उत्तराखंडः सीएम ने किया बहुद्देश्यीय क्रीड़ा भवन का लोकार्पण, कल करेंगे सैन्यधाम का शिलान्यास
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को प्रेमनगर देहरादून में 63.39 लाख की लागत से निर्मित बहुद्देशीय क्रीडा भवन का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रेमनगर में मिनी स्टेडियम बनाये जाने की भी घोषणा की। वह कल सैन्यधाम का भी लोकार्पण करेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पिछले पौने चार साल में हर क्षेत्र में राज्य के विकास पर ध्यान दिया गया है। अटल आयुष्मान योजना में राज्य के सभी परिवारों को 5 लाख रुपये तक निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। अटल आयुष्मान योजना में नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा देते हुए देशभर के 22 हजार से अधिक अस्पताल इसमें सूचीबद्ध हैं। राज्य में हेल्थ सिस्टम को मजबूत किया गया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में जहां प्रदेश में केवल 02 जनपदों में आईसीयू वार्ड की व्यवस्था थी अब राज्य में 27 आईसीयू वार्ड हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन पाइप की पर्याप्त व्यवस्था है। 2017 में राज्य में 1024 डॉक्टर थे, वर्तमान में 2400 डॉक्टर हैं जबकि 720 डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। आज सभी जिला अस्पतालों में आईसीयू की सुविधा उपलब्ध है। जल्द ही लगभग 2500 नर्सों की भर्ती की जायेगी।
सीएम ने कहा कि पानी के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनाई गई। सूर्याधार झील बनकर तैयार है, दीर्घकाल तक यह पेयजल एवं सिंचाई के लिए आपूर्ति करेगा और करोड़ों रुपये की बिजली की बचत होगी। सौंग बांध का शिलान्यास जल्द किया जायेगा। इसके बनने से देहरादून को दीर्घ अवधि तक ग्रेविटी वाटर उपलब्ध होगा। इससे 100 करोड़ से अधिक वार्षिक बिजली का खर्चा बचेगा। मलढूंग बांध से सहसपुर एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों में जलापूर्ति बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र एक रुपये में पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है। 2022 तक सभी 14 लाख परिवारों को इस योजना से आच्छादित करने का लक्ष्य रखा गया है। शहरी गरीबों को भी मात्र 100 रूपये में पानी का कनेक्शन दिया जायेगा। स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख तक एवं किसानों को 03 लाख रुपये तक ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य में कुपोषित बच्चों को गोद लेने की प्रथा शुरू की गई। इसके काफी अच्छे परिणाम रहे। अनेक बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए। स्वास्थ्य, शिक्षा पेयजल एवं यातायात की दिशा में अनेक प्रयास किये गये। राज्य में महिलाओं के सिर से घास की गठरी का बोझ हटे, इसके समाधान के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए अधिकारियों को ठोस नीति बनाने के निर्देश दिये गये हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आर्थिकी में सुधार के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। सभी 670 न्याय पंचायतों पर रूरल ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। अभी तक 107 रूरल ग्रोथ सेंटर बनाये जा चुके हैं।
इस मौके पर कैंट विधायक हरबंस कपूर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से देश को आगे बढ़ा रहे हैं। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में राज्य सरकार हर वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रेमनगर एवं उसके आस-पास के क्षेत्र में लगभग पौने तीन करोड़ की सड़के बनाई गई हैं। ओवरहेड टेंक और नलकूप की व्यवस्था से स्थानीय लोगों की पानी की समस्या का समाधान हुआ है।
इस अवसर पर मेयर सुनील उनियाल गामा, सीईओ कैंट बोर्ड तनु जैन, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, प्रदेश प्रभारी विनय गोयल, मंडल अध्यक्ष विजेन्द्र थपलियाल आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री करेंगे शनिवार को सैन्यधाम का शिलान्यास
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत शनिवार 23 जनवरी को पुरकुल गांव में राज्य स्तरीय सैन्य धाम का शिलान्यास करेंगे। देश की आजादी के पश्चात् देश की रक्षा में अपना बलिदान देने वाले वीर सपूतों का विवरण यहां अंकित होगा। सैन्यधाम में राज्य की गौरवशाली सैन्य परम्परा के साथ ही इससे संबंधित जानकारी भी आम जनता को उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राज्य स्तरीय सैन्यधाम की स्थापना के सम्बन्ध में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में सैन्य धाम का नाम लिया था। अब देहरादून में सैन्य धाम बनने जा रहा हैं। इसके लिये पर्याप्त भूमि व धनराशि की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सैनिकों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है। सैनिकों और पूर्व सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए शासन स्तर अपर मुख्य सचिव और जिला स्तर अपर जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी तैनात किया है।
उन्होंने कहा कि सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिये सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं। राज्य सरकार द्वारा शहीद सैनिकों व अर्ध सैनिकों के एक परिजन को योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी में समायोजित करने की व्यवस्था की है। अबतक 14 आश्रितों को सेवायोजित किया जा चुका है जबकि 06 की नियुक्ति प्रक्रिया गतिमान है। सचिवालय में प्रवेश के लिए सैनिकों और पूर्व सैनिकों को अलग से प्रवेश पत्र बनवाने की आवश्यकता नहीं है। वे अपने आईकार्ड से ही सचिवालय में प्रवेश कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों के हित में कई निर्णय भी लिये गए हैं। उत्तराखंड राज्य के वीरता पदक से अलंकृत सैनिकों के अनुदान में सबसे अधिक वृद्धि करने वाला राज्य हैं। वीरता पदक प्राप्तकर्ता सैनिकों एवं उनकी विधवाओं को दी जाने वाली वार्षिकी राशि 30 वर्ष के स्थान पर अब आजीवन दिये जाने की व्यवस्था की गई हैं। विभिन्न युद्धों व सीमान्त झडपों तथा आन्तरिक सुरक्षा में शहीद हुये सैनिकों व अर्द्ध सैनिक बलों की विधवाओं/आश्रितों को एकमुश्त 10,000,00 रुपये अनुदान दिये जाने की व्यवस्था की गई हैं।
इसके अलावा युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं और युद्ध अपंगता के कारण सेवामुक्त हुए सैनिकों को आवासीय सहायता अनुदान 2,00,000 रुपये की धनराशि दी जा रही है। सेवारत एवं पूर्व सैनिकों को रू 25 लाख तक की स्थावर सम्पत्ति के अन्तरण पर 25 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी में छूट अनुमन्य भी की गई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व सैनिकों एवं उनकी विधवाओं को जिन्हें किसी भी श्रोत से पेंशन नहीं मिल रही है। दिनांक 05 दिसम्बर, 2017 से पेंशन की राशि को रू 4000 से बढ़ाकर रू 8000 प्रतिमाह किया गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न नगर निगमों/नगर पालिकाओं की सीमाओं में, जो सेवारत एवं पूर्व सैनिक स्वयं के मकान में निवास कर रहे हैं, को गृहकर से मुक्त रखा गया हैं। मुख्यमंत्री कारगिल शहीद परिवार सहायता कोष स ईजीनियरिंग, मेडिकल एवं पीएचडी शिक्षा हेतु क्रमशः रू 12,000 रू 15,000 तथा रू 10,000 प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति देने के साथ ही पूर्व सैनिकों को राज्य सरकार की सेवाओं में समूह ‘ग’ की रिक्तियों में 05 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण अनुमन्य किया गया हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।