पेशावर कांड की वर्षगांठ पर सीटू ने वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को किया याद
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) ने पेशावर कांड की 92 वी वर्षगांठ पर विचार गोष्ठी कर कामरेड वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को याद कर पेशावर कांड की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

देहरादून में आज सीटू कार्यालय पर सीटू जिला कमेटी की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी में महामन्त्री लेखराज ने संचालन करते हुए कहा कि 23 अप्रेल 1930 को पेशावर आंदोलन कर रहे पठानों पर अंग्रेज अधिकारी द्वारा गढ़वाली सेना को गोली चलाने के आदेश दिया। चंद्र सिंह गढ़वाली ने अंग्रेज अधिकारी के आदेश को न मानते हुए अपनी टुकड़ी को सीज फायर का आदेश दिया गया। इससे सैकड़ों लोगो की जाने बच गई। उन्होंने कहा कि इतिहास में यह घटना साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए जानी जाती है। वहीं आज की परिस्तिथियों में ओर अधिक प्रासंगिक हो गयी है।
इस अवसर पर राजेन्द्र पुरोहित ने कहा कि चंद्र सिंह गढ़वाली अंतिम समय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य रहे। अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित माकपा के कार्यालय में रखा गया था। वे आजाद भारत के बाद जेल से छूटने के पश्चात गढ़वाल व कुमाऊं की जनता की समस्याओं के खिलाफ संघर्ष करते रहे। वह लोकसभा का चुनाव भी लड़े। इस अवसर पर भगवंत दयाल, रविंद्र नौटियाल, एसएस रजवार अर्जुन रावत, मामचंद, विनोद खंडूरी, ताजबर रावत आदि उपस्तिथ थे।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।