Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 11, 2024

एम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संतोष कुमार की पुस्तक ‘कोरोना से बचाव- एक सजग पहल’ का सीएम ने किया विमोचन, जानिए खासियत

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को एम्स ऋषिकेश के सीएफएम विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संतोष कुमार की पुस्तक 'कोरोना से बचाव- एक सजग पहल'' का विमोचन किया।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को एम्स ऋषिकेश के सीएफएम विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संतोष कुमार की पुस्तक ‘कोरोना से बचाव- एक सजग पहल” का विमोचन किया। बताया गया है कि हिंदी में लिखी गई इस पुस्तक में कोरोना से बचाव एवं उपचार संबंधी विस्तृत जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं। इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री इस पुस्तक की काफी सराहना की और उत्तराखंड के सभी शिक्षण संस्थानों, सरकारी विद्यालयों एवं ग्राम पंचायतों में इस पुस्तक की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक कोविड महामारी के समय काफी उपयोगी साबित होगी। एम्स के डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर मनोज गुप्ता व कम्युनिटी एवं फेमिली मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना ने कोविड से जुड़ी पुस्तक के सफल प्रकाशन के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। एम्स चिकित्सक डा. संतोष कुमार की इस पुस्तक में कोरोना के बाद में होने वाली बीमारियों एवं उनसे बचाव के उपाय, कोविड टीकाकरण, म्यूकरमायकोसिस, कोविड-19 से बच्चों को कैसे बचाएं और कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी आदि के बारे में बताया गया है। इस पुस्तक में लोगों में कोविड महामारी को लेकर जो भ्रांतियां और जो डर है, उसे दूर करने की कोशिश की गई है। सीएम आवास में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व काबीना मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी ने की। इस अवसर पर एम्स की नर्सिंग फैकल्टी डा. राखी मिश्रा, पुस्तकालयाध्यक्ष संदीप कुमार सिंह आदि मौजूद थे।
पुस्तक में महत्वपूर्ण बातें
पुस्तक के लेखक डा.संतोष कुमार ने बताया कि पुस्तक का मुख्य उद्देश्य समाज के प्रत्येक वर्ग को कोविड से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो तथा कठिन समय पर कोई भी व्यक्ति परेशान नहीं हो। पुस्तक में कोविड से बचाव एवं उसके इलाज को लेकर सरल एवं व्यवहारिक उपायों की विस्तृत जानकारी दी गई है। कोविड पॉजिटिव होने पर आपको क्या करना चाहिए ? संक्रमित होने पर हमें कौन सी मेडिसिन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए तथा इसके लिए कौन से परीक्षण कराने चाहिए। जिससे कि कठिन समय में व्यक्ति सूझबूझ के साथ काम ले सके और पेनिक से बच सके। पुस्तक में कोविड के बचाव एवं इलाज में योग एवं मेडिटेशन को वैज्ञानिक तथ्यों सहित प्रस्तुत किया गया है।
चूंकि महामारी ने युवाओं एवं बच्चों को बुरी तरह से प्रभावित किया है, जिससे कई लोग बढ़ते डिप्रेशन, तनाव तथा सुसाइड इस महामारी के दुष्प्रभाव से और भी चरम पर है जो और चिंता का विषय है। इसके मद्देनजर पुस्तक के एक भाग में केवल महामारी से उत्पन्न मानसिक समस्याओं का व्यवहारिक निराकरण एवं निदान के बारे में खासतौर पर फोकस किया गया है।
कोविड 19 के बीच में ही म्यूकरमैक्सिस (ब्लैक फंगस) भी एक अलग प्रकोप को लेकर प्रकट हुआ था। इस बाबत भी विस्तार से बताया गया है। क्या यह वास्तव में ब्लैक फंगस है ? यह बीमारी सभी को हो सकती है या फिर किस तरह के लोगों को यह हो सकती है ,इससे बचाव के लिए सावधानियों को बताया गया है।
क्या करें, क्या न करें
कोविड पॉजिटिव होने पर क्या करें? कोविड-19 से लड़ने के लिए उसे समझने की आवश्यकता है, अगर आप कोविड-19 से संक्रमित पाए जाते हैं तो घबराएं नहीं। आपका परेशान होना आपके शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
क्यों हैं शुरू के 5 दिन महत्वपूर्ण है? कोरोना से संक्रमित व्यक्ति में पहले 5 दिन का समय सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है, शरीर में कोरोना वायरस के प्रवेश के बाद यह बहुत तेजी के साथ अपनी संख्या बढ़ाना शुरू करता है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षक क्षमता कम हो जाती है। शुरुआत के 5 दिनों में स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक का प्रयोग नहीं करें ।
पोस्ट कोविड सिंड्रोम – इन कॉम्प्लिकेशंस को निम्न वर्गों में बांटा गया है, जैसे यदि किसी व्यक्ति में लक्षण 3 से 4 हफ्तों तक रहते हैं तो उन्हें “एक्यूट सिम्पटम्स” कहते हैं और यही लक्षण 12 हफ्तों तक रहते हैं तो उन्हें “सब-एक्यूट या ओंगोइंग सिम्पटम्स” कहते हैं। यदि कोविड के लक्षण 12 हफ्तों से अधिक दिनों तक शरीर में दिखाई देते हैं तो उन्हें “पोस्ट-कोविड सिंड्रोम” कहा जाता है।
कोविड- 19 से शरीर के अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव
1.फेफड़ों में अकड़न होना, जिससे सांस लेने और रक्त-प्रवाह में कठिनाई होती है,
2.हृदय की धड़कनों का अनियमित होना (कार्डियक एरिथमिया)
3.हृदय की स्तर/ परत में सूजन (पेरिकार्डियाइटिस )
4.यकृत में सूजन (हेपेटाइटिस एंड अबनॉर्मल लिवर एंजाइम)
5.रिनल इंपेयरमेंट (गुर्दों का खराब होना)।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page