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November 22, 2024

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के नेतृत्व में सीएम से मिले कांग्रेसी, हल्द्वानी मामले में निष्पक्ष जांच की मांग

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अवैध करार दिए गए मदरसे को ध्वस्त करने के दौरान हुई हिंसा के मामले में उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की। इस दौरान उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस घटना को गंभीरता से लेकर उपद्रवग्रस्त क्षेत्र में कानून एवं शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए त्वरित कार्यवाही की गई है। इस घटना की जांच के लिये आयुक्त कुमाऊं को मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रतिनिधिमंडल की ओर से मुख्यमंत्री से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की गई। साथ ही कहा कि प्रदेश में कानून के साथ खिलवाड़ करने वालों का वे समर्थन नहीं करते हैं। प्रतिनिधिमण्डल में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधायक प्रीतम सिंह, भुवन कापड़ी, फुरकान अहमद, आदेश चौहान, ममता राकेश एवं सुमित हृदयेश, रवि बहादुर, मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि, पूर्व विधायक राजकुमार, पूर्व महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा सहित अन्य शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पढ़ेंः उत्तराखंड में मदरसा ध्वस्त करने गई टीम पर हमला, पिता पुत्र सहित छह की मौत, वाहनों को किया आग के हवाले, हल्द्वानी में लगा कर्फ्यू

हल्द्वानी की घटना
गौरतलब है कि आठ फरवरी की शाम को बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण करार दिए गए मदरसे और नमाजस्थल को तोड़ने की कार्रवाई के दौरान पुलिस, प्रशासन की टीम पर पथराव हो गया था। हालात इतने बिगड़े कि पुलिस को लाठियां चलानी पड़ी। आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। फायरिंग करनी पड़ी। पथराव के दौरान छह लोगों की मौत की खबर है। वहीं, 60 पुलिस कर्मियों के साथ ही तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए। भीड़ ने कई वाहनों को जला डाला। साथ ही थाने में भी आग लगा दी। हल्द्वानी में कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही दंगाइयों को देखते गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मामले लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही से ये घटना हुई। ना तो स्थानीय लोगों को विश्वास लिया। साथ ही धार्मिक नेताओं और क्षेत्रीय शांति कमेटी का भी सहयोग भी नहीं लिया गया। ऐसे में माहौल खराब हो गया। पथराव की घटना की हर एक ने निंदा की, लेकिन प्रशासन की लापरवाही को भी माना। लोगों का कहना था कि जब मामला कोर्ट में पहुंच गया था, तो कुछ इंतजार किया जाना साथ ही लोकसभा चुनाव से ऐन पहले मस्जिद में बुलडोजर चलाने को राजनीतिक लाभ लेने की दृष्टि से भी देख रहे हैं।
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