जो कहते हैं वो करके नहीं दिखाते सीएम धामी, पहली बार शपथ लेने के दौरान जो कहा, अब तक नहीं हुआ पूरा: लाल चंद शर्मा
उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2021 में जुलाई माह में तत्कालीन सीएम तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा दिया था। इसके साथ ही पुष्कर सिंह धामी की सीएम के पद पर ताजपोशी की गई थी। सीएम की शपथ लेते ही सीएम धामी ने कहा था कि वह जो भी घोषणा करेंगे, उसे छह माह के भीतर पूरा करके दिखाएंगे। यदि वह शिलान्यास करेंगे तो अपने उसी कार्यकाल में उसे पूरा करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि शपथ लेते ही सीएम ने सबसे पहले पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अगले चुनाव से पहले छह माह के भीतर प्रदेश में विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े 22 हजार पदों पर नियुक्तियां कर दी जाएंगी। तब प्रदेश के युवाओं को सरकार से आस बंधी थी, लेकिन ये घोषणा कोरी साबित हुई और किसी भी विभाग में नियुक्ति नहीं हुई। इसी तरह जो शिलान्यास तब हुए, उनमें से भी अधिकांश उनके पहले कार्यकाल में उद्घाटन के लिए पूर्ण नहीं हो पाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लालचंद शर्मा ने कहा कि करीब आठ माह के पहले कार्यकाल में उनकी सबसे पहले वाली सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भरने की घोषणा पूरी नहीं हो सकी। फिर वह दोबारा मार्च 2022 में सीएम बने और इसके बाद कई परीक्षाओं में भर्ती घोटाला सामने आया। उत्तराखंड अधिनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा घोटाले में तो 41 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी हैं। इसके साथ ही उनके कार्यकाल में विधानसभा में बैकडोर से नियुक्ति के साथ ही अन्य कई नियुक्तियों में घोटाले की बात सामने आई। ऐसे में अधिनस्थ चयन आयोग की परीक्षाओं को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग से कराने की बात की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इसमें भी गौर करने वाली बात ये है कि पहले सीएम 22 हजार नियुक्तियों की बात करते थे, लेकिन जब सितंबर माह में धामी कैबिनेट में लोकसेवा आयोग के जरिये यूकेएसएसएससी की परीक्षा कराने की निर्णय किया गया तो तब सात हजार पदों की भर्ती की बात की गई। यानी कि सरकारी विभागों की भर्ती घटते घटते 22000 से सात हजार में सिमट कर रह गई हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीएम को खुद याद नहीं रहता कि उन्होंने पहले क्या घोषणा की थी और बाद में उसी के संदर्भ में क्या कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के इस तरह के सरकार झूठ को उत्तराखंड की जनता समझ चुकी है। उन्होंने कहा कि सीएम को अपनी नौकरी संबंधी घोषणा को लेकर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। ताकि जनता को भी पता चले कि उनकी सबसे पहली घोषणा पर कितना अमल हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि भर्ती घोटाले को भी उलझाया जा रहा है। बड़ी मछलियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस की मांग थी कि सारी भर्तियों की सीबीआइ से जांच कराई जाए। या फिर हाईकोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी में एसआइटी से जांच हो। इसके बावजूद घोटालों के असली गुनाहगारों को सामने नहीं लाया जा रहा है। बेरोजगार भी अब सरकार के झांसे में नहीं आने वाला है। भर्ती घोटाले को लेकर बेरोजगारों ने सड़क पर उतरकर सरकार को ताकत दिखा दी है और ये अभी शुरूआत है।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।