वंदना को उत्तराखंड सरकार देगी 25 लाख, 22 महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार, देखें सूची, पढ़ें तीलू की कहानी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया को 25 लाख रुपये देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा हमें गर्व है कि टोक्यो ओलिंपिक खेलों में भारतीय महिला हॉकी टीम के शानदार प्रदर्शन में उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया का शानदार योगदान रहा है। शीघ्र ही हमारे राज्य में एक नई एवं आकर्षक खेल नीति लागू की जाएगी। इस नीति में विशेष रूप से हमारे युवाओं में अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिभा का विकास करने हेतु उचित आर्थिक प्रोत्साहन का प्रावधान होगा। हमारा प्रयास होगा कि प्रदेश के कोने कोने में वंदना जैसी प्रतिभा के द्वीप प्रज्ज्वलित हों।
वंदना सहित 22 महिलाओं को मिलेगा तीलू रौतेली पुरस्कार
टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय हाकी टीम में अपने दमदार गोल से बेहतर प्रदर्शन करने वाली हरिद्वार निवासी वंदना कटारिया को तीलू रौतेली सम्मान मिलेगा। वंदना कटारिया ने ओलंपिक में गोल की हैट्रीक लगाई। साथ ही उन्होंने ओलंपिक में चार गोल किए। हरिद्वार की इस दिग्गज खिलाड़ी के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिए कुल 22 महिलाओं को भी यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास की ओर से हर वर्ष बेहतर कार्य करने के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। इस बार आठ अगस्त को सर्वे चौक स्थित आइआरडीटी सभागार में वंदना कटारिया समेत 22 को यह पुरस्कार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों प्रदान किया जाएगा। इसके लिए विभाग ने तीतू रौतेली के लिए चयनित की सूची जारी कर दी है।
इन्हें मिलेगा तीलू रौतेली राज्य स्त्री शक्ति पुरस्कार
खेल- वंदना कटारिया (हरिद्वार), रुचि कालाकोटी (बागेश्वर), कनिका भंडारी।
पर्वतारोहण– रीना रावत (उत्तरकाशी)।
शिक्षा व महिला जागरूकता– डा राजकुमारी भंडारी चौहान (देहरादून)।
महिला स्वयं सहायता समूह– श्यामा देवी (देहरादून)।
सामाजिक कार्य– अनुराधा वालिया (देहरादून), उमा जोशी (ऊधमसिंहनगर), दीपिका बोहरा, दीपिका चुफाल (पिथौरागढ़), रेनू गड़कोटी (चम्पावत)।
शिक्षा, अनुसंधान व विकास– डा कंचन नेगी (देहरादून)।
कोविड संबंधी कार्य-चंद्रकला तिवाड़ी (चमोली), पार्वती किरोला (नैनीताल)।
कोरोना योद्धा- बबीता पुनेठा (पिथौरागढ़)।
महिला स्वास्थ्य एवं पोषण– नमिता गुप्ता (ऊधमसिंहनगर)।
गैर सरकारी संगठन-बिंदुवासिनी (ऊधसिंहनगर)।
स्वरोजगार- ममता मेहता (बागेश्वर), अंजना रावत (पौड़ी), भावना शर्मा (अल्मोड़ा)।
बालिका शिक्षा– रेखा जोशी (पिथौरागढ़)।
कठिन परिस्थितियों में जीवनयापन-पूनम डोभाल (टिहरी)।
तीलू रौतेली एक पराक्रमी महिला
उत्तराखंड में सत्रहवीं शताब्दी में तीलू रौतेली नामक वीरांगना ने 15 वर्ष की आयु में दुश्मनों के साथ 7 वर्ष तक युद्धकर 13 गढ़ों पर विजय पाई थी। वह अंत में अपने प्राणों की आहुति देकर वीरगति को प्राप्त हो गई थी। 15 से 20 वर्ष की आयु में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली संभवत विश्व की एक मात्र वीरांगना है। तीलू रौतेली उर्फ तिलोत्तमा देवी भारत की भारत की रानी लक्ष्मीबाई, चांद बीबी, झलकारी बाई, बेगम हजरत महल के समान ही देश विदेश में ख्याति प्राप्त हैं।
उत्तराखंड सरकार ने तीलू रौतेली के नाम से शुरू की योजना
इसी बात को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने तीलू देवी के नाम पर एक योजना शुरू की है। जिसका नाम तीलू रौतेली पेंशन योजना है। यह योजना उन महिलाओं को समर्पित है, जो कृषि कार्य करते हुए विकलांग हो चुकी हैं। इस योजना का लाभ उत्तराखंड राज्य की बहुत सी महिलायें उठा रहीं हैं।
राज्यों के प्रमुख सभासद में से थे पिता
तीलू रौतेली के पिता का नाम गोरला रावत भूपसिंह था, जो गढ़वाल नरेश राज्य के प्रमुख सभासदों में से थे। गोरला रावत गढ़वाल के परमार राजपुतों की एक शाखा है जो संवत्ती 817 ( सन् 760) मे गुजर देश (वर्तमान गुजरात राज्य) से गढ़वाल के पौडी जिले के चांदकोट क्षेत्र के गुरार गांव (वर्तमान गुराड गांव) मे गढ़वाल के परमार शासकों की शरण मे आयी। इसी गांव के नाम से ये कालांतर मे यह परमारो की शाखा गुरला अथवा गोरला नाम से प्रवंचित हुई। रावत केवल इनकी उपाधी है।
इन परमारो को गढ राज्य की पूर्वी व दक्षिण सीमा के किलो की जिम्मेदारी दी गयी। चांदकोट गढ, गुजडूगढी आदि की किले इनके अधीनस्थ थे। तीलू के दोनो भाईयो को कत्युरी सेना के सरदार को हराकर सिर काटकर गढ़ नरेश को प्रस्तुत करने पर 42-42 गांव की जागीर दी गयी। युद्ध मे इन दोनो भाईयों (भगतु एवं पत्वा ) के 42-42 घाव आये थे। पत्वा (फतह सिंह ) ने अपना मुख्यालय गांव परसोली या पडसोली(पट्टी गुजडू ) मे स्थापित किया जहां वर्तमान मे उसके वंशज रह रहे है। भगतु (भगत सिंह ) के वंशज गांव सिसई(पट्टी खाटली )मे वर्तमान मे रह रहे है।
कांडा मल्ला में बीता बचपन
तीलू रौतेली ने अपने बचपन का अधिकांश समय बीरोंखाल के कांडा मल्ला, गांव में बिताया। आज भी हर वर्ष उनके नाम का कौथिग ओर बॉलीबाल मैच का आयोजन कांडा मल्ला में किया जाता है। इस प्रतियोगीता में सभ क्षेत्रवासी भाग लेते है।
15 साल की आयु में हुई सगाई
तीलू रौतेली गोरला रावत भूप सिंह (गढ़वाल के इतिहास मे ये गंगू गोरला रावत नाम से जाने जाते है। ) की पुत्री थी। 15 वर्ष की आयु में तीलू रौतेली की सगाई इडा गाँव (पट्टी मोंदाडस्यु) के सिपाही नेगी भुप्पा सिंह के पुत्र भवानी नेगी के साथ हुई। गढ़वाल मे सिपाही नेगी जाति सुर्यवंशी राजपूत है जो हिमाचल प्रदेश से आकर गढ़वाल मे बसे है।
युद्ध भूमि में पराक्रम
पहले तीलू रौतेली ने खैरागढ़ (वर्तमान कालागढ़ के समीप) को कन्त्यूरों से मुक्त करवाया। उसके बाद उमटागढ़ी पर धावा बोला। फिर वह अपने सैन्य दल के साथ “सल्ड महादेव” पंहुची और उसे भी शत्रु सेना के चंगुल से मुक्त कराया। चौखुटिया तक गढ़ राज्य की सीमा निर्धारित कर देने के बाद तीलू अपने सैन्य दल के साथ देघाट वापस आयी। कालिंका खाल में तीलू का शत्रु से घमासान संग्राम हुआ, सराईखेत में कन्त्यूरों को परास्त करके तीलू ने अपने पिता के बलिदान का बदला लिया। इसी जगह पर तीलू की घोड़ी “बिंदुली” भी शत्रु दल के वारों से घायल होकर तीलू का साथ छोड़ गई।
धोखे से किया तीलू पर हमला
शत्रु को पराजय का स्वाद चखाने के बाद जब तीलू रौतेली लौट रही थी तो जल श्रोत को देखकर उसका मन कुछ विश्राम करने को हुआ। कांडा गाँव के ठीक नीचे पूर्वी नयार नदी में पानी पीते समय उसने अपनी तलवार नीचे रख दी और जैसे ही वह पानी पीने के लिए झुकी। उधर ही छुपे हुये पराजय से अपमानित रामू रजवार नामक एक कन्त्यूरी सैनिक ने तीलू की तलवार उठाकर उस पर हमला कर दिया। निहत्थी तीलू पर पीछे से छुपकर किया गया यह वार प्राणान्तक साबित हुआ।कहा जाता है कि तीलू ने मरने से पहले अपनी कटार के वार से उस शत्रु सैनिक को यमलोक भेज दिया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।