यूपी और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा रूट पर होटलों में दुकानदार के नाम लिखने के फरमान का कांग्रेस का विरोध, पूछे तीखे सवाल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद उत्तराखंड में भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कांवड़ रूट पर स्थित भोजनालयों में मालिक और कर्मचारियों के नाम लिखने को लेकर उत्तराखंड काग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। साथ ही दोनों सरकारों के साथ ही बीजेपी से तीखे सवाल पूछे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने उत्तर प्रदेश के की तर्ज पर निर्णय लिया, जिसमें भोजनालयों और रेहड़ी पटरी के मालिकों के नाम लिखा जाना आवश्यक कर दिया गया है। दोनों सरकारों के निर्देश के अनुसार, प्रत्येक खाद्य दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लिखना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि यह उत्तराखंड और यूपी की गंगा-जमुना तहजीब को नष्ट करने का प्रयास है। साथ ही सामाजिक समरसता को चोट पहुंचाने वाला कदम है। हमारे देश में ऐसी विभाजनकारी सोच का बहिष्कार होना चाहिए। यह समाज में भाईचारे की भावना को बिगाड़ने की कोशिश हैं। लोगों के बीच दूरियां पैदा करने का प्रयास हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि हमारा संविधान इस बात की गारंटी हर नागरिक को देता है कि उसके साथ धर्म, जाति या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं होगा। भारतीय जनता पार्टी की सरकारें लगातार हमारे देश की एकता और अखंडता पर चोट करने के साथ ही हमारे लोकतंत्र और संविधान को भी गहरा आघात पहुंचा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा दसौनी ने कहा कि कानून व्यवस्था का हवाला देकर इस तरह का आदेश जारी किया गया है। सवाल ये है कि क्या देश में कांवड़ यात्रा पहली बार हो रही है? क्या भाजपा की सरकारों से कानून व्यवस्था संभाली नहीं जा रही है? सालों साल से कांवड़ यात्रा होती आई है, कभी भी किसी भी सरकार को दिक्कतें नहीं आई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार केवल नफरत फैलाना जानती है। तोड़ना जानती है, जोड़ना नहीं। कांवड़ यात्रा महादेव को उत्तराखंड से ले जाए गए गंगाजल से स्नान के लिए होती है। कुछ धर्म के स्वयं भू ठेकेदार भोलेनाथ के विराट स्वरूप को समझ ही नहीं पाए। क्या गरीब के पेट पर लात मारने वाले ऐसे आदेश से महादेव कभी प्रसन्न होंगे? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि ईश्वर ना करें यदि कोई कांवड़िया यात्रा के दौरान गंभीर रूप से जख्मी हो जाए तो क्या अस्पताल में किसी मुसलमान डॉक्टर से इलाज नहीं कराएगा? किसी मुसलमान का दिया हुआ खून नहीं चढ़ाएगा? उन्होंने कहा कि आज देश के छह बड़े मीट एक्सपोर्टर में से चार हिंदू हैं। तो क्या उनको भी बिरादरी से बाहर किया जाएगा? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने पूछा क्या बादाम, अखरोट तथा खजूर इत्यादि पर भी लिखवा दिया जाए हिंदू या मुसलमान? क्या फ़िरोज़ाबाद की चूड़ियों पर भी लिखा जाएगा, हिंदू या मुसलमान? क्या बनारस की साड़ी और भदोही के क़ालीन पर भी लिखा जाएगा हिंदू या मुसलमान? क्या नाई, गेराज, टेलर इत्यादि के दुकान पर भी लिखना होगा हिंदू या मुसलमान? अब मटन, चिकन, कवाब और बिरयानी किससे ख़रीदे जाएंगे? ये भी इन सरकारों को बता देना चाहिए। फिर ये भी बताना चाहिए कि किसके बाग से फल आए या किसके खेत से सब्जी आई। फल या सब्जी का तुड़ान करने वाला किस धर्म से है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि हाल में लोकसभा चुनाव के परिणाम से बीजेपी बौखला गई है। अब यूपी में होने वाले विधानसभा के उप चुनाव में सरकार के पास कोई काम गिनाने के लिए नहीं है। ऐसे में लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़काने के प्रयास हो रहे हैं। इसे जनता बखूबी समझती है। साथ ही यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जनता बीजेपी को सबक सिखाने को तैयार बैठी है। क्योंकि जनता के मुद्दे गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि हैं। इन पर बीजेपी की केंद्र सरकार हो या फिर प्रदेश सरकारें। सभी विफल साबित हो रही हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।