नारी सशक्तिकरण में शिक्षा का योगदान, गद्य और पद्य शैली में पढ़िए रोचक लेख
भारत विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जहाँ नारियों को पूजा की जाता है। चाहे नव दुर्गे के रूप में या फिर कन्या के रूप में या अन्य किसी भी रूप में। नारी को सदैव आदर के भाव से देखा जाता है। जगत जननी के नाम से नारी को सम्मान दिया जाता है। नारी जन्मदायनी है इसलिए नारी को सर्वश्रेठ समझ जाता है। चिंतन, मनन किया जाय तो ये कितना सार्थक है, किसी से छुपा नही है। यद्यपि स्त्रियां पूजी जाती हैं, लेकिन मात्र पुस्तकों व सिधान्तो में। आज भी स्त्रियों का स्थान समाज मे अंतिम पायदान में है। कतिपय समाजो में तो स्त्रियों को हाशिये पर रखा जाता है। पुरुष प्रधान समाज के साथ- साथ अशिक्षा स्त्रियों की दयनीय स्थिति का अहम कारण है। हालांकि कुछ सुशिक्षित परिवारों में भी नारी को तुच्छ दृष्टि से देखा जाता है।जिस कारण उसे मानसिक व शारीरिक यातनाएं भी सहनी पड़ती हैं।
पाना है गर सम्मान
बचाना है यदि अस्तित्व
लेनी होगी शिक्षा की कमान।
जिसके गवाह समाचारपत्र और समाचार चैनल आए दिन ऐसी खबरों को प्रसारित कर समाज को जागरूक करने का कार्य भी कर रहे है। शिक्षा एक ऐसा सरल एवं सुगम माध्यम है, जिससे नारी अपने व्यक्तित्व को सक्षम व सबल बना सकती है।
शिक्षा हैअनमोल रतन हर नारी को इसे पाने का करना होगा पुरजोर जतन।
शिक्षा ऐसा हथियार है जो प्रत्येक नारी को चाहे वो कामकाजी हो या घरेलू, में आत्मविश्वास पैदा कर स्वतंत्र अभिव्यक्ति की क्षमता प्रदान करती है। अपने अधिकारों एवम अपने कर्तव्यों समझने की क्षमता रख पाएगी और जीवन के हर पहलू में उनका निर्वहन करना जानेगी। जब नारी शिक्षित होगी, परिवार बच्चे सभी को एक नई दिशा व नए आयाम तक पहुंचायेगी। जीवन के विभिन्न परिस्थियों को बखूबी से निभा पाएगी। बेटियां अपने अस्तित्व को बचा सकेगी।
पढ़ी-लिखी जब होगी नारी
हर काम करेगी बड़ी आसानी
न होगी कभी किसी पर भारी।
शिक्षित माँ अपने बच्चों से चाहे वो पुत्र हो या पुत्री खुल कर हर विषय पर बात कर सकती है। निश्चित तौर से बेटों में भी अच्छे संस्कारों का सृजन करेगी, जिससे वे हर बेटी का सम्मान कर सकेंगे। अर्थात शिक्षा मात्र धन अर्जित करने का साधन नही अपितु जीवन के विभिन्न कौशलों को सीखने और सिखाने की प्रक्रिया के साथ साथ उनका क्रियांवयन करना सिखाती है। जो एक नारी के लिए बहुत मत्वपूर्ण है।
जन्म देने का अधिकार मिलेगा
कन्या भ्रूण हत्या न करके,
बेटी का महत्व समझाएगी।
नारी का शिक्षित होना एक शिक्षित समाज का द्योतक है।नारी शिक्षा ऐसी कुंजी है जो सफलता के समस्त द्वारों को खोलती है।
आत्मविश्वास से भर जाएगी
हर क्षेत्र में आगे बढ़कर
नारी का गौरव बढ़ाएगी।
लेखिका का परिचय
सन्नू नेगी
सहायक अध्यापिका
राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल सिदोली
कर्णप्रयाग, चमोली उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
मेरे लेख को स्थान देने के लिए लोकसक्ष्य का बहुत बहुत आभार?