कांग्रेस नेता एवं पूर्व सीएम हरीश रावत एक फरवरी को गांधी पार्क में देंगे मौन धरना, जानिए मुद्दा
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत एक बार फिर सरकार के खिलाफ बैटिंग में मूड में आ गए हैं। विभिन्न मांगों को लेकर उन्होंने आंदोलन की घोषणा भी कर दी। इसके तहत वह एक फरवरी की दोपहर 12 बजे गांधी पार्क देहरादून में एक घंटे का मौन व्रत रखेंगे। आज उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के देहरादून में राजपुर रोड स्थित मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने इसकी जानकारी दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हरीश रावत ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति और भारत रूस मैत्री का जीवंत स्तंभ टिहरी डैम उत्तराखंड का अभिमान है। आज एक विकसित उत्तराखंड की हमारी योजना का बड़ा आधार है। इस समय भी राज्य की अर्थव्यवस्था में ये बांध का बड़ा योगदान दे रहा है। यह सब टिहरी की महान जनता के सामूहिक त्याग से संभव हुआ है। अपने सुंदर घरों, अति उपजाऊ अपनी भूमि व अतुलनीय संस्कृति को राष्ट्र व समाज को समर्पित कर वहां के लोगों ने विस्थापित होना स्वीकार किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जहां-जहां ये विस्थापित भाई-बहन बसे हैं, वे आज भी कई कठिनाइयों को झेल रहे हैं। इनसे किए गए कई वादे भी अभी पूरे नहीं हुए हैं। इन विस्थापितों में सबसे चिंताजनक स्थिति हरिद्वार के पथरी क्षेत्र के भाग 1, 2, 3, 4, में बसे भाई-बहनों को है। 42 वर्षों बाद भी यह लोग जिस भूमि में बसे हैं, उसका भूमिधर का अधिकार इन्हें प्राप्त नहीं है। यह लोग जोते जा रहे खेतों व अपने घरों के मालिक नहीं हैं। इन्हें बैंकों सहित कोई भी ऋण सुविधा भूमि के आधार पर लेने का अधिकार नहीं है। ये सब जमीन के स्वामी होते हुए भी स्वामित्व से वंचित हैं। इन्हें सामान्य ग्राम वासी को प्राप्त कोई हक-हकूक उपलब्ध नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि वर्ष 2016 में तत्कालीन सरकार ने मालिकाना हक देने के निर्देश जारी किए और पत्रावली तैयार करवाई गई। सत्ता परिवर्तन के साथ यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में डाल दी गई। गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र में स्थानीय विधायक की ओर से इस मामले को विधानसभा संचालन नियमावली के नियम 58 के अंतर्गत उठाये जाने पर सरकार ने इस मामले में सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तद्पश्चात हरिद्वार जनपद के विधायकों की बैठक में राज्य के माननीय मुख्यमंत्री ने इसके लिए आवश्यक पत्रावली तैयार करने के आदेश दिए। इस पर 8 माह बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इस दौरान वन विभाग की ओर से करवाए गए एक तथाकथित सर्वेक्षण में टिहरी विस्थापितों के पास आवंटित 912 एकड़ भूमि के बजाए 968 एकड़ भूमि पर कब्जेदार बताए जाने के बाद सारे मामले को उलझाया जा रहा है। 23 हैक्टेयर भूमि को लेकर सारी भूमि धरी प्रक्रिया को उलझाने के प्रयास किये जा रहा हैं, जो निंदनीय है, पूर्णतः अस्वीकार्य है। इस सारी भूमि पर वर्ष 2015-16 में घेरवाड़, दीवाल बंदी हो चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं मांगे
1-उन्होंने मुख्यमंत्री से पथरी के विस्थापितों को भूमिधरी अधिकार देने के लिए मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर इस प्रकरण का सकारात्मक निस्तारण करने की मांग की।
2-वन विभाग की ओर से करवाए जा रहे सर्वेक्षण व उसके निष्कर्षों को वापस लिया जाए।
3- विस्थापितों से किए गए वादों के पुनर्विक्षण के लिए मंत्री के साथ टीएचडीसी एवं पुनर्वास निदेशक की एक संयुक्त कमेटी गठित हो।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।