देश में सरकारी और निजी बैंकों में जमा 48 हजार करोड़ रुपये के नहीं मिल रहे दावेदार
रिजर्व बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि इसमें से ज्यादातर राशि तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, बिहार और तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के बैंकों में जमा हैं। केंद्रीय बैंक के अनुसार, ये बचत व चालू खाते ऐसे हैं जिनमें 10 साल तक लगातार किसी प्रकार का लेनदेन नहीं हुआ है या ऐसी FD जिसकी मैच्योरिटी की तारीख से 10 साल तक कोई दावा नहीं किया गया है। जमाकर्ता हालांकि इसके बाद भी बैंक से अपनी राशिमय ब्याज पाने के हकदार हैं। रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों द्वारा कई जागरूकता अभियान के बावजूद समय के साथ बिना दावा वाली राशि लगातार बढ़ती जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन आठ राज्यों की भाषाओं के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी में एक अभियान शुरू किया है। आरबीआई के मानदंडों के अनुसार, बचत व चालू खातों में शेष राशि जो 10 वर्षों से संचालित नहीं होती है, या परिपक्वता की तारीख से 10 वर्षों के भीतर सावधि जमा का दावा नहीं किया जाता है, उन्हें बिना दावेदारी वाली रकम के रूप में रखा जाता है। बैंक इस रकम को रिजर्व बैंक (RBI) के जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में स्थानांतरित कर देते हैं। हालांकि, जमाकर्ता अभी भी लागू ब्याज के साथ बैंक से अपनी रकम वापस पाने के हकदार हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हालांकि, बैंकों और आरबीआई के अभियानों के बावजूद बिना दावे वाली जमा की राशि में लगातार इजाफा होता जा रहा है। दावा न की गई जमाराशि मुख्य रूप से बचत/चालू खातों को बंद न करने के कारण सामने आती है, जिसके खाते को जमाकर्ता आगे नहीं चलाना चाहते हैं या मैच्योरिटी के लिए बैंकों के समक्ष दावा प्रस्तुत नहीं करते। मृत जमाकर्ताओं के बैंक खातों के मामले भी हैं, जहां नामित/कानूनी उत्तराधिकारी पैसे वापस लेने के लिए आगे नहीं आते हैं।