कांग्रेस ने रखा आप के कंधे पर हाथ, दिल्ली अध्यादेश का संसद में करेगी विरोध
कांग्रेस ने मानसून सत्र के दौरान दिल्ली से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश का संसद में विरोध करने का संकेत दे दिया है। पार्टी का यह संकेत दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के लिए राजनीतिक रूप से बेहद अहम है। क्योंकि विपक्ष के सबसे बड़े दल के अध्यादेश के खिलाफ आने से राज्यसभा में इसे पारित कराने के लिए मोदी सरकार को भारी मशक्कत करनी पड़ेगी। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुआई में शनिवार को पार्टी के संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक हुई। इसमें मानसून सत्र को लेकर मंत्रणा हुई। इस दौरान दिल्ली की सरकारी सेवाओं से जुड़े केंद्र के अध्यादेश का विरोध करने का निर्णय लिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आप का विपक्षी बैठक में शामिल होना तय
विपक्षी खेमे में शामिल सभी दल पहले ही अध्यादेश के खिलाफ संसद में आप का समर्थन करने की घोषणा कर चुके हैं। अध्यादेश पर कांग्रेस के इन साफ संकेतों के बाद बेंगलुरु में विपक्षी एकता की दूसरी बैठक में आम आदमी पार्टी का शामिल होना भी तय हो गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अध्यादेश के विरोध पर कांग्रेस का रुख साफ होने के बाद ही बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में आप के शामिल होने की बात कही थी। कांग्रेस ने संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक के बाद भले अध्यादेश को लेकर अपने रुख का औपचारिक एलान नहीं किया, लेकिन पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए जयराम रमेश ने इसका संकेत देने से गुरेज नहीं किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे और चुनी हुई राज्य सरकारों के अधिकारों पर मोदी सरकार और उसके द्वारा नियुक्त लोगों की ओर से हमला किया जा रहा है। संघीय ढांचे पर यह हमला संविधान के खिलाफ है। कांग्रेस सदैव संसद के बाहर और भीतर इसका विरोध करती रही है और आगे भी हम पुरजोर विरोध करते रहेंगे। उनका यह बयान अरविंद केजरीवाल को अध्यादेश के खिलाफ उनकी सियासी लड़ाई में सबसे बड़ी ताकत देगा। हालांकि, कांग्रेस के लिए दिल्ली की सरकारी सेवाओं को केंद्र के अधीन लाने के अध्यादेश की खिलाफत करने का निर्णय लेना सहज फैसला नहीं होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस वजह से कांग्रेस ने खिलाफत का बनाया मन
पंजाब और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की इकाइयां और दोनों सूबों के उसके तमाम वरिष्ठ पार्टी नेता आप को समर्थन देने के खिलाफ हैं। इस सिलसिले में दोनों राज्यों के नेताओं ने पार्टी हाईकमान से मुलाकात के दौरान केजरीवाल से राजनीतिक दूरी बनाए रखने की दो टूक राय जाहिर की थी, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व भाजपा से वैचारिक-सैद्धांतिक सियासत के मुद्दों पर कोई समझौता नहीं करना चाहता। इसलिए दोनों राज्य इकाइयों के विरोध को नजरअंदाज कर संसद में अध्यादेश के खिलाफ वोट का मन बना लिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पार्टी सूत्रों के अनुसार, अध्यादेश के विरोध के रुख का अर्थ आप का राजनीतिक समर्थन करना नहीं हो सकता, बल्कि यह देश के संविधान और लोकतंत्र के संरक्षण से जुड़ा है। जयराम रमेश ने कहा भी कि संघीय ढांचे पर प्रहार और राज्यपालों की मनमानी का मुद्दा बेदह अहम है। मानसून सत्र में इस पर चर्चा की कांग्रेस मांग करेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केजरीवाल ने लगाए थे आरोप
केजरीवाल ने कहा था कि असंवैधानिक अध्यादेश के जरिए दिल्ली के लोगों और दिल्ली सरकार का अधिकार छीना गया है। कांग्रेस को इतना समय क्यों लग रहा है? कांग्रेस को अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए कि वो संविधान के साथ खड़े हैं या बीजेपी के? दरअसल, दिल्ली सीएम केजरीवाल केंद्र के लाए अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं। अगर राज्यसभा में सीएम केजरीवाल को विपक्षी दलों का समर्थन मिलता है तो केंद्र के अध्यादेश को कानून बनने से रोका जा सकता है। इसी एजेंडे को लेकर सीएम केजरीवाल पटना में हो रही विपक्षी दलों की बैठक में भी पहुंचे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है पूरा मामला
केंद्र सरकार ने बीते महीने दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने के उद्देश्य से एक अध्यादेश जारी किया था। दिल्ली की आप सरकार इसका विरोध कर रही है और इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस अध्यादेश के आने से पहले दिल्ली में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।