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December 23, 2024

कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस का प्रदर्शन संवैधानिक संस्थाओं पर हमला

पिछले कुछ समय से देश में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दल व अन्य कतिपय संगठन देश की मूल संवैधानिक व्यवस्था पर जिस प्रकार गंभीर प्रहार कर रहे हैं, वह देश के लिए खतरा है। कांग्रेस की ओर से शुक्रवार को कृषि कानूनों के खिलाफ पूरे देश में किया गया प्रदर्शन और उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों में राजभवनों को बनाया गया निशाना इसी खतरनाक प्रवृत्ति का परिचायक है।
वैसे तो कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में कृषि कानून लाने का वायदा अपने घोषणापत्र में किया था। अब उसकी ओर से कृषि कानूनों का किया जा रहा विरोध नैतिक रूप से ही गलत है, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के हर निर्णय का विरोध करने की अपनी आदत के चलते कांग्रेस कृषि कानूनों के विरोध में खड़ी है। इसे हम उसकी निराशा के रूप में समझ सकते हैं। शुक्रवार का विरोध प्रदर्शन तो सही मायनों में देश संवैधानिक प्रमुख व सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ है, जो स्वयं में बहुत गम्भीर मामला है।
देश की संवैधानिक व्यवस्था पर कांग्रेस की ओर से शुक्रवार को किए गए हमले पर कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने कृषि कानूनों के प्रसंग को अपने हाथ में लिया है और इनके लागू करने पर रोक लगाने के साथ कमेटी भी बना दी है तो इस प्रदर्शन का क्या औचित्य था। क्या यह न्यायालय का अपमान नहीं?
साथ ही कांग्रेस को यह भी जवाब देना चाहिए कि इस प्रदर्शन में राजभवनों को निशाने पर क्यों लिया लिया गया? राज्यपाल , राष्ट्रपति के प्रतिनिधि होते हैं और उनके खिलाफ प्रदर्शन का मतलब हुआ देश के संवैधानिक प्रमुख के खिलाफ प्रदर्शन। कांग्रेस यह कौन सी परम्परा स्थापित कर रही है ? क्या वह यह संदेश देना चाहती है कि अगर उसकी बात चाहे वह बात पूरी तरह गलत ही क्यों न हो को यदि नहीं माना गया तो वह संवैधानिक प्रमुख से लेकर सर्वोच्च न्यायालय किसी की भी परवाह नहीं करेंगे!
क्या यह सब अराजकता नहीं है ? इससे जुड़ा एक और गम्भीर पहलू यह है कि किसान आंदोलन की आड़ में अपना एजेण्डा लेकर सक्रिय हुए अलगाववादी ताकतों के साथ जब कांग्रेस खड़ी दिखाई देती है तो खतरा बढ़ा हुआ दिखाई देता है। इस अराजक स्थिति से अभी से सावधान होना जरूरी है।
लेखक का परिचय
डॉ. देवेंद्र भसीन
लेखक भाजपा उत्तराखंड के उपाध्यक्ष हैं। वह गढ़वाल मण्डल विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। डीएवी महाविद्यालय देहरादून के प्राचार्य रह चुके डॉ. भसीन वर्तमान में देहरादून में निवास करते हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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