रचनात्मक महिला मंच ने सल्ट में निकाला जुलूस, इन मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के सल्ट में आज महिलाओं के संगठन- रचनात्मक महिला मंच ने बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष के संबंध में जुलूस निकालकर एसडीएम कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। इस दौरान एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महिलाओं का विशाल जलूस नारेबाजी करता हुआ मौलेखाल से शुरू हुआ। एसडीएम कार्यालय पहुंचकर एक सभा में बदल गया। सभा में रचनात्मक महिला मंच की अध्यक्षा निर्मला देवी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष निरन्तर बढ़ रहा है। इस संघर्ष की वजह से हमारी जान, कृषि व पशुपालन भारी संकट में है। उन्होंने कहा कि आकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड राज्य में वर्ष 2022-23 में जनवरी माह तक वन्यजीवों की ओर से मानवों पर हमले के कुल 428 मामले सामने आए हैं। वन्यजीवों की ओर से किए गए हमलों में 80 लोगों की मौत हुई है, जबकि 348 लोग घायल हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा हम सल्ट विकास खण्ड के निवासी इस संघर्ष से बुरी तरह प्रभावित हैं। सल्ट में हाल ही के महीनों में एक महिला बाघ के हमले में घायल हुई व 2 महिलाओं की मौत हुई। हम लोग जंगली जानवरों की वजह से आतंकित हैं व सामान्य जीवन नहीं जी पा रहे है। हम अपने छोटे बच्चों को आगनवाड़ी केन्द्र व स्कूल भेजने में डर रहे हैं इससे हमारे बच्चों का भविष्य भी संकट में है। खेतों में काम करने व जंगलों से पशुओं के लिए घास लेने जाने की हमारी हिम्मत नहीं है। इससे हमारी कृषि व पशुपालन तबाही के कागार पर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जानवर के हमले से घायल होने वाले व्यक्ति के ईलाज के लिए मिलने वाली राशि भी बहुत कम है, सल्ट में घायल हुई महिला के संदर्भ में हमने देखा कि उन्हें यह कहकर आयुष्मान कार्ड का लाभ भी नहीं दिया गया कि आपको सरकार से मुआवजा मिलेगा, लेकिन मुआवजा इतना कम था कि उससे ईलाज कराना संम्भव ही नहीं हुआ। जानवर के हमले में मनुष्य की मौत होने पर बीमा कम्पनिंया भी यही कहकर लाभ देने से इनकार करती हैं कि सरकार मुआवजा दे तो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर वन पंचायत थला के सरपंच प्रयाग दत्त ने कहा कि जंगली जानवरों से खेती को हाने वाले नुकसान का मुआवजा लेने कि प्रक्रिया इतनी दुरह है कि हममे से कोई भी आज तक इस मुआवजे को नहीं ले पाया है। रचनात्मक महिला मंच द्वारा एसडीएम को सौपने से पहले ज्ञापन को सबके सामने पढ़ा गया । (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है मांगे
-जंगली जानवर के हमले से होने वाली मनुष्य की मौत का मुआवजा रू० 25 लाख किया जाय।
-जंगली जानवरों के हमले में घायल होने वाले व्यक्ति के इलाज का पूरा खर्च सरकार वहन करे।
-जंगली जानवरों के हमले में मरने वाले खच्चर के लिये मुआवजा रू० 1 लाख, गाय/भैंस के लिये रू० 50 हजार व बकरी के लिये रू० 20 हजार किया जाय।
-जंगली जानवरों द्वारा फसलों को होने वाले नुकसान का मुआवजा बढ़ाया जाय व उक्त मुआवजे को प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान किया जाय।
-पंचायती वनों को पूरी तरह ग्रामीणों को सौंपा जाय व उनके लिये हर वर्ष ग्राम पंचायतों को मिलने वाली वित्त की निधि की तर्ज पर विकासात्मक गतिविधियों के लिये निधि की व्यवस्था की जाय। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नुक्कड़ नाटक के मंचन से बताई समस्या
इस दौरान श्रमयोग के सदस्यों द्वारा नुक्कड़ नाटक किया गया। नाटक में कहा गया कि सिकुड़ते वन आवरण, वन्यजीव गलियारों में सड़को इत्यादि के निर्माण, जंगलों में लगने वाली आग, जंगलों में भोजन व पानी की कमी, जंगलों में वर्चस्व हेतु संघर्ष के कारण जानवर जंगल से बाहर निकल आते हैं और मनुष्यों पर हमला करते हैं अतः जंगली जानवरों से सतर्क रहें। पशुओं के लिये घास एकत्र करने के दौरान या खेतों में काम करते समय अपने कान व आँखें खुली रखें। काम करने जाते-आते बातचीत करते रहें, चुपचाप न चलें। गाँवों के आस-पास झाड़ियों का कटान करें। झाड़ियाँ ही जानवर को छिपने की जगह देती हैं, जहाँ छिपकर वह हमला करता है। बाखलियों में रात्रि में पर्याप्त प्रकाश करें। छोटे बच्चों को अकेला न छोड़े बच्चे स्कूल समूहों में ही जायें। जंगल में लगने वाली आग के प्रति बेहद सतर्क रहें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने दी चेतावनी, ये रहे प्रद्रशन में शामिल
अंत में वक्ताओं ने कहा कि यदि सरकार ने हमारी मांगो पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया तो मंच आन्दोलन करने को बाध्य होगा। इस दौरान ग्राम प्रधान विजय ध्यानी, श्रमयोग के सदस्य अजय कुमार, शंकर दत्त,, आसना, दिव्या, उमा, अनीता, विक्रम, सुरेन्द्र, राकेश व सल्ट विकासखण्ड के अनेक गाँव के स्वयं सहायता समूहों की सदस्याऐं व ग्रामीण उपस्थित रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।