बच्चों में जन्मजात पाई जाती है क्लब फुट बीमारी, एम्स ऋषिकेश में इसका उपचार संभव
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में अस्थि रोग विभाग की ओर से बच्चों में जन्मजात पाई जाने वाली बीमारी क्लब फुट विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें प्रतिभागियों ने बच्चों में जन्म से होने वाली इस बीमारी के उपचार प्रणाली की जानकारी प्राप्त लकी। शनिवार को अस्थि रोग विभाग के तत्वावधान में आयोजित क्लब फुट विषयक कार्यशाला का डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता, अर्थोपैडिक विभागाध्यक्ष डा. पंकज कंडवाल व विभाग की प्रोफेसर शोभा एस. अरोड़ा ने संयुक्तरूप से शुभारंभ किया। बताया गया कि क्लब फुट एक जन्मजात पैरों की बीमारी है, जिसमें बच्चे के पैर अंदर की तरफ मुड़े होते हैं।
सही समय पर किया ईलाज को चल सकता है बच्चा
उन्होंने बताया कि यदि इस बीमारी का इलाज सही समय पर शुरू कर दिया जाए तो 5 वर्ष की उम्र के पश्चात बच्चा अन्य सामान्य बच्चों की तरह चल सकता है। इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान के अस्थि रोग विभाग में प्रत्येक बुधवार को क्लब फुट क्लिनिक का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रत्येक सप्ताह लगभग 18-20 बच्चों का उपचार किया जाता है। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश के अस्थि रोग विभाग में चिकित्सक बीते चार वर्षों में 200 से अधिक क्लुब्फूट से ग्रस्त बच्चों का सफलतापूर्वक उपचार कर चुके हैं। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि अस्थि रोग विभाग के अंतर्गत एमसीएच पीडियाट्रिक आर्थोपैडिक कोर्स आरंभ किया गया है, जो कि भारत में अपनी तरह का पहला ओर्थपेडीक सुपरस्पेशलिटी कोर्स है। साथ ही संस्थान में बच्चों के अस्थि एवं जोड़ रोग जिसमें जटिलतम जन्मजात बीमारियां भी शामिल हैं, उनका उपचार उपलब्ध कराया गया है।
आयोजित कार्यशाला में प्रो. शोभा एस. अरोड़ा, डा. विवेक सिंह, डा. प्रदीप मीणा, डा. सतांशु बारिख ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। कार्यशाला के अंतर्गत रबड़ के क्लब फुट मॉडलों पर प्लास्टर करने की तकनीक का प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर इस बीमारी से पीड़ित तीन बच्चों पर भी प्लास्टर करने का प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला के आयोजन में क्योर इंटरनेशनल इंडिया ट्रस्ट व इस संस्था की समन्वयक जिम्मी दत्ता ने भी अहम सहयोग किया। कार्यशाला में करीब 55 चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया। जिसमें एम्स के रेजिडेंट डाक्टरों के अलावा अन्य मेडिकल संस्थानों जैसे महंत इंद्रेश हॉस्पिटल, दून अस्पताल आदि के चिकित्सक शामिल थे। कार्यशाला में डा. सितांशु बारिख, डा. सन्नी चौधरी, डा. रामाप्रिया, डा. वरुण, डा. सौरभ आदि मौजूद थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।