उत्तराखंड में खड़ा हुआ संवैधानिक संकट, अब दोबारा नेतृत्व परिवर्तन या राष्ट्रपति शासन का ही विकल्प
उत्तराखंड में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। इस पर या तो दोबारा नेतृत्व परिवर्तन होगा, या फिर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। ये दावा कांग्रेस नेता एवं उत्तराखंड के पूर्व मंत्री मंत्री नव प्रभात ने किया।
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उत्तराखंड में वर्तमान में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत विधायक नहीं हैं। अपने पद पर बने रहने के लिए, उन्हें 9 सितंबर को छह महीने पूरे होने से पहले विधानसभा का निर्वाचित सदस्य बनना होगा। अब, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151 ए के तहत, उस स्थिति में उप-चुनाव नहीं हो सकता, जहां आम चुनाव के लिए केवल एक साल बाकी है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि गंगोत्री और हल्दवानी विधानसभा सीटें मौजूदा विधायकों की मौत की वजह से खाली हैं। उन्होंने कहा, ‘उत्तराखंड में दो विधानसभा सीटें खाली हैं। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2022 में खत्म होगा। इसका मतलब है कि इस विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में 9 महीने ही बचे हैं। अगर ऐसे देखा जाए तो 9 सितंबर के बाद मुख्यमंत्री पद पर तीरथ सिंह रावत के बने रहने संभव नहीं है। ऐसे मामले में उत्तराखंड में एक बार फिर नेतृत्व में बदलाव किया जाएगा।
गौरतलब है कि छह मार्च को भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह देहरादून आए थे। उन्होंने भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद फीडबैक लिया था। इसके बाद उत्तराखंड में आगामी चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री बदलने का फैसला केंद्रीय नेताओं ने लिया था। इसके बाद मंगलवार नौ मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, दस मार्च को भाजपा की विधानमंडल दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत को नया नेता चुना गया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। दस मार्च की शाम चार बजे उन्होंने एक सादे समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
नव प्रभात जी सही कह रहे हैं, जय कांग्रेस