राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण को लेकर कांग्रेस नेता धीरेंद्र प्रताप ने दी आमरण अनशन की चेतावनी
अब बहुत हो गया इंतजार करते करते। हर बार सरकार राज्य आंदोलनकारियों को मीठी गोली दे रही है। बार बार आंदोलनकारी आंदोलन कर रहे हैं और हर बार सीएम या सरकार के नुमाइंदे आश्वासन देते हैं। अब पानी सिर के ऊपर निकलता जा रहा है। यदि उत्तराखंड सरकार ने जल्द की कोई फैसला नहीं लिया तो मुझे राज्य आंदोलनकारियों की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठना पड़ेगा। ये उदगार हैं उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और राज्य आंदोलनकारी धीरेंद्र प्रताप के। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने राज्य आंदोलनकारियों के 10 वर्षीय क्षैतीज आरक्षण की मांग को लेकर कहा कि यदि सरकार ने जल्द फैसला ना लिया वह तो सरकार के खिलाफ मुख्यमंत्री आवास के समक्ष आमरण अनशन करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य आंदोलनकारियों की ओर से आज राज्यव्यापी विरोध दिवस मनाया गया। इस मौके पर धीरेंद्र प्रताप ने इस आशय का शंखनाद करते हुए कहा कि उन्होंने राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद का अध्यक्ष रहते 10 फीसदी क्षैतीज आरक्षण के विशेष आदेश जारी कराए थे। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज बीजेपी सरकार में आंदोलनकारियों की उपेक्षा की जा रही है, मुख्यमंत्री को चाहिए कि अब अपनी हठ छोड़ें और आंदोलनकारियों का अपमान बंद करें। उन्होंने उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी संघर्ष की वजह से आज उत्तराखंड आज एक मजबूत राज्य के रूप में देश के मानचित्र पर उभर रहा है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री धामी ने घोषणा करने के बाद भी अपने शब्द को पक्का नहीं रखा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि हालांकि, उनकी घोषणाएं गिनाने लगें तो पहली घोषणा 22 हजार युवाओं को सरकारी रिक्त पदों पर छह माह में नियुक्ति का आज तक पता नहीं है कि इसका क्या हुआ। आज आंदोलनकारियों को सड़क पर उतरने को मजबूर होने पर पड़ा है। उन्होंने आंदोलनकारियों की पेंशन भी लोकतंत्र सेनानियों की तरह कम से कम 15000 किए जाने की मांग की है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।