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December 23, 2024

उत्तराखंड की मलिन बस्तियों को मालिकाना हक के लिए कांग्रेस का संघर्ष का ऐलान, प्रदेशभर में होगी मालिकाना हक न्याय यात्रा

उत्तराखंड में पांच सौ से ज्यादा मलिन बस्तियों पर हमेशा खतरे की तलवार लटकी रहती है। बार बार सरकार अध्यादेश लाकर इस मामले को टालती रहती है। एक बार फिर से आज कैबिनेट की बैठक में बस्तियों को तीन साल की राहत दी गई है। सरकार के ऐसे निर्णय से राजनीतिक दलों के लोग खुश नहीं हैं। अब बस्तियों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने की आवाज तेज होने लगी है। इसी कड़ी में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं मलिन बस्ती विकास परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने देहरादून की सबसे पुरानी मलिन बस्तियों में से एक कांवली के शास्त्रीनगर खाले में बाबा अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष धरने का आयोजन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मौके पर उन्होंने कहा कि अब मलिन बस्तियों को मालिकाना हक दिलाने के लिए संघर्ष किया जाएगा। कांग्रेस प्रदेशभर में मालिकाना हक न्याय यात्रा निकालेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में फैली साढ़े पांच सौ से ज्यादा मलिन बस्तियों के लोगों में अपने घर टूटने का डर हमेशा बना रहे और दबाव में वे भाजपा के पक्ष में मतदान करते रहें। इस नीति को अपनाते हुए भारतीय जनता पार्टी की उत्तराखंड सरकार मलिन बस्तियों को नियमित करने के बजाय इस मामले को लगातार लटका रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि बस्तिवासियों को मालिकाना हक़ देने की बजाय लगातार तीसरी बार अध्यादेश ला कर मलिन बस्तियों के लोगों पर एहसान लादा जा रहा है। ये सिर्फ वोटों की सौदेबाजी की जा रही है। कांग्रेस को यह मंजूर नहीं है। इसलिए अब कांग्रेस के बैनर तले उत्तराखंड मलिन बस्ती विकास परिषद मालिकाना हक़ की आर पार की लड़ाई सरकार से लड़ने के लिए तैयार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

धरने के दौरान उन्होंने कहा कि इसी माह दीपावली के तत्काल बाद वह पूरी राजधानी देहरादून समेत राज्य के हर जिले की मलिन बस्तियों में मालिकाना हक़ के लिए न्याय यात्रा शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मलिन बस्तियों के गहन सर्वे व अध्ययन के पश्चात बाकायदा नियमावली बनाई और इसे विधानसभा से पारित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

साथ ही राज्य की मलिन बस्तियों को नियमित करने और बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक देने की कार्यवाही शुरू कर दी थी, किंतु 2017 में राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद उक्त कारवाही को रोक कर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसके बाद 2018 में उच्च न्यायालय नैनीताल के अतिक्रमण को लेकर एक जनहित याचिका पर फैसले की आड़ में राज्य की मलिन बस्तियों के खिलाफ उजड़ने की साजिश रच डाली। इस के खिलाफ जब उत्तराखंड मलिन बस्ती विकास परिषद ने संघर्ष का बिगुल बजाया और कांग्रेस की अगुवाई में मुख्यमंत्री आवास कूच किया तो भाजपा ने निकाय चुनावों में अपनी हार के डर से आनन फानन अध्यादेश ला कर तीन साल के लिए कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी बना दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि मलिन बस्तियों के लोगों को शीघ्र नियमितीकरण करने और मालिकाना हक़ देने का आश्वासन दे कर वर्ष 2018 के निकाय चुनावों में वोट तो बीजेपी ने हासिल कर लिए, लेकिन फिर अगले तीन वर्षों तक नियमितीकरण और मालिकाना हक़ देने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की। तीन साल बाद जब 2021 में उस अध्यादेश की मियाद समाप्त हो गई तो 23 अक्टूबर 2021 को एक बार फिर नया अध्यादेश ला कर लोगों को आश्वासन दिया कि शीघ्र नियमितीकरण और मालिकाना हक़ देने के लिए कार्यवाही की जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि आज जब वह अध्यादेश दूसरी बार भी समाप्त हो गया तो सरकार बस्तियों के नियमित करने और मालिकाना हक़ देने के लिए कानून बनाने की जगह पुनः तीन साल के लिए अध्यादेश ले आई। इससे यह साफ हो गया कि भाजपा मालिकाना हक़ देने के पक्ष में नहीं है। वह लगातार वोट का प्रलोभन दे कर व बस्तियों को बुलडोजर का डर दिखा कर उनका वोट हासिल करना चाहती है, जो उत्तराखंड मलिन बस्ती विकास परिषद को कतई मंजूर नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

धस्माना ने कहा कि प्रदेश सरकार को तत्काल विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर कांग्रेस सरकार की ओर से 2016 में बनाई गई नियमावली के अंतर्गत मलिन बस्तियों को नियमित करने और मालिकाना हक़ देने की नियमावली में अगर कोई संशोधन आवश्यक हो उसे करवा कर तत्काल कार्यवाही शुरू करनी चाहिए। अन्यथा मलिन बस्ती विकास परिषद अब सरकार से संघर्ष करने को तैयार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि आज शास्त्रीनगर के धरने से संघर्ष का श्रीगणेश हो गया है और अब देहरादून समेत पूरे प्रदेश के हर जिले की हर मलिन बस्तियों में मालिकाना हक़ दो न्याय यात्रा की जाएगी। फिर राजधानी देहरादून में मुख्यमंत्री आवास कूच व विधानसभा कूच का कार्यक्रम होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

धरने को संबोधित करते हुए देहरादून महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डाक्टर जसविंदर सिंह गोगी ने कहा कि मलिन बस्तियों के लोग अब भाजपा की चालाकी और धोखे को पूरी तरह से समझ गए हैं। यह बात भी सारे गरीब लोग समझ गए हैं कि अगर मलिन बस्तियों को नियमित करने और मालिकाना हक़ देने का साहस किसी में है तो वह सिर्फ कांग्रेस में है। कांग्रेस पार्टी जब प्रदेश में सरकार बनाएगी तो वह अपने वादे को पूरा करते हुए मलिन बस्तियों को नियमित करने और मालिकाना हक़ देने की कार्यवाही करेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्रम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कौशल ने कहा कि मलिन बस्तियों के ऊपर जब भी कोई खतरा मंडराता है, तब सूर्यकांत धस्माना ही सबसे पहले खड़े होते हैं। उन्होंने सभी मलिन बस्ती वासियों से आह्वान किया कि वे धस्माना के पीछे लामबंद हो कर मलिन बस्तियों के नियमितीकरण मालिकाना हक़ की लड़ाई को लड़ कर अंजाम तक पहुंचाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

धरने में प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री जगदीश धीमान, निवर्तमान पार्षद संगीता गुप्ता, इलियास अंसारी, मुकीम अहमद, पूर्व पार्षद राजेश पुंडीर, महानगर उपाध्यक्ष अवधेश कथिरिया, ब्लॉक अध्यक्ष कांवली विक्रांत राठी, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष यमुना कालोनी प्रमोद गुप्ता, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष प्रेमनगर जितेंद्र तनेजा, कैंट कांग्रेस महिला अध्यक्ष सुशीला शर्मा, मगन सिंह पुंडीर, संजय भारती, राम कुमार थपलियाल, शुभम सैनी, इजहार, सुल्तान, अंजू भारती, अनिता दास, गुड्डी, विमलेश, उर्मिला, राजेंद्र राज, नईम आदि शामिल रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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