कोरोना की तीसरी लहर, जरूरत पड़ने पर सीएम आवास? विधायक निधि के एक करोड़ से क्या हुआ, हाईकोर्ट ने दावों को क्यों बताया झूठ
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फ्लैशबैक में जाकर याद कीजिए
अब हम फ्लैश बैक में चलते हैं। कोरोना की दूसरी लहर में दूसरे बड़े राज्यों की भांति उत्तराखंड में भी मरीज बेड, आक्सीजन सिलेंडर के लिए तरसने लगे। अस्पतालों में जगह नहीं थी। रेमडेसिविर जैसे इंजेक्शन का भी अकाल पड़ गया। मौत के आंकड़ों की गिनती सिर्फ अस्पतालों की मौत की ही हो रही थी। सरकार ने हाथ खड़े कर दिए थे। वहीं, विभिन्न राजनीतिक दल, स्वयंसेवी संस्थाएं लोगों की मदद कर रहे थे। घरों में हुई मौत का तो शायद कहीं आकंड़ा तक नहीं है। ना ही ऐसी मौत का कोई ऑडिट ही कराया गया। यदि संक्रमण और मौत की बात की जाए तो सात मई को सर्वाधिक 9642 नए कोरोना संक्रमित उत्तराखंड में मिले थे और शनिवार 15 मई को सर्वाधिक 197 मौत दर्ज की गई थी। इस दौरान अस्पतालों ने मौत के मामले छिपाकर रखे। अब हर दिन कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़ों के योग के साथ पिछली मौत के आंकड़े जोड़ने का सिलसिला 17 मई से चल रहा है। कुंभ को लेकर सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया। सरकार ताली बजाती रही और कोरोना जांच के नाम पर झूठी रिपोर्ट तैयार होती रही। जहां प्रदेश भर में हर जिलों में संक्रमित बढ़ रहे थे, वहीं हरिद्वार में फर्जीवाड़े के चलते वहां लोग निगेटिव निकल रहे थे। अब फर्जीवाड़ा पकड़ में आया तो एसआइटी से जांच कराई जा रही है।
विधायक निधि से एक करोड़, कितना हुआ काम
हर दिन सरकार की ओर से दावे तो किए जाते हैं, लेकिन ये नहीं बताया जाता कि विधायक निधि से हुए कार्यों को कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। देहरादून में तो रायपुर विधायक ने दावा किया था कि उन्होंने कोविड सेंटर में आइसीयू सुविधायुक्त अस्पताल का निर्माण करा दिया है। सभी उपकरण लगा दिए गए हैं। क्या कोरोना की तीसरी लहर में इन अस्पतालों में बच्चों के लिए बेड सुरक्षित नहीं रखे जा सकते हैं। हालांकि ये बात अलग है कि अस्पताल के औचित्य पर ही मंत्री गणेश जोशी ने सवाल उठा दिए थे। तब वाहवाही के लिए खूब बयान आते रहे, लेकिन ये नहीं बताया गया कि इस अस्पताल में कितने मरीजों को अब तक भर्ती किया गया। ये सिर्फ उदाहरण है। हर विधायक को कोरोना की दूसरी लहर में कोविड कार्यों के लिए एक करोड़ रुपये विधायक निधि से खर्च करने की छूट दी गई थी। सभी ने बढ़चढ़कर दावे किए थे। आज जरूरत है कि यदि हर विधायक ने अस्पतालों की व्यवस्था की है तो वहां बच्चों के लिए वार्ड की व्यवस्था की जाए। हर शहर और ब्लॉक में ऐसी व्यवस्था हो।
क्या उत्तराखंड में व्यवस्थाएं पूरी नहीं
अब सवाल उठता है कि क्या उत्तराखंड में व्यवस्थाएं पूरी नहीं। यदि पूरी हैं तो फिर सीएम को सीएम आवास को तीसरी लहर में देने की क्या जरूरत है। या फिर वाहवाही लूटने के लिए ऐसे बयान दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का बयान आया कि कोविड की तीसरी लहर को लेकर सरकार अपनी तैयारियां पूरी करने में जुट गई है। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर के लिए मेरा मुख्यमंत्री आवास भी तैयार हो रहा है। वही सीएम ने कहा कि कांग्रेस का काम धरना प्रदर्शन करना है इसीलिए जनता ने उन्हें नकारा है।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
कोरोना की तीसरी लहर से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने यह तक कह दिया था कि आपकी तैयारी क्या हैं। क्या जब बच्चे मरने लगेंगे तब सरकार तैयारी करेगी। साथ ही एंबुलेंस, अस्पतालों की व्यवस्था आदि पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने सरकार के एंबुलेंस सहित अन्य दावों को भी झूठ करार दिया। कहा कि अब हमें मूर्ख न बनाएं। मत बताइये कि उत्तराखंड में रामराज्य है और हम स्वर्ग में रहते हैं। आप रोडवेज के ड्राइवर्स-कंडक्टर्स को पांच महीने से सेलरी नहीं दे पा रहे हैं। आप पर्याप्त एंबुलेंस की बात करते हैं, लेकिन खबरें आती हैं कि पहाड़ों में गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस नहीं मिलती है और पालकी से ले जाना पड़ता है। हमें मूर्ख बनाना बंद करिए हकीकत हमें पता है।
सरकार के शपथपत्र को बताया भ्रामक और झूठा
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, सच्चिदानंद डबराल, अनु पंत की जनहित यचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य सचिव ओमप्रकाश, वित्त व स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी व पर्यटन सचिव आशीष चौहान पेश हुए। सरकार की ओर से मामले में 700 पेज का शपथपत्र पेश किया गया। कोर्ट ने शपथपत्र को भ्रामक करार देते हुए सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि प्रदेश में कोविड से आधी मौतें सरकार की अधूरी तैयारियों की वजह से हुईं। सरकार ने कोविड नियमों का पालन नहीं किया। गंगा दशहरा पर हजारों लोगों ने हरकी पैड़ी में स्नान किया। सरकार उस भीड़ में नदारद रही।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।