सूर्यधार झील घपले पर बोले सीएम धामी- अब मेरी पावर सीज, पीएम सुरक्षा चूक पर वही बोले- जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकारा, प्रेस वार्ता का पोस्टमार्टम
गता है भाजपा के पास उत्तराखंड के मसले नहीं हैं। ऐसे में चुनावी मौसम में सीएम के पास प्रेस वार्ता का जो मुद्दा था, वह था पंजाब में पीएम की सुरक्षा। उन्होंने पीएम की सुरक्षा पर पंजाब सरकार पर जमकर हमला बोला। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

सुप्रीम कोर्ट ने जिस पर जताई थी आपत्ति, वही भाषा बोले सीएम
लगता है भाजपा के पास उत्तराखंड के मसले नहीं हैं। ऐसे में चुनावी मौसम में सीएम के पास प्रेस वार्ता का जो मुद्दा था, वह था पंजाब में पीएम की सुरक्षा। उन्होंने पीएम की सुरक्षा पर पंजाब सरकार पर जमकर हमला बोला। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है। इनमें एससी की रिटायर जज जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अगुवाई में कमेटी बनाई है। इस कमेटी में डीजी आइएनए (DG NIA), डीजीपी (DGP) चंडीगढ़, आइजी (IG) सुरक्षा (पंजाब), पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल भी शामिल होंगे। इससे पहले इस मामले में राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों ने अपनी अपनी जांच कमेटी बना दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की कमेटी की ओर से पंजाब सरकार को भेजे गए नोटिस पर भी आपत्ति जताई थी। कहा कि नोटिस की भाषा ऐसी है कि जैसे पहले से तय कर लिया गया हो कि दोषी कौन है। यानी उत्तराखंड के सीएम ने भी केंद्र की तरह ये तय कर लिया है कि इसमें दोषी पंजाब सरकार है।
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि बुधवार 05 जनवरी को पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री मोदी सड़क मार्ग से रैली के लिए जा रहे थे। इस दौरान एक फ्लाईओवर पर 15 से 20 मिनट के लिए उस वक्त फंस गए, जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने रास्ते को अवरुद्ध कर दिया। इस चूक की वजह से पीएम मोदी फिरोजपुर में बिना कार्यक्रम में हिस्सा लिए ही बठिंडा एयरपोर्ट पर वापस लौट गए। प्रधानमंत्री ने बठिंडा एयरपोर्ट के अधिकारियों से कहा कि-अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया। वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया कि रैली में 70 हजार कुर्सियों में सिर्फ पांच सौ ही भरी थी। इस पर पीएम ने जानबूझकर रैली स्थगित की। यदि संबोधित करना होता तो वे हर बार की तरह फोन से भी संबोधित कर सकते थे। जब भीड़ ही नहीं जुटी तो संबोधित किसे करते।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को भी घेरा था छात्रों ने
2005 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जेएनयू में छात्रों ने घेर लिया था। जब वे जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय गए थे। तब AISA से जुड़े छात्रों ने उन्हें काले झंडे दिखाए गए थे। नवंबर का महीना था। छात्र इरान पर यूपीए सरकार की नीति का विरोध कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने अपना भाषण शुरू ही किया कि काले झंडे दिखाए जाने लगे। मनमोहन सिंह अपना भाषण दस मिनट में समेट कर चले गए। उस समय वे जेएनयू के अवैतनिक प्रोफेसर भी थे, लेकिन उसके बाद उन्होंने छात्रों पर कार्रवाई से मना कर दिया था। काले झंडे दिखाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
पुलवामा हमले को भी याद करें
फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड की रुद्रपुर रैली को फोन से संबोधित किया ही था। प्रधानमंत्री देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर उतरने के बाद भी खराब मौसम के कारण रुद्रपुर नहीं जा सके थे। इतना जरूर है कि वह डिस्कवरी चैनल के लिए वीडियो बनाने कार्बेट पार्क जरूर गए। रुद्रपुर में बीजेपी की शंखनाद रैली होने वाली थी। उस रैली को उन्होने फोन से संबोधित किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का फोन लेकर रुद्रपुर में आई जनता को संबोधित किया था। उस दिन पुलवामा पर हमला हुआ था। उसके तीन घंटे बाद प्रधानमंत्री रैली को फोन से संबोधित कर रहे थे। विपक्ष ने सवाल भी उठाया था कि दोपहर 3 बजकर 10 मिनट पर पुलवामा में हमला होता है और प्रधानमंत्री 5 बज कर 10 मिनट पर फोन से रैली को संबोधित कर रहे थे। यही नहीं पटना में रैली में बम फटने और मौत पर भी रैली को स्थगित नहीं किया गया था।
पहले भी रैलियां स्थगित कर चुके हैं पीएम
दिसंबर 2016 मौसम खराब होने के कारण बहराइच रैली को प्रधानमंत्री ने फोन से संबोधित किया। उस वक्त यूपी में 2017 के चुनाव को देखते हुए सभाएं चल रही थी। प्रधानमंत्री कहते हैं कि मौसम के कारण नहीं आ सके। तब फिर प्रधानमंत्री ने फिरोज़पुर की रैली को फोन से ही क्यों नहीं संबोधित किया? 5 अक्तूबर 2014 को महाराष्ट्र के नाशिक में प्रधानमंत्री की रैली होने वाली थी, लेकिन तूफानी मौसम के कारण उनका कार्यक्रम रद्द हो गया था। 29 जून 2015 को प्रधानमंत्री की वाराणसी की सभा रद्द हो गई।
29 जून को मौसम के कारण वाराणसी का दौरा रद्द होता है, लेकिन उसके कुछ दिनों बाद 16 जुलाई 2015 को एक बार फिर रद्द होता है। क्योंकि कार्यक्रम स्थल पर एक श्रमिक की मौत हो जाने के कारण प्रधानमंत्री अपना दौरा रद्द कर देते हैं। उस साल लगातार तीन बार प्रधानमंत्री का वाराणसी दौरा रद्द हुआ था।
सीएम धामी ने पंजाब सरकार पर किया हमला
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के मसले पर पंजाब की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला। उन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन के हवाले से कहा कि पंजाब सरकार पूरी तरह से एक्सपोज हो गई। पीएम की सुरक्षा में चूक संयोग नहीं बल्कि साजिश थी। उन्होंने आरोप लगाया कि साजिश के तार कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जाकर जुड़ते हैं।
उन्होंने एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लापरवाही बरते जाने का बड़ा खुलासा हुआ। ये सिर्फ चूक नहीं बल्कि इरादतन चूक थी। स्टिंग ने कई बड़े खुलासे किए जो गंभीर सवाल खड़े करते हैं। इसके आधार पर कहा जा सकता है कि ये कोई संयोग नहीं, एक बड़ी साजिश थी। ये अचानक नहीं हुआ, बल्कि पहले से तय था। ये भी कहा जा सकता है कि स्पॉन्टेनियस नहीं बल्कि स्पांसर्ड था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टिंग ऑपरेशन में स्पष्ट सुना जा सकता है कि स्थानीय एसएचओ और डीएसपी (सीआईडी) को प्रधानमंत्री रूट पर रुकावट की जानकारी थी। जानकारी होने के बावजूद आला अधिकारियों ने इसे अनदेखा किया और कोई कार्रवाई नहीं की। इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में पंजाब सरकार की लापरवाही नहीं बल्कि मिलीभगत थी। स्थानीय पुलिस, स्थानीय सीआईडी और इंटेलीजेंस ने भी कुछ दिन पूर्व ही प्रधानमंत्री के रूट पर सुरक्षा चूक पर अपनी रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट पर पंजाब सरकार कुंडली मार कर बैठ गई। उन्होंने सिद्धू और हरीश रावत के बयानों की आलोचना भी की। पत्रकार वार्ता में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत व तीरथ सिंह रावत उपस्थित थे।
खालिस्तान गुट भी रैली के खिलाफ सक्रिय था
मुख्यमंत्री ने कहा कि खुफिया विभाग की टीम ने बताया था कि प्रधानमंत्री रैली में गड़बड़ी होने जा रही है। खालिस्तान गुट भी रैली के खिलाफ सक्रिय था। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी से घृणा करते-करते कांग्रेस देश से, प्रधानमंत्री के पद से, संविधान, सेना, सुरक्षा व राष्ट्रहित से ही घृणा करने लगी है। पीएम की सुरक्षा में साजिश के तार राजनीतिक रूप से सीधे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जाकर जुड़ते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पहले भी पुलवामा पर सियासत कर पाकिस्तान को क्लीन चिट देना सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल, बालाकोट पर सबूत मांगाना और बार-बार पाकिस्तान और चीन के प्रोपेगंडा के साथ सुर से सुर मिलाना केवल एक व्यक्ति से नफरत करते करते यह कांग्रेस की आदन बन चुकी है। (हालांकि इस बार चुनावों में बीजेपी का ये कार्ड ज्यादा असर नहीं दिखा रहा है। यूपी में 24 घंटे के भीतर ही बीजेपी के दो मंत्रियों सहित छह विधायकों ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है।)
किया है, करती है, करेगी सिर्फ भाजपा
उत्तराखंड भाजपा ने 2022 के चुनावी समर के लिए किया है, करती है, करेगी सिर्फ भाजपा का नारा गढ़ा। बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक व तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में नारे की घोषणा की। रिस्पना पुल स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री ने नारा सुनाया कि किया है, करती है, करेगी सिर्फ भाजपा।
उठते हैं कई सवाल
प्रेस वार्ता में पंजाब के मुद्दे पर तो सीएम लंबा चौड़ा बोल गए, लेकिन उत्तराखंड के मुद्दा शायद इस प्रेस वार्ता में शामिल नहीं था। पीएम की सुरक्षा के बहाने चुनावी नैया पार करने पर भाजपा का फोकस रहा। हालांकि यूपी में भी पीएम के साथ एक बार ऐसी ही स्थिति आई थी। तब बीजेपी ने योगी सरकार पर हमला नहीं बोला। यही नहीं, कई बार मौसम खराब होने पर पीएम फोन से रैलियों को संबोधित कर चुके हैं, ऐसा पंजाब में नहीं किया गया। जिस दिन पुलवामा में आतंकी हमला हुआ, उस दिन उत्तराखंड में पीएम थे। हमले की सूचना के बाद भी वह जंगल में पहले अपनी वीडियो बनवाते रहे। फिर मौसम की खराबी के चलते वह रुद्रपुर में जनसभा को संबोधित करने नहीं पहुंचे तो उन्होंने फोन से रैली को संबोधित किया। देश की सुरक्षा तो उस दिन भी जरूरी थी। तब उन्होंने रैली स्थगित नहीं की और उसे फोन से संबोधित किया। अब पंजाब में भी वे रैली को फोन से भी संबोधित कर सकते थे, लेकिन उन्होंने नहीं किया। ऐसे में विपक्ष यही सवाल उठा रहा है कि रैली में किसे संबोधित करते, वहां तो सिर्फ पांच सौ लोग थे। 70 हजार कुर्सियां खाली थी।
मीडियाकर्मियों के सवालों का यूं दिया जवाब
प्रेस वार्ता में पंजाब पर ही भाजपा का फोकस रहा। जांच से पहले ही केंद्र की तरह यहां भी पंजाब सरकार को दोषी करार दिया गया। मीडियाकर्मियों के सवालों पर पर ही वह स्थानीय मुद्दों पर बोले। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के लिए लंबा संघर्ष हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी ने उत्तराखंड राज्य बनाया। विशेष औद्योगिक पैकेज दिया। मोदी सरकार ने वन रैंक वन पेंशन लागू की।
सैन्य बहुल राज्य में रह रहे सैनिक परिवारों को इसका लाभ मिला योग और भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाया। पूरी दुनिया में योग को मान्यता मिली। सीएम ने चारधाम आलवेदर रोड, भारत माला प्रोजेक्ट, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्ग, बागेश्वर टनकपुर रेल लाइन, लखवाड़ जल विद्युत परियोजना, केदारनाथ व बदरीनाथ की पुनर्निर्माण परियोजना व राज्य सरकार की होम स्टे योजना, 24 हजार खाली पदों को भरना समेत राज्य सरकार की कई उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के मध्य परिसंपत्तियों के बंटवारे का जिक्र किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के विकास के लिए 10 साल का रोड मैप तैयार करने के लिए कहा गया है। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं कि जब उत्तराखंड को 25 वर्ष होंगे तब हमारा राज्य देश का अग्रणीय राज्य होगा।
सूर्यधार झील के घपले को इस तरह से टाला
सीएम धामी ने पंजाब के मसले पर चिंता जरूर दिखाई, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा में भाजपा सरकार में बनी सूर्यधार झील के मामले में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज की जांच और कार्रवाई के आदेश से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अंजान हैं। पत्रकार वार्ता में जब उनसे यह प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अब तो चुनाव आचार संहिता लग चुकी है और सबकी पावर सीज है। ऐसे में साफ है कि भ्रष्टाचार पर जोरो टालरेंस की बात करने वाले सीएम से जब उनकी सरकार के ऐसे मामलों पर पूछा तो शायद इसका जवाब उनके पास नहीं था।
इस तरह देते रहे सफाई
तीन-तीन मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस द्वारा गढ़े के तीन तिगाड़ा स्लोगन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की नीतियां वहीं, नेतृत्व वही है, सिर्फ चेहरा बदला है। उन्होंने कांग्रेस पर प्रहार किया कि जिनके घर शीशे के हैं, वो पत्थर न फेंके। पहले अपने घर का झगड़ा निपटा लें। हालांकि भाजपा में भी कभी हरक सिंह रावत तो कभी उमेश शर्मा काऊ आदि टेंशन देते रहे। एक बार तो कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने इस्तीफे की घोषणा कर भाजपा को असमंजस में ला दिया था। इसे नजरअंदाज कर भाजपा को कांग्रेस के झगड़ों में दिलचस्पी नजर आ रही है। अपनी ही सरकार के फैसले बदलने, बार बार पलटने के संबंध में भी उनका जवाब कुछ ऐसा था। देवस्थानम बोर्ड का फैसला पलटने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जब यह फैसला लिया गया होगा, उस समय की स्थितियां अलग थीं। बोर्ड भंग करने का फैसला सभी से चर्चा के बाद लिया गया। मुख्यमंत्री से सूर्यधार झील के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने प्रकरण से अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि आचार संहिता लागू है, इसलिए अब तो कोई जांच नहीं हो सकती। अब सबकी सारी पावर सीज हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।