त्रिवेंद्र सरकार के बजट को कांग्रेस उपाध्यक्ष धस्माना ने बताया झूठ का पिटारा, आप नेता जुगरान ने चुनावी बजट
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से पेश किए गए बजट को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर करारा हमला बोला है। उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इसे झूठ का पिटारा करार दिया, वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता रविंद्र जुगरान ने इसे चुनावी बजट बताया।
एक बयान में सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि आज विधानसभा में पेश किया गया त्रिवेंद्र सरकार का अंतिम बजट को झूठ का पिटारा है। उन्होंने कहा कि लगातार पिछले चार वर्षों से त्रिवेंद्र सरकार राज्य की जनता को जुमलेबाजी से मूर्ख बना रही है। त्रिवेंद्र सरकार ने अपने अंतिम बजट में भी लोगों को जुमलों से बहलाने का प्रयास किया है।
धस्माना ने कहा की त्रिवेंद्र सरकार के बजट में रोजगार सृजन के मामले में सफेद झूठ बोला गया कि उनकी सरकार ने चार साल में सात लाख लोगों को रोजगार दिया है। इसमें से छह लाख ध्याड़ी मजदूर व मनरेगा मजदूर भी शामिल हैं। धस्माना ने सरकार से सवाल किया कि नई कमिश्नरी बनाने से क्या फर्क पड़ेगा। जब पुरानी कमिश्नरी पौड़ी में ही कमिश्नर डीआईजी व मंडलीय अधिकारी नहीं बैठते।
उन्होंने कहा कि गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने से कुछ नहीं हुआ तो कमिश्नरी बनाने से क्या होगा? धस्माना ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार ने 2019 में इन्वेस्टर समिट आयोजित कर करोड़ों रुपये खर्च किये और दावा किया कि एक लाख बीस हजार करोड़ रुपए का पूंजी निवेश आ रहा है। आज स्थिति ये है कि सरकार खुद ही कह रही है कि अभी केवल एक हजार तीस करोड़ रुपये का पूंजी निवेश का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र के बजट में दृष्टि का भी आभाव है।
जीरो वर्क सीएम का जीरो विजन बजटः जुगरान
आप नेता रवींद्र जुग रान ने आज गैरसैंण में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की ओर से पेश किए गए वर्ष 2021-22 के बजट पर सवाल खड़ा करते हुए इस बजट को महज चुनावी बजट बताया। उन्होंने कहा कि इस बजट से उतराखंड को लोगों को हर बार की तरह इस बार भी नाउम्मीदी ही हाथ लगी। उन्होंने मुख्यमंत्री का बजट भाषण और सिर्फ अपनी पीठ ठोकने तक ही सीमित बताया। इसके अलावा उन्होंने जोशीमठ आपदा में प्रशासनिक निकम्मेपन को भी आत्म प्रशंसा से ढकने की कोशिश की।

रवींद्र जुगरान ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने शिक्षा के लिए बजट कुल बजट का 16 प्रतिशत रखा, जबकि दिल्ली सरकार ने शिक्षा के बढावे के लिए 24 प्रतिशत का प्रावधान है। स्वास्थ के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा कुल बजट का 5 प्रतिशत बजट रखा गया, जबकि दिल्ली सरकार स्वास्थ्य पर कुल बजट का 13 प्रतिशत खर्च करती है। उन्होंने कहा कि पिछले साल के बजट का उत्तराखंड सरकार महज 54 प्रतिशत ही खर्च कर पाई। ऐसे में ये बजट सिर्फ भाषण तक ही सीमित दिखाई देता है ।
आप नेता ने बताया कि राज्य की माली हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही है, लेकिन त्रिवेंद्र सरकार यह बताने में नाकाम रही है कि राज्य के लिए नए आय के स्त्रोत कैसे बढ़ाए जाएंगे। इस बजट में न तो पिछली गलतियों से सबक सीखा गया है और न ही आने वाले कल को लेकर कोई विजन है। ये बजट जीरो वर्क सीएम का जीरो बजट है।
जुगरान ने कहा कि सरकार स्वरोजगार पर अपनी पीठ थप थापा रही है। आज भी प्रदेश में 8 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं। आज भी उत्तराखंड की गर्भवती महिलाएं सड़क पर जच्चा-बच्चा सहित दम तोड़ने को मजबूर हैं। जो सरकार महिलाओं के सुरक्षित प्रसव की गारंटी नहीं दे पायी, उससे स्वास्थ्य पर क्या उम्मीद की जा सकती है।





