सीएम के हस्तक्षेप के बाद भी बढ़ा विवाद, दलित भोजनमाता को हटाया और सवर्ण की नियुक्ति, अब दलित छात्रों ने किया भोजन से मना
उत्तराखंड के चंपावत जिले में भोजनमाता को लेकर विवाद थम नहीं रहा है। दलित भोजनमाता की नियुक्ति की गई तो छात्रों और अभिभावकों में रोष फैल गया। अब दलित भोजनमाता को हटाकर स्वर्ण को नियुक्त किया गया तो दलित विवाद थमने की बजाय और बढ़ गया।

पहले आरोप लगे कि स्कूल प्रबंधन ने बगैर किसी प्रस्ताव के नियुक्ति भोजन माता शकुंतला को हटा दिया। फिर बिना कोई विज्ञप्ति जारी किए भोजन माता की रिक्ति जारी कर दी। इसमें छह महिलाओं ने आवेदन किया, जिसमें सवर्ण पुष्पा भट्ट की भोजन माता की नियुक्ति कर दी। कुछ दिन बाद रिक्ति की दूसरी विज्ञप्ति जारी कर दी गई। जिसमें पांच महिलाओं ने आवेदन किया। स्कूल प्रबंधन ने इसमें से एससी सुनीता देती की भोजन माता पद पर नियुक्ति करने के साथ भोजन बनाने का काम शुरू कर दिया। महिला की जाति के कारण छात्रों ने खाना खाना बंद कर दिया और घर से अपना खाना टिफिन बॉक्स में लाना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि स्कूल के 66 छात्रों में से 40 ने दलित समुदाय की महिला द्वारा तैयार खाना खाने से मना कर दिया था। इसका विरोध हुआ तो दलित भोजनमाता को हटाकर सवर्ण भोजनमाता की नियुक्ति कर दी गई। अब दलित छात्रों ने भोजन करने से मना कर दिया।
मामले में इसी बीच नया मोड़ आ गया है। शुक्रवार को सवर्ण भोजन माता द्वारा बनाए जा रहे भोजन को एससी बच्चों ने खाना खाने से मना कर दिया है। घर से लाए टिफिन के खाने को ही एससी के बच्चों ने खाया। इस घटना से शिक्षा विभाग में खलबली मच गई है। प्रधानाचार्य ने घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी है। कुल मिलाकर यह मामला नियुक्ति में गड़बड़ी का है या जाति का, कोई स्पष्ट रूप से कहने को सामने नहीं आ रहा है। हां यह जरूर है कि चुनाव नजदीक है और यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।