उत्तराखंड के सीएम के खिलाफ कांग्रेस हुई हमलावर, राज्यपाल ने नहीं दिया समय, कल करेंगे राजभवन कूच, जानिए मामला, सुने वीडियो
उत्तराखंड के सीएम के खिलाफ सोशल मीडिया में डाली गई पोस्ट को लेकर मचे बवाल ने अब नया मोड़ ले लिया है। सीएम पर लगे आरोपों के संदर्भ में हाईकोर्ट के सीबीआइ जांच के आदेश के बाद कांग्रेस ने इसे सरकार पर हमला करने के लिए प्रमुख मद्दा बना दिया है। कांग्रेसियों ने आज राज्यपाल से इस मुद्दे पर मिलने का समय मांगा। वहां से कोई जवाब नहीं मिलने पर कांग्रेसी खफा हैं। कल इस मामले को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता राजभवन कूच करेंगे।
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि राज्य के सीएम पर भ्रष्टाचार के मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआइ जांच के आदेश दिए। कांग्रेस मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रही है। इस मुद्दे पर कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने के लिए जाना चाहता था। इसके लिए राज्यपाल से समय मांगा। वहां से कोई जवाब नहीं आया। राज्यपाल की ओर से मिलने का समय नहीं दिया गया। इसके कांग्रेस कार्यकर्ता नाराज हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राजभन संवैधानिक व निष्पक्ष भूमिका नहीं निभा रहा है। ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के निर्देशन में तय किया गया कि कल राजभवन कूच किया जाएगा।
ये है मामला
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री खिलाफ सोशल मीडिया में पोस्ट लिखने के मामले में दर्ज प्राथमिकी को हाईकोर्ट ने कल निरस्त कर दिया था। साथ ही पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। इस संबंध में सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत की तहरीर पर 31 जुलाई को देहरादून थाने में उमेश कुमार के खिलाफ ब्लैकमेलिंग करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।
सोशल मीडिया में चलाई थी खबर
उमेश कुमार ने सोशल मीडिया में खबर चलाई की प्रो हरेंद्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ सविता रावत के खाते में नोटबन्दी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने रकम डाली थी। ये रकम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा। इस वीडियो में डॉ. सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया है।
प्रो. हरेंद्र की ये थी शिकायत
शिकायत में कहा गया कि उक्त आरोप आधारहीन हैं और उमेश शर्मा ने बैंक के कागजात कूटरचित तरीके से बनाये हैं। उसने उनके बैंक खातों की सूचना गैर कानूनी तरीके से प्राप्त की है। इस बीच सरकार ने आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर भी लगा दी थी।
गिरफ्तारी पर रोक की दायर की थी याचिका
उमेश कुमार ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिये हॉइकोर्ट में याचिका दायर की थी । उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अन्य ने पैरवी की थी। उनकी दलील थी कि नोटबन्दी के दौरान हुए लेनदेन के मामले में उमेश के खिलाफ झारखंड में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसमें वह पहले से ही जमानत पर हैं । इसलिये एक ही मुकदमे के लिये दो बार गिरफ्तारी नहीं हो सकती।
ये आया फैसला
न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने प्राथमिकी को निरस्त कर दिया था। साथ ही प्रकरण की सीबीआइ से जांच कराने को कहा है। हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर कहा है कि सीबीआई इन आरोपों को लेकर एक नई एफआईआर दर्ज करे और इनकी जांच हो। इस मामले में उमेश शर्मा के अलावा एक अन्य पत्रकार का नाम भी शामिल है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।