कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना कर रहे पदयात्रा, नाप रहे सड़कें, गिन रहे गड्ढे, दिखा रहे राजधानी की तस्वीर

उत्तराखंड में कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना एक बार फिर से राजधानी देहरादून की सड़कों की स्थिति को जानने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं। ये पदयात्रा उन्होंने एक दिन पहले सहस्त्रधारा रोड से शुरू की थी। इस दौरान वह सड़कों को नाप रहे हैं और गड्ढों को गिना रहे हैं। आज अभियान के दूसरे दिन उन्होंने शहर का प्रवेश द्वार से पूरे शहर की कहानी बयां करने का प्रयास किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देशभर में स्मार्ट सिटी का जितना प्रचार किया गया, शायद ही कहीं कोई शहर पूरी तरह से स्मार्ट सिटी बन पाया हो। स्थिति ये है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर शहरों की सड़कों को खोद दिया गया है। कभी सीवर के नाम पर तो कभी पेयजल लाइन के नाम पर। बारिश के दौरान तो ऐसी सड़कों पर चलना भी दूभर हो जाता है। अब इसी सच्चाई को जनता के सामने लाने के लिए उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने सड़कों को नापने का अभियान शुरू किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसी पदयात्राएं उन्होंने कोरोनाकाल के दौरान भी की थी। कोरोना से होने वाली मौत की सच्चाई जानने के लिए उन्होंने घर घर जाकर ऐसे परिवारों से मुलाकात की थी, जो अपनों को कोरोनाकाल में खो चुके थे। हालांकि, तब उनका अभियान कैंट विधानसभा क्षेत्र तक सीमित रहा था, जहां से वह विधायक का चुनाव लड़ते रहे हैं। इस बार उन्होंने दायरा बढ़ाया और विधानसभा क्षेत्र की सीमाओं को पार कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून की सड़कों का असली हाल जनता, शासन, प्रशासन व सरकार के समक्ष रखने और स्मार्ट सिटी के कार्यों की पोल खोलने के उद्देश्य से सूर्यकांत धस्माना ने अपने इस अभियान का नाम “गड्ढों में सड़क और सड़कों में गड्ढे” दिया है। आज वह देहरादून रेलवे स्टेशन पहुंचे और सहारनपुर रोड पर रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वार पर बने पार्क के चारों ओर की सड़क की बदहाली, सड़क पर पड़े गड्ढे, दो साल से खुदी हुई सड़क, टूटी हुई डिवाइडर की दीवार, सड़क पर बेतरतीब पड़े हुए सीमेंट के डिवाइडर व पार्क की दुर्दशा दिखाते हुए पूरे अभियान को फेसबुक पर लाइव किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वार की सड़कों का उन्होंने नजारा दिखाया। साथ ही कहा कि देश के किसी भी कोने से रेल के माध्यम से देहरादून पहुंचने वाला यात्री जब राज्य की राजधानी में पहला कदम रखेगा, तो प्रदेश की राजधानी में उतरते ही वह गड्ढा युक्त सड़क और गंदगी का अंबार देखेगा। ऐसे में उसे स्मार्ट सिटी और पूरे राज्य के बारे में आसानी से पता चल जाएगा। यह स्थिति देहरादून और राज्य के लिए दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि बहुप्रचारित प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक स्मार्ट सिटी का हाल देख कर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि हजारों करोड़ रुपये खर्च करके शहर का क्या हाल किया गया है। स्मार्ट सिटी का मतलब चार सड़कें चमका कर, कुछ लैंप पोस्ट लगा कर, दुकानों के साइन बोर्ड बदलकर, दीवारों में पेंटिंग कराना ही रह गया है। ऐसे में शहर स्मार्ट नहीं बनता, बल्कि स्मार्ट सिटी की सड़कें, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, ट्रैफिक सिस्टम, साफ सफाई सबसे मूल विषय हैं। इनको दुरस्त व स्मार्ट होना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि आज देहरादून की सड़कों की जो बदहाली है। सरकारी अस्पतालों का जो हाल है। ट्रैफिक सिस्टम जिस तरह से ध्वस्त पड़ा है। सीवर, पानी, सफाई व्यवस्था की जो बतइंतजामी है। उससे यह साबित होता है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर देहरादून के लोगों का केवल मूर्ख बनाया गया है। उस प्रॉजेक्ट में सैकड़ों करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। इसका पर्दाफाश होना जरूरी है। इसीलिए इस अभियान से इस पर्दाफाश करने की शुरुआत की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि वह रोजाना इन मुद्दों को उठाकर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अध्यक्ष, नगर निगम के निवर्तमान मेयर, इस प्रोजेक्ट के सीईओ रहे जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री से हिसाब मांगते रहेंगे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।