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June 18, 2025

कांग्रेस नेता ने हरीश रावत खुद को बोल दिया घमंडी, मांगी माफी, दिल्ली से डंडा चला तब बदले सुर

कांग्रेस नेता हरीश रावत ने उन्होंने खुद को अहंकारी और घमंडी तक बोल दिया। साथ ही अपने गलती के लिए माफी मांगी।

कांग्रेस नेता एवं उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत सोशल मीडिया में ट्विट के जरिये हमेशा चर्चा में रहते हैं। उन्होंने एक ट्विट से जहां आला नेताओं की नींद उड़ा दी थी, तो उन्हें दिल्ली तलब किया गया था। अब उन्होंने खुद को अहंकारी और घमंडी तक बोल दिया। साथ ही अपने गलती के लिए माफी मांगी। हरीश रावत के ट्विट का विवाद दिल्ली में राहुल गांधी ने सुलझाया तो उन्होंने इसके बाद देहरादून में प्रेस वार्ता कर कल ही कहा कि उत्तराखंड में चुनाव मेरे नेतृत्व में लड़ा जाएगा। इस पर ये बात दिल्ली में बैठे आकाओं को नागवार गुजरी और उन्होंने नाराजगी जताई। इस पर हरीश रावत ने अपने सुर बदले और फिर आज ट्विट कर माफी मांगी।
आज रविवार को उन्होंने ट्विट किया कि- कल pressconference में थोड़ी गलती हो गई, मेरा नेतृत्व शब्द से अहंकार झलकता है। चुनाव मेरे नेतृत्व में नहीं बल्कि मेरी अगुवाई में लड़ा जाएगा। मैं अपने उस घमंडपूर्ण उद्बोधन के लिए क्षमा चाहता हूं, मेरे मुंह से वह शब्द शोभा जनक नहीं है।

सूत्र बताते हैं कि पार्टी नेतृत्व के साथ निकले सुलह के फार्मूले के बावजूद रावत की ओर से खुद को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश करने की सियासत कांग्रेस हाईकमान को नागवार लगी है। इसको लेकर उसने अपनी नाखुशी का संदेश भी भेज दिया है। समझा जाता है कि नेतृत्व की नाखुशी के इन संकेतों के बाद ही हरीश रावत ने रविवार को खुद के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का जिम्मा सौंपे जाने के बयान में बदलाव करते हुए इसके लिए माफी मांगी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार रावत समेत उत्तराखंड के तमाम वरिष्ठ नेताओं की बैठक में आम सहमति से यह तय हुआ था कि औपचारिक तौर पर मुख्यमंत्री का चेहरा कांग्रेस की ओर से घोषित नहीं किया जाएगा। हरीश रावत चुनाव अभियान की अगुआई करेंगे। उत्तराखंड कांग्रेस के गुटीय संतुलन को चुनाव में बनाए रखने की रणनीति के तहत मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने से परहेज का फैसला हुआ। ताकि प्रीतम सिंह जैसे नेताओं का भी सहयोग रावत को पूरी तरह से मिल सके।
पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी सत्ता सियासत को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रहे समीकरण को देखते हुए ही रावत ने अभी से चुनाव बाद सत्ता के दांवपेच की पहल शुरू कर दी थी। राहुल गांधी के साथ शुक्रवार को हुई बैठक के बाद दो-तीन मौकों पर यह सियासी संदेश देने की कोशिश की कि उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनावी चेहरे के नाते वे ही मुख्यमंत्री पद के अघोषित उम्मीदवार हैं।
रावत ने प्रदेश में शनिवार को अपनी एक प्रेस कांफ्रेंस में भी इसी तरह की बात दोहराई तो उनके विरोधी खेमे के नेताओं ने उनके बयानों की प्रति के साथ अपनी आशंकाएं और शिकायतें हाईकमान को भेज दीं। चुनावी गहमागहमी के बीच रावत का प्रतिद्वंद्वी खेमा सिरदर्दी न बढ़ाए, हाईकमान ने तत्काल रावत को उनके सियासी बयानों में झलक रही चूक का संदेश दिया। पार्टी संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने रविवार को हाईकमान की नाखुशी का संदेश देते हुए कहा कि जब रावत को चुनावी अभियान की कमान थमा दी गई है तो फिर उन्हें बार-बार अपने नेतृत्व की बात कर अन्य नेताओं की भूमिका को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समझा जाता है कि इसके मद्देनजर ही रावत ने रविवार को इस बारे में ट्वीट पर सफाई दी।
रावत के इस ट्विट से मचा था हड़कंप
इससे पहले हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए पार्टी नेताओं और संगठन पर निशाना साधा था। ट्विटर पर एक लंबे पोस्ट में रावत ने लिखा था, ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है!
अगले ट्वीट में रावत ने लिखा था-फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है “न दैन्यं न पलायनम्” बड़ी उहापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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