कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष माहरा ने जंगलों में आग, यात्रा मार्गों पर पेयजल व्यवस्था, आपदा प्रबंधन पर उठाए सवाल
उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में लगी आग, यात्रा मार्गों पर पेयजल व्यवस्था और आपदा प्रबंधन पर सवाल खड़े किए। साथ ही सरकार से समय रहते इस पर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने जंगलों में लगी आग के मामले में राज्य सरकार की ओर से कुछ छोटे कर्मचारियों और अधिकारियों पर की गई कार्रवाई पर तंज कसा। कहा कि राज्य सरकार द्वारा जिस प्रकार कुछ छोटे कर्मचारियों और अधिकारियों पर की गई कार्रवाई, समझ से परे है। विभागीय कर्मचारियों के खिलाफ की गई इस कार्रवाई से राज्य सरकार ने केवल लीपापोती करने का काम किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्र के 90 प्रतिशत से अधिक वनों में लगी भीषण आग से प्रदेश की अमूल्य वन सम्पदा के साथ-साथ वन्य पशु, वृक्ष-वनस्पतियां, जल स्रोत और यहां तक कि ग्लेशियर भी संकट में है। प्रत्येक वर्ष ग्रीष्मकाल शुरू होते ही उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के जंगल आग से धधकने लगते हैं। राज्य सरकार इस आपदा से निपटने के लिए समय रहते इंतजामात करने में पूरी तरह विफल रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि समय पर बरसात न होने के कारण वनों में लगी आग लम्बे समय तक जलती रहती है। प्रत्येक वर्ष इस वनाग्नि में भारी जन हानि के साथ ही करोड़ों रूपये की वन सम्पदा जल कर नष्ट हो जाती है। अपितु वन्य जीवों को भी भारी नुकसान पहुंचता है, जो कि गम्भीर चिंता का विषय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने कहा कि विभागीय उच्च अधिकारियों की लापरवाही के चलते वनों में लगने वाली आग पर काबू पाने में वन विभाग पूरी तरह से नाकाम रहा है। वन विभाग के बड़े स्तर के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी। राज्य सरकार की ओर से वन विभाग के कुछ छोटे कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए अपनी जिम्मेदारियों की इतिकर दी गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने एक बार फिर दोहराया कि राज्य निर्माण से पूर्व पर्वतीय क्षेत्र के वनों में लगने वाली आग का भयावह रूप देखने को नहीं मिलता था। इसका एक स्पष्ट कारण यह था कि पर्वतीय वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की रोजी-रोटी कुछ हद तक वनों पर निर्भर रहती थी। स्थानीय, जल, जंगल व जमीन पर अपना अधिकार समझ कर उनकी रक्षा का दायित्व भी खुद संभालते थे। आज वन एवं पर्यावरण विभाग के नियमों की कठोरता के चलते ऐसा संभव नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की कि वनों में लगी भीषण आग को गम्भीरता से लेते हुए वन विभाग के उच्च अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाय। यदि संभव हो तो पर्वतीय क्षेत्रों के वनों में धधकती आग को बुझाने के लिए स्थानीय ग्रामीणों की सहायता के साथ ही हेलीकॉप्टर से पानी का छिडकाव करने के इंतजाम किये जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यात्रा मार्गों पर व्यवस्थाएं ध्वस्त, जल्द हो समाधान
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तराखंड में चारधाम यात्राओं की व्यवस्थाओं को लेकर प्रश्न चिह्न खडा करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। साथ ही राज्य सरकार से यात्रा मार्गों पर व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन एवं प्रशासन मथुरादत्त जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा है कि उत्तराखंड राज्य में चारधाम यात्रा एवं पर्यटन काल प्रारम्भ हो चुका है। पर्यटन एवं तीर्थाटन राज्य के लोगों की आय का प्रमुख स्रोत है, परन्तु चारधाम यात्रा प्रारम्भ होने से पूर्व ही चारधाम यात्रा मार्गों पर सरकारी व्यवस्थायें पूरी तरह से चरमराई हुई नजर आ रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा पर बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों के रजिस्ट्रेशन की समुचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इसके कारण चार धाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि चारों धामों के मुख्य प्रवेश मार्गों में ऋषिकेश, चिन्यालीसौड, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी आदि स्थानों पर स्थानीय प्रशासन एवं पर्यटन विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। ताकि तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों को असुविधा का सामना न करना पड़े। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि पूरे देश में भीषण गर्मी का मौसम शुरू हो गया है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है उत्तराखंड राज्य के कई क्षेत्रों में पेयजल संकट भी गहराता जा रहा है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक पेयजल स्रोतों पर अधिकतर लोगों की निर्भरता रहती है, परन्तु पर्वतीय क्षेत्रों के लगभग 50 प्रतिशत पेयजल श्रोत माह अप्रैल से ही सूख जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि बढ़ती गर्मी के प्रकोप के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों के कई जनपदों में स्थानीय लोगों को भारी पेयजल की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण ग्रामीण एवं पर्वतीय क्षेत्रों में घोर पेयजल संकट पैदा हो गया है। स्थानीय ग्रामीण जनता के साथ-साथ उत्तराखण्ड के टूरिस्ट स्थलों के होटल व्यवसायियों एवं अन्य प्रदेशों से राज्य में आने वाले पर्यटकों एवं तीर्थ यात्रियों को भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने कहा कि मौसम विभाग की पूर्व चेतावनी के बावजूद प्रत्येक वर्ष होने वाली इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार एवं पेयजल विभाग के स्तर पर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं। गम्भीर पेयजल संकट से निपटने के लिए आवश्यक है कि पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल संकट का शीघ्र आंकलन कर उससे निपटने के उपाय किये जाएं। ताकि दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों तथा पर्यटन एवं तीर्थाटन स्थलों पर पेयजल संकट से निपटा जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा इसी प्रकार के पेयजल संकट से निपटने के लिए पेयजल संकटग्रस्त क्षेत्रों में खच्चरों के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति करने का निर्णय लिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से उपरोक्त बिन्दुओं पर राज्य सरकार के स्तर पर यथाशीघ्र आवश्यक कदम उठाने की मांग की है ताकि पर्यटकों एवं तीर्थ यात्रियों को इन गम्भीर समस्याओं से राहत मिल सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दैवीय आपदा प्रभावितों की मिले मुआवजा
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में बादल फटने से आई दैवीय आपदा में मारे गये प्रत्येक मृतक के परिजनों को 10-10 लाख रुपये तथा आपदा से हुए नुकसान से प्रभावित परिवारों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने के साथ ही प्रभावित क्षेत्र के लोगों की जानमाल की सुरक्षा के लिए उन्हें सुरक्षित स्थानों में विस्थापित किये जाने की मांग की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि दिनांक 8-9 मई 2024 को प्रदेश के विभिन्न जनपदों में बादल फटने की घटनाओं से कई जनपदों में भारी क्षति हुई है। पिथौरागढ़ जनपद में धारचूला के चलगांव, अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर एवं उत्तरकाशी में अतिवृष्टि एवं बादल फटने की अप्रिय घटनायें घटित हुई हैं। इससे भारी तबाही का मंजर देखने को मिला है। आपदा में लापता एवं गम्भीर रूप से घायलों की संख्या का भी सही-सहीं आंकलन नहीं हो पाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने कहा कि अतिवृष्टि एवं बादल फटने की घटनाओं के कारण कई गांवों का पूरी तरह से सम्पर्क टूट चुका है। इससे पीड़ितों तक राहत भी नहीं पहुंच पा रही है। बादल फटने की घटना के बाद आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के मन में दहशत का माहौल व्याप्त है। उन्होंने कहा कि आगामी बरसात के मौसम से पूर्व लोगों की जानमाल की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु समय रहते राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग को समुचित कदम उठाने के साथ ही संवेदनशील क्षेत्र के लोगों के उचित विस्थापन की व्यवस्था की जानी चाहिए।
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