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February 24, 2025

सोशल मीडिया में भाजपा और आप से काफी पीछे है कांग्रेस, कार्यक्रम सूचना तक सीमित, नहीं जारी किए जाते प्रेस नोट

उत्तराखंड में भाजपा और आप के साथ यदि हम कांग्रेस के सोशल मीडिया को देखें तो ये पार्टी इन दोनों पार्टियों की टक्कर में कहीं टिकती नजर नहीं आती।

समय से साथ प्रचार का तरीका तो बदला, लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस अभी भी अपनी पुरानी पंरपराओं पर ही चल रही है। उत्तराखंड में भाजपा और आप के साथ यदि हम कांग्रेस के सोशल मीडिया को देखें तो ये पार्टी इन दोनों पार्टियों की टक्कर में कहीं टिकती नजर नहीं आती। हालांकि कांग्रेस में भी प्रवक्ताओं की लंबी चौड़ी फौज है। सोशल मीडिया में भी कई नामों की लिस्ट है। हाल ही में कांग्रेस की सोशल मीडिया की प्रदेश प्रभारी शिल्पी अरोड़ा ने 78 पदाधिकारियों की सूची जारी की, लेकिन अब ये भी क्या करते हैं, ये आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल तीनों दलों के उदाहरणों से ही हम समझ सकते हैं कि कौन सी पार्टी किस स्थान पर खड़ी है। दूसरे दलों की स्थिति तो और भी खराब है। क्षेत्रीय दल उक्रांद में भी नेता अपने अपने कार्यक्रमों की जानकारी देते हैं। विधिवत पार्टी की ओर से शायद की कोई सूचनाएं जारी होती हों। क्योंकि ऐसी सूचनाओं का एक माध्यम पार्टी का फेसबुक पेज भी होता है। उसे देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि लोकसाक्ष्य के एक सर्वे से ये भी पता चलता है कि राजनीतिक दलों के लोग सोशल मीडिया में खबरें कम पढ़ते हैं। उनका काम सिर्फ खबर भेजना होता है। बाकी भीतर क्या लगा है, इससे उन्हें लेना देना नहीं होता।
भाजपा का सोशल मीडिया
भाजपा में हर नेता का अपना फेसबुक पेज है। साथ ही ट्विटर अकाउंट भी है। इसके अलावा पार्टी के प्रदेश, जिला व महानगर स्तर पर फेसबुक पेज भी हैं। साथ ही मीडिया को जानकारी देने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए गए हैं। भाजपा का कोई नेता चाहे प्रवक्ता हो या फिर प्रदेश अध्यक्ष उसके बयान, पार्टी के कार्यक्रमों का पूरा प्रेस नोट ग्रुप में जारी किया जाता है। किसी बड़े नेता के आगमन पर उसका लाइव कार्यक्रम चलाया जाता है। साथ ही फोटो भी समय समय पर जारी की जाती हैं। यही नहीं, कार्यक्रम निपटने के बाद पूरी खबर प्रेस नोट के जरिये मीडिया को दी जाती है। ज्यादातर कार्यक्रमों को एक ही चैनल के माध्यम से ही मीडिया तक पहुंचाया जाता है। चाहे युवा मोर्चा का कार्यक्रम हो या फिर महिला मोर्चा का। हालांकि पार्टी संगठन के विभिन्न मोर्चा के भी अपने अपने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हुए हैं। ऐसे में भाजपा का प्रचार तंत्र काफी मजबूत है।
आम पार्टी का प्रचार तंत्र
उत्तराखंड में भाजपा की तरह आम आदमी पार्टी का प्रचार तंत्र भी काफी मजबूत है। या कहें तो इस पार्टी का प्रचार तंत्र भाजपा से भी कुछ ज्यादा ही तेज है। इस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, सीएम के लिए घोषित आप का चेहरा कर्नल (से.नि.) अजय कोठियाल हो या फिर आप पार्टी के प्रवक्ताओं और उपाध्यक्षों की फौज। सबके बयान, धरने और प्रदर्शन का पूरा प्रेस नोट एक ही चैनल से जारी किया जाता है। यही नहीं, आप के कार्यक्रमों को लाइव भी चलाया जाता है। पहले कार्यक्रम की सूचना दी जाती है। कार्यक्रम शुरू होने पर फोटो मीडिया को भेजी जाती है। फिर कार्यक्रम शुरू होने पर फेसबुक पेज का लिंक शेयर किया जाता है। इसके बाद कार्यक्रम जब हो जाता है, तो पूरी खबर जारी की जाती है।

कांग्रेस का प्रचार तंत्र
कांग्रेस में जिसकी ढपली और उसका राग वाला सिस्टम है। हर नेता अपना अपना प्रचार कर रहा है। पार्टी की ओर से सिस्टम के साथ किसी भी कार्यक्रम के बाद प्रेस नोट शायद ही कभी जारी किया जाता है। पत्रकारों के लिए बनाए गए ग्रुप में सिर्फ कार्यक्रम सूचना दी जाती है। कांग्रेस के प्रेस को लेकर बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप में देखें तो पिछले सप्ताह राष्ट्रीय प्रक्ता पवन खेड़ा ने हल्द्वानी और देहरादून में प्रेस कांफ्रेंस की। सिर्फ देहरादून की प्रेस वार्ता का इसका लाइव प्रसारण तो किया गया, लेकिन बाद में प्रेस नोट जारी नहीं किया गया। इसके बाद गुरुवार को सिर्फ एक कार्यक्रम की सूचना दी गई। शुक्रवार को प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का वीडियो जारी किया गया। इसमें वह बता रहे हैं कि आज युवा कांग्रेस रैली निकालेंगे। पर रैली का कोई प्रेस नोट ही जारी नहीं किया ना ही फोटो। इसी तरह 28 अगस्त को एक कार्यक्रम की सूचना जारी की गई।

अपनी ढपली अपना राग
अब कांग्रेस में यदि देखें तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने हाल ही में विधानसभा के समक्ष ओबीसी और भू कानून को लेकर धरना दिया। इसकी सूचना उनके ट्विटर अकाउंट में दी गई। ना तो पार्टी की तरफ से अगले दिन कोई प्रेस नोट जारी किया गया ना ही उनके ट्विटर अकाउंट में धरने के दौरान की उसी समय कोई फोटो जारी की गई। इसी तरह महानगर, जिलों या शहरों के कार्यक्रमों का प्रेस नोट तक जारी नहीं किया जाता है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ऐसे नाम हैं, जो अपने कार्यक्रम के संबंध में प्रेस नोट देते हैं। कई बार इनकी तरफ से पार्टी के कार्यक्रमों के प्रेस नोट जारी तो होते हैं, लेकिन उसमें ये नेता ही केंद्रित होते हैं। वहीं, हरीश रावत जरूर अपने हर कार्यक्रम की लाइव वीडियो या फोटो सोशल मीडिया में डालने के साथ ही बाद में कई बार उस संबंध में लिखकर भी डालते हैं। अब यदि आगामी चुनावों में कांग्रेस पार्टी को प्रचार में आम आदमी पार्टी और भाजपा से टक्कर लेनी है, तो उसे भी अपने प्रचार तंत्र को सही चैनल के माध्यम से सक्रिय करना होगा। नहीं तो जंगल में मौर नाचा, किसने देखा वाली बात होगी।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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