गूलर में निर्माणाधीन पुल ढहने पर भाकपा माले ने क्या कहा, आप ही पढ़ लीजिए
उत्तराखंड में भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कल गूलर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुल के ढह जाने से हताहत हुए और घायल मजदूरों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की। साथ ही राज्य सरकार से मांग की है कि मृतक के परिवार को न्यूनतम 50 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 25 लाख रुपया मुआवजे के तौर पर दिया जाए। उन्होंने कहा कि जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक मजदूर बिना हेलमेट और अन्य सुरक्षा उपकरणों के काम कर रहे थे। इसलिए जब पुल का लिंटर ढहा तो सभी मजदूरों को सिरों पर गंभीर चोटें लगी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर चार धाम प्रोजेक्ट के काम में लापरवाही का यह सिलसिला नया नहीं है। इससे पहले 21 दिसंबर 2018 को भी रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग पर बांसवाड़ा में पहाड़ के मलबे में दब कर मजदूर घायल हुए और सात से अधिक मजदूर जान से हाथ धो बैठे थे। उस समय मजदूरों के मलबे में दब कर मरने के मामले में रुद्रप्रयाग पुलिस ने माना है कि यह दुर्घटना निर्माण एजेंसी की लापरवाही का परिणाम था। निर्माण एजेंसी द्वारा सुरक्षा मानकों को ताक पर रख कर काम करवाया जा रहा था।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष अगस्त के महीने में नरेन्द्रनगर के खेड़ा गाँव में चार धाम परियोजना के सड़क का पुश्ता ढहने से एक मकान जमींदोज हो गया और तीन युवा जिंदगियाँ इस मलबे में दफन हो गयी। इस तरह देखें तो चार धाम परियोजना में घटिया गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर ताक पर रखने का एक अनवरत सिलसिला है। जो निरंतर मजदूरों और अन्य लोगों की जान ले रहा है। हर बार दुर्घटना के बावजूद कार्यदाई एजेंसियों और ठेकेदारों के जानलेवा तौर-तरीकों में कोई बदलाव नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि भाकपा (माले) यह मांग करती है कि जिनके मुनाफे और लापरवाही के चलते मजदूर और अन्य लोगों को प्राण गंवाने पड़ रहे हैं, ऐसे ठेकेदारों और कार्यदाई एजेंसी के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाये। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाये कि भविष्य में सुरक्षा मानकों समेत सभी मानकों का अनुपालन हो।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।