जोशीमठ के बिगड़ते हालातों के लिए कांग्रेस ने बीजेपी के अनियंत्रित विकास को बताया जिम्मेदार

उन्होंने कहा कि ये एक अति गंभीर विषय है और मोदी सरकार केवल एक कमेटी बनाकर अपना पल्ला झाड़ नहीं सकती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा प्रकृति की सुरक्षा और विकास के कार्यों में संतुलन के लिए क़दम उठायें हैं। हमारा देवस्थल जोशीमठ मानव निर्मित कारणों से धंस रहा है। समाचार तीन जनवरी से आ रहें हैं। इसके बावजूद “डबल इंजन” भाजपा सरकार, खासकर केंद्र की मोदी सरकार बहुत बाद में जागी हैं। वो भी केवल खानापूर्ती के लिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जोशीमठ में 610 घरों में दरारें आईं हैं, जिसमें से कुछ ही विस्थापितों को अलग शेल्टर दिया गया है। केवल 5000 मुआवजा दिया गया है। स्थानीय लोग NTPC का तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रोपावर प्लांट के अंतर्गत बन रहे एक टनल को इसके लिए ज़िम्मेदार मान रहें हैं। वहीं, NTPC ने इसको ख़ारिज किया है और IIT रुड़की, GSI, आदि संस्थानों ने इसपर कोई प्रतिक्रिया अभी तक व्यक्त नहीं की है। जोशीमठ के धंसने के विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों की ओर से कई कारण बताये जा रहें हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि कांग्रेस-UPA सरकार ने वर्ष 2010 में 600 मेगावाट की लोहारीनाग पाला, 480 मेगावाट की पाला-मनेरी तथा 391 मेगावाट की भैरोंघाटी जल विद्युत परियोजना को बंद करने का निर्णय लिया था। तब तक लोहारीनाग-पाला और पाला-मनेरी परियोजना का काफी निर्माण कार्य हो चुका था। पिछले कुछ सालों से और खासकर 2018 से समाचार पत्रों में लगातार ये आ रहा है कि लोहारीनाग पाला परियोजना की खुदी और अधूरी पड़ी कई किमी सुरंगें खतरा बनी हुई हैं। वहीं, केंद्र की मोदी सरकार ने इसपर ध्यान नहीं दिया और सुरंगों को बंद करने का कोई निर्णय नहीं लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इस परिपेक्ष्य में हम एक बहुत महत्वपूर्ण बात बताना चाहते हैं कि जब IIT के पूर्व प्रोफ़ेसर जी डी अग्रवाल, जिनको हम संत स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद जी के नाम से भी जानते हैं, उन्होंने 2010 में जब इन तीनों परियोजनाओं पर उपवास रखा, तब हमारी कांग्रेस- यूपीए सरकार ने उनकी बात को माना और तीनों परियोजनाओं पर रोक लगा दी। जब मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 2018 में प्रोफ़ेसर जीडी अग्रवाल जी ने गंगा को बचाने और बड़े प्रोजेक्ट्स पर रोक लगवाने पर हरिद्वार में 111 दिन तक आमरण अनशन किया तो मोदी सरकार ने उनकी बात नहीं मानी। उनको जबरन हिरासत में ले लिया, जिसके बाद उनकी जान चली गई। ये है कांग्रेस और भाजपा में अंतर। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि बिना गहन विश्लेषण और पर्यावरणीय आकलन करे हुए बड़े हाईडल पॉवर प्रोजेक्टों का निर्माण हो रहा है। पिछले भूस्खलन में बसे नगर में में मिट्टी धारण करने की क्षमता कम (Soil Bearing Capacity) है। अनियोजित निर्माण और पानी के रिसाव के कारण कोई जल निकासी प्रणाली नहीं होने से असर क्षमता में और कमी आई है। मोदी सरकार के चारधाम रेलवे प्रोजेक्ट, जिसकी आधारशिला तत्कालीन रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने मई 2017 तक रखी थी। जो बदरीनाथ-केदारनाथ रेललाइन जिसमें जोशीमठ भी आएगा, उसका निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। वहां क्षमता के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र की अवहेलना की जा रही है। नाजुक भूकंपीय क्षेत्र में विवर्तनिक गति होती है जिस पर विचार किया जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि कांग्रेस मोदी सरकार से तीन मांग करती है। इसमें पहली मांग है कि इस त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करें। जोशीमठ शहर के विस्थापितों की मुआवजा राशि प्रधानमंत्री राहत कोष से दी जाये और प्रत्येक परिवार को राज्य सरकार 5000 रुपए दे, पर मोदी सरकार भी उचित मुआवजा दें। दूसरी मांग है कि इस मानव रचित अप्पदा के लिए ज़िम्मेदार सुरंग को बंद किया जाए और जो बंद किये गए लोहारीनाग पाला और पाला मनेरी परियोजना की सुरंगे हैं, उनको भरने का कार्य उचित अध्ययन के बाद तत्कालीन प्रभाव से शुरू किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तीसरी मांग है कि रेलवे का कोई भी कार्य, जिसमें पर्वतीय आपदा का ख़तरा हो उसे बंद किया जाए। उसका गहरा अध्ययन कर ही कार्यों को चरणबद्ध तरह से मंज़ूरी दी जाए। बिना सोचे समझे बिना प्रकृति की सुरक्षा को नजरअंदाज किये जो मोदी सरकार ने अनियंत्रित “विकास” किया है, उसका खामियाजा जोशीमठ की जनता भुगत रही है। इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, मनीष खंडूरी एवं सुजाता पॉल भी मौजूद रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दरक रहा है जोशीमठ
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में धंसते जोशीमठ में तबाही का खतरा गहराने लगा है। यहां जमीन धंसने के कारण 600 घरों में दरारें आ गई हैं। हाईवे दरक गए। भवन और मकानों में दरारें आ गई। कई मंदिरों पर भी खतरा मंडरा रहा है। कई स्थानों पर पानी के स्रोत फूट गए। ऐसे में लगभग 600 परिवारों को उनके घर खाली करने का आदेश दिया गया है। साथ ही चारधाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना जैसी मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों पर स्थानीय निवासियों की मांग पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। जोशीमठ औली मार्ग आवागमन भी बंद कर दिया गया है। राज्य सरकार ने कहा है कि जिन लोगों के घर प्रभावित हुए हैं और उन्हें खाली करना है। उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से अगले छह महीने के लिए मकान किराए के रूप में 4,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।