मलिन बस्तियों में बुलडोजर अभियान, ध्वस्तीकरण के नोटिस के खिलाफ मुख्य सचिव से मिले कांग्रेसी
1 min readउत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रिस्पना नदी किनारे बसी मलिन बस्तियों में करीब 504 मकानों के ध्वस्तीकरण के नोटिसों का राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन कड़ा विरोध कर रहे हैं। इन नोटिस की दोबारा से जांच कराए जाने की मांग को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात की। साथ ही उन्हें ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की गई। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं चकराता से कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मलिन बस्तीवासियों को भेजे जा रहे नोटिसों पर सवाल उठाए। इस मौके पर प्रीतम सिंह ने कहा कि यदि मलिन बस्ती में निवाास कर रहे लोग अतिक्रमण की भूमि में रह रहे थे, तो उन्हें शासन ने सभी प्रकार की सुविधाएं क्यों दी। जो नोटिस दिये गये है उनकी दोबारा जांच की जानी चाहिए। प्रीतम सिंह ने मुख्य सचिव से कहा कि शहर में अघोषित विद्युत कटौती की जा रही है। इससे लोग परेशान हैं। कटौती को तुरन्त बंद किया जाये। ताकि पानी की सप्लाई में असर ना पड़े। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर राजपुर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि सभी मलिन बस्तियां पुरानी बसी हुई हैं। वर्ष 2016 में शासन ने इनका सर्वे करवाया था। इसके बाद मलिन बस्ती की रिपोर्ट बनी। इसे कैबिनेट में पास किया और फिर विधानसभा में पास हुई। उसी के तहत दो अक्टूबर 2016 को अस्सी नब्बे लोगों को मालिकाना हक दिया गया था। उन्होंने कहा कि जो रिपोर्ट शासन ने स्वीकृत की है और उस नियमावली के तहत सभी मलिन बस्ती के निवासियों को मालिकाना हक दिया जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर मुख्य सचिव ने एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी एवं देहरादून की जिलाधिकारी सोनिका को फोन पर मलिन बस्तियों के लोगों को दिये गये नोटिसों की जांच कर तोडफोड बंद करने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि जब तक नोटिसों की जांच नहीं हो जाती, कहीं भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए। प्रतिनिधिमंडल में महिला कांग्रेस की महामंत्री गोदावरी थापली, देहरादून महानगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लालचंद शर्मा, अर्जुन सोनकर, उर्मिला थापा, राकेश पंवार, निखिल कुमार आदि कांग्रेसजन शामिल रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एसडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद सोमवार 27 मई को मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई। 504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नगर निगम की सीमा में बने मकानों में 15 लोगों ने ही अपने साल 2016 से पहले के निवास के साक्ष्य दिए हैं। 74 लोग कोई साक्ष्य नहीं दिखा पाए हैं। उन सभी 74 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकांश लोगों ने नोटिस के बाद अपने अतिक्रमण खुद ही हटा लिए थे। जिन्होंने नहीं हटाए थे, उनको अभियान के तहत अब हटाया जा रहा है। इस अभियान से पहले से ही विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन की ओर से देहरादून में धरने और प्रदर्शन किए जा रहे थे। 27 मई से आरंभ हो चुकी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के साथ ही प्रदर्शनों का सिलसिला भी तेज हो गया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।