी पहुंचकर शाम को लौटते हैं, ऐसी स्थिति में उनके लिए क्या आदेश हैं, ये स्पष्ट नहीं है।
हरिद्वार में उड़ रही नियमों की धज्जियां
जहां अप्रैल माह में उत्तराखंड के सभी जिलों में लॉकडाउन लागू किया गया, वहीं हरिद्वार जिले में कुंभ के चलते इसे लॉकडाउन से अलग रखा गया। कुंभ समाप्ति के बाद ही हरिद्वार में कोरोना कर्फ्यू को लागू किया गया। अन्य जिलों की अपेक्षा बंदी की मार को कम झेलने के बावजूद वहां के व्यापारी कोरोना कर्फ्यू के दौरान बाजार खोलने को लेकर आंदोलन करते रहे। फिलहाल अब सप्ताह में छह दिन सुबह आठ बजे से शाम सात बजे तक बाजार खुल रहे हैं। तीर्थ नगरी होने के कारण हरिद्वार में भीड़ उमड़ रही है। शनिवार को वीकेंड पर यहां नियमों की धज्जियां उड़ती नजर आई।
गंगा घाटों पर ठसाठस नजर आ रहे पर्यटक और श्रद्धालु
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर जल्द आने की आशंका के बीच कुंभनगरी पर्यटकों से पूरी तरह से गुलजार हो गई है। जहां हरिद्वार में अस्थि विसर्जन के लिए वाहन में चार सदस्यों को ही हरिद्वार जाने की अनुमति है। वहीं, बगैर किसी प्रायोजन के हरिद्वार पहुंच रहे लोगों के लिए शायद कोई नियम नहीं हैं। या फिर नियमों से संबंधित पर्यटकों के दस्तावेज चेक नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में उमड़ रही भीड़ की ओर से कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। हरकी पैड़ी से लेकर शहर के गंगा घाट पर्यटकों से ठसाठस भरे नजर आ रहे हैं। न तो कोई मास्क पहन रहा है और न ही कोई शारीरिक दूरी का पालन करता दिखाई दे रहा है। जिम्मेदार महकमे पूरी तरह से विफल दिखाई दे रहे हैं।
शनिवार को पैक थी धर्मनगरी
वीकेंड पर शनिवार को धर्मनगरी हरिद्वार में भारी भीड़ देखने को मिली। हरकी पैड़ी से सटी आसपास की वाहन पार्किंग पूरी तरह से पैक थी। शहर के प्रमुख बाजारों में भी पर्यटकों की खासी भीड़ थी। कोरोना संक्रमण की रफ्तार मंद पड़ने के साथ-साथ नियमों में छूट मिलने पर पर्यटक राज्य में लगातार पहुंच रहे हैं। मसूरी से लेकर आसपास के पर्यटन क्षेत्र में पर्यटक लगातार पहुंच रहे हैं। हरकी पैड़ी, सुभाषघाट, रामघाट, मालवीय द्वीप गंगा घाट, पंतद्वीप गंगा घाट, विष्णु घाट से लेकर शहर में हर जगह पर्यटक ही पर्यटक नजर आ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि कोई भी कोरोना नियमों की परवाह नहीं कर रहा है। अधिकांश पर्यटक बिना मास्क के ही शहर में घूम रहे हैं और इसके शारीरिक दूरी के नियम के पालन की उम्मीद करना ही बेमानी है।
हवाई साबित हो रहे दावे
इधर, जिला प्रशासन एवं पुलिस महकमे के अफसर कोरोना नियमों के पालन का दावा जरूर कर रहे हैं, लेकिन हकीकत इसके उलट ही है। हरकी पैड़ी चौकी पुलिस भी पूरी तरह से बेबस दिखाई दे रही है। क्योंकि पर्यटक रोजाना अच्छी खासी संख्या में पहुंच रहे हैं।
ये नियम तो पहले से थे, अब देख रहे कागजात
उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों पर उमड़ रही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने सख्त कदम उठाए हैं। सरकार के निर्देश पर प्रदेश की सीमाओं पर चेकिंग शुरू कर दी गई है। 72 घंटे के भीतर की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट व होटल में बुकिंग के प्रमाण दिखाए बिना पर्यटकों को मसूरी और नैनीताल समेत अन्य प्रमुख पर्यटक स्थलों में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। पहले से ही गाइडलाइन में स्पष्ट है कि पर्यटक स्थलों में जाने वालों को 72 घंटे की आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। वहीं, दूसरे राज्य से आने वालों को सीमाओं में ही रिपोर्ट दिखानी होगी।
दूसरे राज्यों के लौटाए वाहन
इसके अलावा स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण की भी जांच की जा रही है। शनिवार को प्रदेश में दिनभर में तमाम पुलिस चेक पोस्ट से ऐसे ही करीब 5500 वाहनों को लौटाया गया। इनमें से 3400 से ज्यादा वाहन मसूरी आने वाले थे। हालांकि, इसके बावजूद शनिवार को मसूरी और नैनीताल में खासी भीड़ रही और दिनभर जाम ने परेशान किया।
यहां उमड़ रहे पर्यटक
कोरोना संक्रमण के मामले घटने और कोरोना कर्फ्यू में रियायत के बाद से मसूरी, कैंप्टीफाल, नैनीताल, लैंसडौन व अन्य पर्यटक स्थलों पर बड़ी संख्या में पर्यटक उमड़ रहे हैं। खासकर वीकेंड पर अन्य राज्यों से पहुंच रहा हुजूम चिंता बढ़ा रहा है। यहां न तो शारीरिक दूरी का पालन किया जा रहा है और न ही पर्यटक मास्क लगाने को तैयार हैं। यही नहीं मीलों लंबे जाम भी चुनौती में इजाफा कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण बढ़ने की आशंका को देखते हुए उच्च न्यायालय भी हालात पर चिंता जता चुका है। वहीं, सरकार कांवड़ यात्रा को लेकर विचार कर रही है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।