सीएम ने कांग्रेस कार्यकाल में की गई घोषणाओं को अपनी में गिना दियाः हरीश रावत
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के प्रदेश अध्यक्ष हरीश रावत ने कहा कि भाजापा के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की महिलाओं को लेकर की गई घोषणाओं में वे घोषणाएं भी शामिल हैं, जो उनके कार्यकाल में की गई थी।
सोशल मीडिया में इस संबंध में हरीश राावत ने पोस्ट डाली। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने 2014 से 2016 तक अर्थात चुनावी आचार संहिता लगने तक महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण, महिला पुष्टाहार और महिला सम्मान को लगातार प्राथमिकता दी। आंगनबाड़ी, आशा बहनें और भोजन माताएं जो महिला स्वावलंबन का आधार हैं, हमने उनको देय मानदेय की राशि बढ़ाई। आशा की बहनों के लिए न्यूनतम आय 5000 रुपये का मानक निर्धारित किया, भोजन माताओं को वर्दी अलाउंस देने का भी निर्णय लिया और आंगनवाड़ी की बहनों को टेक होम राशन की स्कीम के साथ जोड़ करके अतिरिक्त आय का रास्ता ढूंढा गया। साथ ही साथ उनको छुट्टियां मान्य की गई और उनके लिए एक आगनवाड़ी कोष की स्थापना की गई। इससे उनको एक निश्चित राशि सहायता स्वरूप सेवाकाल समाप्त होने के पश्चात मिल सके।
उन्होंने कहा कि राज्य के अंदर बड़ी संख्या में आर्थिक गतिविधियों के अभाव में महिला स्वयं सहायता समूह गतिविधिहीन हो गये थे, उन पर कर्ज बढ़ रहा था। हमने उस कर्ज की समाप्ति कर एक निश्चित धनराशि अनुदान के रूप में प्रदान की और उनको महिला पौष्टिकता में टेक होम राशन व इंदिरा अम्मा कैंटीन की गतिविधियों के साथ जोड़कर ग्रामीण आर्थिक क्रियाकलापों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया। नए महिला स्वयं सहायता समूहों को गठित करने के लिए प्रेरणा दी।
हरीश रावत ने पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यों को उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने मनरेगा योजना के तहत महिलाओं को लाभान्वित करने के लिए। यदि महिला जंगलों से चीड़ की पत्ती इकट्ठा कर रही है या अपने स्वयं के खेत में भी काम कर रही है तो उन्हें मनरेगा कर्मी का दर्जा दिया। 3 विभागों में रिक्त पदों पर केवल महिलाओं की भर्ती होगी इसके आदेश जारी किए। पुलिस विभाग में 1200 महिलाएं जिनमें कॉन्स्टेबल और सब इंस्पेक्टर की पोस्ट हेतु भर्ती प्रारंभ की और उनको भर्ती किया गया।
उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे को मूर्त रूप में आगे बढ़ाने के लिए गरीब व दलित के घर में दो बेटियों के पैदा होते ही 500 रुपये की NSC (नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट) और 10 वर्ष की होने पर 10000 रुपये और NSC के रूप में देने, पढ़ाई के लिए 50000 रुपये, गौरा देवी कन्या धन योजना के तहत और 50000 रुपये कन्या के बालिक होने पर उसके विवाह के लिए अनुदान स्वरूप देने का निर्णय लिया। गौरा देवी और नंदा देवी में पहले यह धनराशि 25000-25000 थी, जिसे हमने बड़ा करके दुगना किया।
उन्होंने कहा कि महिलाएं बहुधा दुग्ध व्यवसाय के साथ जुड़ी रहती हैं, इसलिए हमने दुग्ध समूहों से आने वाले दूध पर 4 रुपये प्रति लीटर बोनस देने का फैसला किया। महिला मंगल दलों को भी विधायक निधि में निर्माण कार्य दिये जाने के लिए मान्य ठहराया। अल्पसंख्यक, कमजोर और दलित वर्ग की छात्राओं के लिए विशेष छात्रवृत्तियाँ प्रारंभ की, जो अलग-अलग महापुरुषों के नाम पर संचालित की जा रही हैं। महिला उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों में भी डिग्री कॉलेज खोले गये जिसके परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या में ग्रामीण लड़कियां आज उच्च शिक्षा में प्रवेश ले रही हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।