किशाऊ परियोजना पर सीएम ने रखा राज्य का बेहतर पक्ष: महेंद्र भट्ट
महेंद्र भट्ट ने अपने बयान में जानकारी दी कि किशाऊ योजना न केवल उत्तराखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होगी साथ ही यूपी, हरियाणा व राजस्थान के खेतों और दिल्लीवासियों की प्यास बुझाने का काम भी करेगी। उन्होने कहा कि देहरादून में हिमाचल प्रदेश से सीमा खींचने वाली टोंस नदी पर प्रस्तावित यह बहूद्देशीय बांध परियोजना चकरौता-विकासनगर क्षेत्र की शक्लोसूरत बदलने वाली होगी। इस योजना का सीधा सीधा लाभ राज्य को लगभग 690 एमयू हरित विधुत ऊर्जा के रूप में मिलेगा, जिससे प्रदेशवासियों को सस्ती दर से बिजली उपलब्ध कराने में सरकार को सहायता होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होने कहा कि 236 मीटर ऊंचे एवं 680 मीटर लंबाई वाले एशिया के इस दूसरे बड़े बांध के निर्माण व संचालन से बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे, इसके अतिरिक्त यहाँ सुविधाओं के विस्तार व बांध की झील आदि अनेकों माध्यमों से पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि होना भी तय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने कहा कि चूंकि परियोजना के निर्माण में देरी से 2018 में तय विधुत घटक लागत 1536.04 करोड़ के सापेक्ष नयी डीपीआर में वृद्धि होना तय है, जिसको पूर्ववृति अनुबंध के तहत हिमाचल व उत्तराखंड को ही वहन करना था, लेकिन धामी सरकार ने जिस सजगता व कुशलता से केंद्रीय जल मंत्री के सामने राज्य का पक्ष रखते हुए नयी डीपीआर में होने वाली विधुत घटक वृद्धि को चार अन्य लाभार्थी राज्यों से वहन करने का अनुरोध किया है, उसका अगली बैठक में मंजूर होना तय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह न केवल राज्य के राजस्व में बचतकारी होगा साथ ही जनता पर भी विधुत मूल्य के बोझ को कम करने में मददगार साबित होगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश अध्यक्ष ने पुलिस महकमे में आधुनिकीकरण को भी बेहद जरूरी बताते हुए मुख्यमंत्री द्वारा इस विषय पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से विचार विमर्श को सरकार की सकारात्मक मंशा जाहिर करने वाला बताया।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।