कोरोनाः उत्तराखंड में कई सरकारी टीकाकरण केंद्र में लगे ताले, वैक्सीन का अभाव या उत्सव की तैयारी, केंद्र का आंखोंदेखा हाल

उत्तराखंड में कोरोना वैक्सीनेशन के कई सरकारी टीकाकरण केंद्र से आज लोगों को वापस लौटा दिया गया। देहरादून में दून मेडिकल कॉलेज के सीएमएस छात्रावास में बनाए गए टीकारण सेंटर में पहुंचे देहरादून के कंडोली निवासी देव सिंह बिष्ट ने बताया कि जब इस केंद्र में वैक्सीन का अभाव बताकर उन्हें लौटा दिया गया तो वे पत्नी के साथ निजी चिकित्सालय में टीका लगाने पहुंचे। आज जनपद में सिर्फ तीस सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण किया जा रहा है, जबकि दो दिन पूर्व टीकाकरण केंद्रों की संख्या 87 थी।
अब बात करें वैक्सीनेशन की तो अभी तक प्रदेश को वैक्सीन की 13 लाख डोज मिली है। इसमें 11 लाख के आसपास इस्तेमाल हो चुकी हैं। राज्य के पास अब वैक्सीन की डेढ से दो लाख डोज ही बची हैं। इस संबंध में राज्य की ओर से केंद्र को वैक्सीन की डिमांड की गई है।
उत्सव के लिए बचाई गई वैक्सीन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में आठ अप्रैल को विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में टेस्टिंग और ट्रेसिंग पर जोर दिया था। वहीं, ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाने की बात कही। उन्होंने मीटिंग में मौजूद सभी मुख्यमंत्रियों से कहा कि हम 11 अप्रैल ज्योतिबा फुले के जन्मदिवस से लेकर 14 अप्रैल, बाबा साहब आंबेडकर के जन्मदिन तक देश में ‘टीका उत्सव’ मना सकते हैं। बस पीएम मोदी के इस मंत्र को सरकारों ने पकड़ लिया और टीका उत्सव मनाने के लिए बची खुची वैक्सीन को लगाना बंद कर दिया। सवाल उठता है कि वैक्सीन के नाम पर क्या कोरोना टीकाकरण केंद्रों में भीड़ जुटाई जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो स्थिति और गंभीर हो जाएगी। क्योंकि टीकाकरण केंद्रों में भी भीड़ जुटने से कोरोना बंटने का डर है।
एक टीकाकरण केंद्र का आंखोदेखा हाल
आज इस केंद्र में कोरोना का टीकाकरण नहीं हो रहा है, लेकिन हम अन्य दिनों का हाल बता रहे हैं। दून मेडिकल कॉलेज के सीएमएस छात्रावास स्थित टीकारण केंद्र में पहुंचने पर सबसे पहले आधार कार्ड को देख गार्ड रजिस्टर में एंट्री करता है। साथ ही एक छोटी पर्ची को टीका लगाने पहुंचे व्यक्ति को देता है। इसमें उसका नंबर लिखा होता है। गार्ड ने नाक व मुंह मास्क से ढका है। वह कहता है कि लॉन में रखी चेयर पर बैठ जाएं।
खाली कुर्सी पर टीका लगाने वाला बैठ जाता है। उससे पहले भी उसी कुर्सी पर कोई बैठा रहा होगा। कुर्सी को बार बार सैनिटाइज नहीं किया गया। फिर जब नंबर आता है तो एक छोटे कक्ष में व्यक्ति पर्ची लेकर पहुंचता है। वहां एक युवक रजिस्टर और एक युवती कंप्यूटर में टीका लगाने वाले का विवरण दर्ज करते हैं। दोनों ने ही मास्क मुंह से नीचे लटवाए हुए हैं।
विवरण दर्ज करने के साथ ही टीका लगवाने आए व्यक्ति के नाम की पर्ची काटी जाती है। वह पर्ची लेकर इंजेक्शन रूम में जाता है। वहां भी दो महिलाएं हैं। मास्क लगाना या ना लगाना उसकी मर्जी पर ही आधारित है। टीका लगाने के बाद व्यक्ति को दूसरे कक्ष में भेजा जाता है। वहां एक नर्स बैठी है। जिसका मुंह व नाक दोनों ही मास्क से ढके हैं। वह व्यक्ति का विवरण रजिस्टर में दर्ज करती है। साथ ही व्यक्ति की पल्स रेट नापती है। पल्स रेट नापने से पहले व्यक्ति के हाथों को सैनेटिइज नहीं कराया जाता। ऐसे में डर है कि उससे पहले किसी व्यक्ति ने यदि उपकरण में अंगुली लगाई और वह कोरोना संक्रमित हुआ तो क्या होगा। पल्स रेट मापने के बाद व्यक्ति को वहां एक बेड या फिर कुर्सी में बैठने को कहा जाता है।
कुर्सी व बेड भी बार बार सेनिटाइज नहीं किए जा रहे हैं। इस दौरान टीका लगाने वाले को दो पेरासिटामोल की गोली दी जाती है। बताया जाता है कि यदि घर में कोई दिक्कत हो तो एक गोली खा लेना। आधे घंटे के बाद यदि व्यक्ति को कोई दिक्कत न हो तो उसे घर जाने को कहा जाता है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।